महापौर की कुर्सी का आरक्षण होता कैसे है?

राजेंद्र हाड़ा
राजेंद्र हाड़ा
अजमेर में नगर परिषद से नगर निगम हो गया। वार्ड मेम्बर से पार्षद और अब कॉर्पोरेटर हो गए। मुखिया की कुर्सी का नाम भी अध्यक्ष से सभापति और महापौर हो गया परंतु क्या कोई बताएगा इनके आरक्षण की लॉटरी का सिस्टम क्या है ? सन् 1990 में अध्यक्ष की कुर्सी थी सामान्य पुरूष के लिए। भाजपा के बड़े बड़े दिग्गज मैदान में कूदे। धर्मेश जैन, शिवशंकर हेड़ा, पूर्णाशंकर दशोरा, रमेश चन्द्र जैन, वीर कुमार, डॉ. सुभाष माहेश्वरी, वीरेंद्र खटुमरा, कपूर चंद जैन, देवकीनंदन शर्मा, विजय मेहता वगैरह हरेक का ख्वाब था अध्यक्ष बनना। परिणाम आया तो सभी हार गए। अध्यक्ष बने बाजी यानि रतनलाल यादव। अन्य पिछड़ा वर्ग से थे। कोई विकल्प नहीं होेने के कारण उन्हें अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी गई। अगली बार 1995 में फिर आरक्षण की लाटरी निकली फिर सामान्य पुरूष के लिए तय अध्यक्ष की कुर्सी जो बाद में सभापति कहलाई के लिए चुनाव लड़ा वीर कुमार ने। अच्छी खासी तादाद से भाजपा वापस आई। वीर कुमार का आकस्मिक निधन हुआ। पद सामान्य पुरूष के लिए था। उपसभापति थीं विद्या कमलाकर जोशी। सामान्य थीं परंतु महिला होने के कारण सुरेंद्र सिंह शेखावत बाकी कार्यकाल के लिए सभापति बने। सन् 2000 में पद आरक्षित हुआ अनुसूचित जाति महिला के लिए और अनिता भदेल ने कुर्सी संभाली 55 पार्षदों के साथ। बीच में ही विधायक चुन ली गई। कुर्सी चूंकि अनुसूचित जाति महिला के लिए थी इसलिए सरोज जाटव ने बाकी कार्यकाल निकाला। 2005 में फिर सामान्य पुरूष का आरक्षण। धर्मेंद्र गहलोत अन्य पिछड़ा वर्ग थे परंतु कुर्सी उन्हें मिली। 2010 में पद हुआ अनुसूचित जाति के पुरूष के लिए और कांग्रेस के कमल बाकोलिया ने कुर्सी संभाली। अब 2015 में फिर कुर्सी सामान्य पुरूष के लिए आरक्षित हुई है। वार्ड हो गए हैं साठ। पांच चुनावों में से तीन दफा सामान्य पुरूष के लिए आरक्षण ? आखिर आधार क्या है ? सामान्य महिला के लिए आरक्षण कब होगा ? यूं तो अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जनजाति के महिला पुरूष के लिए भी आरक्षण होना है ? कहते हैं कि जो लॉटरी एक बार निकल जाती है उसे अगली दफा हटा दिया जाता है। ऐसा होता तो सामान्य पुरूष का पदं एक से ज्यादा दफा क्यों आया ? अगर लगातार पिछले दो दफा की स्थिति देखी जाती है तो अब तक क्या रहा ? अगर जनसंख्या को आधार बनाया जाता है तो यह बात गले नहीं उतरती कि सामान्य महिलाओं की जनसंख्या सामान्य पुरूषों के मुकाबले कम है ? घालमेल क्या है अगर आपकी समझ में आता है तो जरूर समझाना परंतु तर्क के साथ कुतर्क या बेतुकी बातों में उलझाने का नाकाम प्रयास ना करें।

-राजेंद्र हाड़ा

error: Content is protected !!