पुलिस का आमजन में खौफ!

नवीन वैष्णव
नवीन वैष्णव
पुलिस का नारा है आमजन में विश्वास और अपराधियों में भय लेकिन अजमेर पुलिस इसके विपरीत काम कर रही है। अजमेर शहर की पुलिस व्यवस्था पूरी तरह चैपट हो गई। शहर में जहां चोरियां थमने का नाम नहीं ले रही है वहीं लूट की वारदातें भी बढने लगी है। इसके बावजूद जिला पुलिस है कि कुम्भकमर्णी नींद में सोई हुई है। पुलिस आरोपियों को पकडने की बजाय आमजन को ही डरा रही है। शुक्रवार रात को बाईक सवार बदमाशों ने प्रभात टाॅकिज के पास स्थित माखीजा टावर में रहने वाले व्यवसायी रमेश खटवानी के साथ लूट की वारदात अंजाम दी। खटवानी अपनी दुकान से घर लौट रहे थे। उनके पास बैग में पांच लाख रूपए से अधिक की राशि थी। खटवानी की स्टेशन रोड स्थित दुकान से बदमाशों ने उनका पीछा किया और माखीजा टावर के बाहर रूपए से भरा बैग छीनकर भाग छूटे। एकाएक हुए घटनाक्रम से खटवानी सकते में आ गए। आस-पास के लोगों ने बाईक सवार बदमाशों को पकडने का प्रयास किया लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हो सके।
पांच लाख के पचास हजार
पीडित रमेश खटवानी के साथ हुई वारदात की जानकारी मिलते ही कोतवाली थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने पीडित खटवानी से वारदात के संबंध में जानकारी जुटाई। इसके बाद पुलिस ने बैग में रखी रकम के संबंध में इस तरह पूछताछ शुरू कर दी जैस कि खटवानी खुद वह राशि कहीं से चुरा कर लाए हों। पुलिस के सवालों से खटवानी घबरा गए और जैसे पुलिसकर्मियों ने उन्हें समझाया, इसी आधार पर उन्होंने पचास हजार रूपए से भरा बैग बाईकर्स द्वारा उडाने की रिपोर्ट दे दी। अब सवाल यह उठता है कि पुलिस का खौफ किसमें है वारदात अंजाम देने वाले आरोपियों में या फिर इनका शिकार बनने वाले आमजन में?
यह कोई पहली घटना नहीं है कई बार ऐसा होता है कि पुलिस आमजन के साथ घटित घटना को दबाने के लिए उन्हें ही डरा धमका देती है जिससे कि मामला दर्ज ना हो। मदार क्षेत्र में अभी पिछले पांच दिन से रोजाना चोरी की वारदातें हो रही है। जब पीडित शिकायत लेकर पुलिस के पास जाता है तो पुलिस उसे यह कहकर लौटा देती है कि गलती तेरी है तूझे घर को सूना छोडकर जाना ही नहीं चाहिए। इस तरह उसकी शिकायत दर्ज करने की बजाय चोरी का जिम्मेदार उसे ही ठहरा दिया जाता है।
नवीन वैष्णव

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