अच्छा हुआ अजमेर में नगर परिषद या नगर निगम में अब तक नियुक्त रहे अफसरों खासकर प्रशासनिक अफसरों को जिंदगी मे कभी बिजली, पेयजल, रोडवेज, रेलवे, टेलीफोन, अस्पताल जैसी आवश्यक सेवाओं में नौकरी का मौका नहीं मिला। रेलवे और टेलीफोन तो उनके बस की बात भी नहीं है। वरना जानते हैं क्या होता ? वे उन सेवाओं के कर्मचारियों को भी सभी को एक साथ सप्ताह के हर रविवार को साप्ताहिक अवकाश दे देते, जैसे सफाई कर्मचारियों के मामले में करते हैं। तब होता क्या हर रविवार को ना बिजली आती, ना पानी आता, नो रोडवेज बसें चलती, ना अस्पतालों में कोई होता। यही बात आप रेलवे और टेलीफोन पर भी लागू कर सकते हैं। इन अफसरों को रोस्टर सिस्टम का या तो ज्ञान नहीं है या अतिआवश्यक सेवाओं का अर्थ वे जानना नहीं चाहते। सफाई ठेकेदार की शर्तों में सफाई कर्मचारियों के लिए साप्ताहिक अवकाश का नियम है और होना भी चाहिए परंतु यह साप्ताहिक अवकाश रोस्टर प्रणाली से होना चाहिए ना कि रविवार को एक साथ। नियम तो सुबह-शाम दोनों समय सफाई और सफाई कर्मचारियों के वर्दी पहनने का भी है, ना कि एक दिन में मात्र चार घंटे काम करने का। परंतु दुनिया में अजमेर एकमात्र शहर होगा जहां पूरे शहर के सफाई कर्मचारी रविवार को एक साथ साप्ताहिक अवकाश पर रहते हैं। यही हाल हर तीज-त्यौहार और अन्य मौकों पर छुट्टी के दिन रहता है। पिछले दिनों स्मार्ट सिटी पर सुझाव के लिए अजमेर के संभागीय आयुक्त डॉ़. धर्मेंद्र भटनागर ने पत्रकारों को बुलाया था। अजमेर विकास प्राधिकरण की आयुक्त स्नेहलता पंवार भी मौजूद थी। जब कुछ पत्रकारों ने उनसे सफाई को लेकर सवाल किए तो दोनों तपाक से बोले नगर निगम की बात मत कीजिए वह हमारे बस में नहीं है। जब उन्हें कहा गया कि संभाग के मुखिया होने के नाते तो आप सफाई कर्मचारियों के रोस्टर सिस्टम के लिए तो उन्हें पाबंद कर ही सकते हैं, तो उन्होंने इस पर सहमति जताई। सिर्फ सहमति। इस बात को करीब छह महीने होने जा रहे हैं। दोनों अफसर भी यहीं है और सारे पत्रकार भी यहीं। कुछ हुआ क्या ? निगम चुनाव हो रहे हैं पुराने पार्षदों से जवाब तो पूछिए और पार्षद बनने के लिए वोट मांगने आने वाले से इस बारे में वादा भी लीजिए। इस शहर में तो जो करना है, आप ही को करना है, आप ही को मरना है, क्योंकि शहर आपका है। अफसरों और पार्षदों को आना है और जेबें भर चले जाना है।
-राजेंद्र हाड़ा
1 thought on “सफाई कर्मचारियों की सामूहिक साप्ताहिक छुट्टी !”
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सप्ताह के बाकि दिन भी मोहल्ले में आये सफाई कर्मी बिना झाड़ू जमीन के छुए इस तरह सफाई कर चले जाते हैं कि मेरी समझ में साल भर वोही झाड़ू खर्च नहीं होती होगी. कुछ कहो तो ये ही कहते हैं हम तो टेम्परेरी हैं परमानेंट वाले तो आते ही नहीं दस जनों की हाजरी भरी जाती है हम पांच ही ड्यूटी कर रहे हैं तो हम ही काम क्यों करें.
कुल मिला कर पुरे कुँए में भंग पड़ी है.