जँहा चोबबिसों घण्टे रौनक लगी रहती थी । सबसे पुराना बाजार शहरवासियों की भावनाओं से जुड़ा हुआ बाजार चाहे कुछ खरीदना न हो फिर भी मदार गेट पर आना शहरवासियों के लिए मन्दिर जाने के समान होता है । वजह है इसकी यह एक ओपन डिपार्मेन्टल स्टोर है । जन्हाँ छोटे से छोटी व् हर प्रकार की वस्तु उपलब्ध हो जाती है । जैसे मन्दिर में भक्त की मुरादें पूरी होती है वैसे ही मदार गेट पर हर ग्राहक की जरूरतें पूरी होती है । लेकिन प्रशासन को यह बात दीगर कैसे लगती जाम लगता है के नाम पर आवागमन ही बन्द कर दिया ।अरे भाई अभी जितने जवान लगा रखें है आवागमन रोकने के लिए । इनसे आधे जवान लगा कर तो आवागमन को बहुत ही सुव्यवस्थित तरीके से चलाया जा सकता है। हमने यातायात सुव्यवस्थित करने के लिए अर्ज़ किया था न की आवागमन ही बन्द करने के लिए । अब क्या प्रशासन हटूण्डि में मदार गेट बसाएगा । या बसे बसाये मदार गेट को व्यवहारिक रूप से बसाने के लिए किसी व्यवस्था की जिम्मेदारी लेगा । या समस्या बताने पर समस्या खत्म करने के बजाय उजाड़ने की राह पर चलेगा । चूँकि एक व्यापारिक स्थल पर भीड़ भाड़ न हो और व्यापार भी हो दोनों विरोधाभासी बातें हैं । आप मदारगेट पर व्यापार की बात करें तो अधिकाधिक शहरवासी कैसे पहुंचे की व्यवस्था करने की बजाय यातायात ही बन्द कर दो यह तो समझ में नहीं आता ।क्या आप मदार गेट पर बगीचा लगाना चाहते हो ।
रेलवे स्टेशन पर भीड़ है ।क्या यातायात बन्द कर दोगे ।बस स्टेण्ड पर भीड़ है यातायात बन्द कर दोगे ।समस्या को सुव्यवस्थित करने की बजाय उजाड़ कर देना एक व्यथित मानसिकता के अलावा कुछ नहीं ।हाँ अगर आपने पार्किग की व्यवस्था करने के बाद बन्द किया होता तो समझ में आने वाली बात है । क्या सोच है प्रशासन व् जनप्रतिनिधियों की एक व्यापरिक स्थल पर भीड़ भाड़ नहीं होनी चाहिए । तेजवानी सर यह मेरी भावनएं थी । अगर कुछ जयादा हो गया हो तो माफ़ी चाहूँगा ।
