अजमेर के आरएएस अफसरों की खुसर-फुसर

colectriate 450आरएएस अफसर भी किसी राजनेता से कम नहीं होते हैं। अफसर यह जानते हैं कि किस सत्ताधारी नेता से तिकड़म लगाकर सरकारी कुर्सी को हासिल किया जाए। इसलिए ऐसे अफसर जनता के प्रति वफादार होने के बजाए मेहरबान नेता के प्रति वफादार होते हैं। कोटा की सिटी मजिस्ट्रेट श्रीमती सुनीता डागा अजमेर की रहने वाली राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी से विवाद होने के बाद डागा को अजमेर से कोटा फेंका गया। हालांकि कोटा नगर निगम के चुनाव में डागा और देवनानी के संबंधों में थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन देवनानी डागा को अजमेर लाने में सफल नहीं रहे या यह कहा जाए कि सफलता पाने के पूरे प्रयास नहीं किए।
इस बीच कोटा के सांसद और भाजपा की सरकार में दबदबा रखने वाले ओम बिड़ला ने अपनी ताकत का उपयोग किया और सुनीता डागा के पति राजेश डागा को भी कोटा में नियुक्त करवा दिया। 21 मई को आरएएस की जो तबादला सूची जारी हुई है, उसमें राजेश डागा कोटा नगर निगम के आयुक्त बनाए गए है। अभी तीन दिन पहले ही डागा को अजमेर जिले के सरवाड़ उपखंड का एसडीओ बनाया गया था। इससे पहले डागा आरआरटीआई में नियुक्त थे। डागा दम्पत्ति अजमेर के ही रहने वाले इसलिए चाहते थे कि पति-पत्नी दोनों को अजमेर में ही नियुक्ति मिल जाए, लेकिन अजमेर के मुकाबले कोटा के राजनेता ज्यादा ताकतवर रहे और सुनीता डागा के साथ-साथ उनके पति राजेश डागा की भी नियुक्ति अब कोटा में करवा दी है। अजमेर के एसडीओ बने एन.पी.सिंह की कहानी भी अजीबो गरीब है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में ननिहाल होने की वजह से सिंह अपने आप को सिधियां परिवार से जुड़ा हुआ मानते हैं, जब कांग्रेस का राज आता है तो गले में ज्योतिरादित्य सिधिया की तख्ती टांग लेते हैं और जब भाजपा का राज आता है तो वसुंधरा राजे तारणहार बन जाती हैं, लेकिन सिंह को यह अच्छी तरह पता है कि राजनीति में क्षेत्रीय विधायक की अपनी भूमिका होती है। सिधिया परिवार का भ्रम तो सिर्फ दिखाने के लिए होता है, लेकिन असली मदद तो उस क्षेत्र का विधायक करता है। राजनीति की इस गणित को समझते हुए सिंह ने पुष्कर के भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत के एक निकट रिश्तेदार से जयुपर की होटल में सीधी एप्रोच की और अजमेर जैसे शहर के एसडीओ बन गए। अजमेर एसडीओ के पद पर अनेक बार आईएएस की नियुक्ति हुई है और अजमेर एसडीओ का पद इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि पुष्कर एसडीओ का चार्ज भी अजमेर के पास ही रहता है। सरकार ने पुष्कर में एसडीओ का पद तो सृजित कर दिया, लेकिन नियुक्ति आज तक नहीं की है। इसलिए एन.पी.सिंह अजेमर के साथ-साथ भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत के निर्वाचन क्षेत्र पुष्कर के भी एसडीओ होंगे। अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिंह की वफादारी किसके प्रति होगी। अजमेर में महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक प्रियंका जोधावत बहुत समझदारी से चुपचाप अजमेर में ही डीआईजी स्टाम्प के पद पर चली गई हैं। जोधावत यह पद छोडऩा चाहती है, इसकी भनक उन्होंने अजमेर दक्षिण क्षेत्र की भाजपा विधायक और महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनीता भदेल को भी नहीं लगने दी। सरकार ने जोधावत की जगह अजमेर के अतिरिक्त कलेक्टर द्वितीय बंशीवाल मीणा की नियुक्ति की है।
तबदला लिस्ट जारी हुए दस दिन गुजर गए, लेकिन मीणा ने उपनिदेशक का पद नहीं संभाला है, इसलिए मंत्री भदेल के घर में ही उन्हीं के विभाग का महत्त्वपूर्ण पद खाली पड़ा है। असल में सरकार ने मीणा के स्थान पर नए अधिकारी की नियुक्ति नहीं की है। इसलिए जिला कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक ने मीणा को निर्देश दे दिए हैं कि जब तक नए अधिकारी की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक यह पद छोडऩे की जरुरत नहीं है। कलेक्टर ने साफ कह दिया है कि राज्य सरकार ने न्याय आपके द्वार जो अभियान चला रखा है, उसमें मीणा को केकड़ी क्षेत्र का प्रभारी बना रखा है। यदि मीणा को रीलीव कर दिया जाता है तो सरकार के ही अभियान पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इधर प्रियंका जोधावत की तो लॉटरी ही खुल गई है। जैसे ही जोधावत ने डीआईजी (स्टाम्प) का पद संभाला वैसे ही उन्हें एक और जिले का अतिरिक्त कार्यभार मिल गया है, अब दो जिलों के कितने सब रजिस्ट्रार उनके अधीन हंै इसकी जानकारी स्वयं जोधावत को भी फिलहाल नहीं है। अजमेर के अतिरिक्त कलेक्टर प्रशासन किशोर कुमार और अतिरिक्त कलेक्टर (शहर) हरफूल सिंह यादव के पैर पहले ही मजबूती के साथ गढ़े हुए हैं। ऐसे में इन दोनों अधिकारियों को फिलहाल अपनी कुर्सी हिलने का कोई डर नहीं है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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