यूँ कुछ राहतें भी है पर मन खिन्न अधिक है..

Vimlesh Sharma
Vimlesh Sharma
मामला अजमेर विश्व विद्यालय से जुड़ी हमारी एम.ए. हिन्दी साहित्य की छात्राओँ के परीक्षा परिणाम का है…गत वर्ष की परिक्षाओँ में सभी छात्राओं को दो विषयों में अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया गया। हम स्वंय हतप्रभ थे परन्तु उस समय सबसे अधिक चुनौती का काम था उन कुम्हलाए चेहरो और आँखों से बहते ख्वाबों को सहेजने का..उन्हें हौंसला देने का..बहुत प्रयासों से उन आहत विश्वासों को फिर से जगाया गया. यहाँ यह उल्लेख करना जरूरी है कि यहाँ छात्राओं का वह वर्ग तालीम पाता है जो ग्रामीण परिवेश से आता है।ये मन उतने अधिक आत्मविश्वास से लबरेज नहीं होते जितना कि शहरी मन होता है। ये मन जल्द ही टूट जाते हैं..नियतिवादी औऱ समझौतावादी होते हैं। इन्हे देख देख बार बार सिमोन द बुआ की पंक्ति मन में कौंधती है कि स्त्री पैदा नहीं होती वरन् परिवेश गढ़ता है। खैर ! इन मनोंं की चिकित्सा का काम जारी रखते हुए इन आहत भावनाओं और कुम्हलाए चेहरों को मनुहारों से और स्नेह से संभाला गया और पूरे विभाग ने इन छात्राओं को अपनी लड़ाई खुद लड़ने को प्रेरित किया । सूचना के अधिकार के तहत दो छात्राओं की कॉपियाँ निकलवायी गयी औऱ देखनेे पर बहुत कुछ असामान्य और चौंकाने वाली चीजें सामने आयी। उत्तर पुस्तिका के भीतर औऱ बाहर दिए गए अंकों में भिन्नता थी। यहीं नहीं वहाँ दिए गए अंकों की लिखावट में भी अंतर था। जाँचकर्ता की लापरवाही हर स्तर पर नज़र आ रही थी परन्तु जब ये सभी बातें विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष रखी गयी तो उन्होंने सिर्फ यह कहकर मामले को रफा दफा किया कि कॉपियाें को पुनः जाँचा जा रहा है औऱ इस आश्वासन का नतीजा हमारी अाशा के अनुकूल सिफर ही था क्योंकि विश्वविद्यालय की साँख दाव पर थी। चूँकि काफी वक्त यूँही ज़ाया हो गया था औऱ अब पुनर्मुल्यांकन एक मात्र विकल्प बचा रह गया था जिसे आजमाया गया और अंततः यहाँ संघर्ष के कुछ सुफल प्राप्त हुए। सभी छात्राओं के अब प्राप्त नतीजों में 40 से 45 तक अंकों में बढ़ोतरी हुई है। परिणाम सुधर गए हैं , चेहरे खिले हैं पर व्यवस्था , परीक्षक औऱ विवि प्रशासन के खिलाफ हर मन में घोर आक्रोश है।
Vimlesh Sharma

error: Content is protected !!