पत्रकारिता का यह कैसा उदाहरण प्रस्तुत कर रही है राजस्थान पत्रिका

6 करोड़ लोगो की मुखिया वसुंधरा राजे की खबर में उनका नाम और फ़ोटो तक छापना जरुरी नहीं समझा अखबार ने ••••
◆ अखबार को सरकारी विज्ञापन ना दिए जाने के कारण वसुंधरा राजे से नाराज है पत्रिका प्रशासन ••••

राकेश भट्ट
राकेश भट्ट
कहते है पत्रकारिता का कोई धर्म , मजहब या व्यक्ति विशेष नहीं होता है । पत्रकारिता हमेशा निष्पक्ष और निडर होती है । पत्रकारिता में कवरेज के दौरान किसी तरह का लोभ , लालच या ईर्ष्या भी नहीं की जा सकती । लेकिन जिस तरह से मंगलवार को पुष्कर और अजमेर की यात्रा पर आई राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यक्रम की आज राजस्थान पत्रिका जैसे देश के प्रमुख अखबार ने कवरेज छापी । उससे कई सारे सवाल खड़े हो गए है ।

राजस्थान पत्रिका जैसे बड़े अखबार ने अजमेर जिले में आई मुख्यमंत्री राजे के कार्यक्रमों से सम्बंधित खबरों में एक भी जगह उनकी फ़ोटो तक नहीं छापी । हद तो तब हो गई जब पूरी खबर के दौरान एक भी जगह अखबार ने उनका नाम लिखना तक जरूरी नहीं समझा । पूरे कवरेज के दौरान हर जगह केवल मुख्यमंत्री लिखकर ही इतिश्री कर दी गई ।

आखिर वसुंधरा राजे राजस्थान के 6 करोड़ लोगो का नेतृत्व कर रही है । राज्य की जनता ने उन्हें भारी बहुमत से चुनकर मुख्यमंत्री पद सौंपा है । लेकिन इसके बावजूद भी आखिर क्या वजह रही की पत्रिका जैसे प्रमुख अखबार ने ( जिसके करोड़ों पाठक है ) खबर में उनका नाम तक लिखना जरूरी नहीं समझा ।

आखिर यह किस तरह की पत्रकारिता का उदाहरण प्रस्तुत किया जा रहा है । दरअसल पिछले कुछ महीनो से राजस्थान सरकार ने राजस्थान पत्रिका को सरकारी विज्ञापन देने बंद कर दिए है । उसी से नाराज होकर पत्रिका प्रबंधन लगातार सरकार के खिलाफ उसे घेरने की खबरे प्रकाशित कर रहा है । अगर साधारण स्थिति में सरकार की गलतियों को उजागर करने और उसमे सुधार करवाने की खबरे प्रकाशित की जाती है तो यह अच्छी बात है , लेकिन केवल विज्ञापन नहीं मिलने के कारण जानबूझकर सरकार के खिलाफ खबरे छापना और अच्छे कामो के कवरेज में भी मुख्यमंत्री का नाम और उनकी फ़ोटो तक नहीं छापना , पत्रकारिता के गिरते स्तर का स्पष्ट प्रमाण है । जो वाकई चिंताजनक है ।

ख़ास बात यह है की अगर वाकई पत्रिका प्रबंधन को वसुंधरा राजे के नाम और चेहरे से इतनी चिढ़ है तो फिर उनकी पुष्कर यात्रा के दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधियो से लाखो रुपये लेकर विज्ञापन भी नहीं छापना चाहिए था । क्यों की विज्ञापन में तो राजे की फ़ोटो के साथ साथ उनका लंबा चौड़ा गुणगान भी किया गया था ।

मुख्यमंत्री की यात्रा का आज छापे गए कवरेज की चारो तरफ जबरदस्त चर्चा है और वाकई इस मामले से पत्रिका प्रबंधन द्वारा हमेशा निष्पक्ष पत्रकारिता किये जाने के दावो की भी पोल खुल गई है ।

राकेश भट्ट
प्रधान संपादक
पॉवर ऑफ़ नेशन
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