छात्रसंघ चुनावो ने बीजेपी नेताओ को दिखाई जमीन

जातिवाद की राजनीति में हारी एबीवीपी
यही हाल रहा तो आने वाले पालिका चुनावो में भी मजबूत होगी जातिवाद की राजनीति, कई नेताओ के बिखर जाएंगे सपने

राकेश भट्ट
राकेश भट्ट
पुष्कर की राजकीय कॉलेज में संपन्न हुए छात्रसंघ चुनावो में आज पहली बार एन एस यु आई ने एबीवीपी का सूपड़ा साफ़ करते हुए बीजेपी को सभी पदों पर ना सिर्फ करारी शिकस्त दी बल्कि हवा में बाते करके चुनावी बिसात बिछाने के दावे करने वाले कई नेताओ को जमीन भी दिखा दी । यह हार तमाचा है उन नेताओ के गालो पर , जिन्होंने मतदाताओ को अपनी जागीर और चुनावो को खेल समझ रखा था ।

हालांकि बीजेपी के नेता अब इस करारी हार के बाद इसे जातिवाद का कारण मान रहे है । क्या यहाँ के नेताओ को पहले पता नहीं था की इस कॉलेज में ब्राम्हण मतदाताओ से ज्यादा संख्या अन्य जाती के छात्रो की है । क्या यहाँ के नेताओ को यह पता नहीं था कि जब छोटे स्तर के चुनावो से लेकर विधायक और सांसद तक के सभी चुनावो में टिकिट योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि जातिगत समीकरण देखकर ही दिए जाते है ।

हार के बाद सोशल मिडिया के कई ग्रुप में इस बात की जबरदस्त बहस चल रही है की सभी जातियो के छात्रो ने एकजुट होकर ब्राम्हण वर्ग के खिलाफ मतदान किया । सभी से एक होने की मार्मिक अपील भी की जा रही है । लेकिन मेरे दोस्तों हकीकत यह है कि एबीवीपी के उम्मीदवार को तो ब्राम्हण वर्ग के भी वोट नहीं मिले । बल्कि उसके हार की वजह ही यह है की उसे इनका भी समर्थन नहीं मिला ।
मेरा मानना है की जातिवाद की राजनीति के कारण आज जो हालात छात्रसंघ चुनावो में हुए है वही हालात आने वाले नगर पालिका चुनावो में भी होंगे । क्यों की जिस तेजी से पुष्कर के बाहरी क्षेत्रो में अन्य जातियो एवम् एक समुदाय विशेष के लोगो की संख्या बढ़ती जा रही है । उसका असर पालिका चुनावो पर भी जमकर पडेगा । यदि आज के हालात पर भी गौर करे तो बीस में से बारह , तेरह वार्डो में ब्राम्हण समुदाय से ज्यादा अन्य लोगो का संख्या बल नजर आने लगा है । और आने वाले तीन सालो बाद जब फिर से पालिका चुनाव होंगे तब तक ना जाने यह स्थिति कहाँ पहुँच जायेगी ।

यदि ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब विधायक और सांसद के उम्मीदवारों की तरह पालिका चुनावो में भी जातिगत वोट बैंक को आधार बनाकर टिकिट बांटे जाएंगे । और यदि ऐसा हुआ तो पालिकाध्यक्ष बनने के सपने देखने वाले कई नेताओ का तो गर्भ में ही दम घूंट कर रह जाएगा । यहाँ के वार्डो में भी उसी जाति के व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया जाएगा जिसकी जातिगत पकड़ मजबूत होगी । फिर चाहे वह नोसिखिया या बेकार ही क्यों ना हो ।

*इसलिए अभी भी समय है । सभी को साथ लेकर चलने की , निस्वार्थ भाव से सम्पूर्ण पुष्कर का विकास करवाने की , जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी को समान रूप से देखने की , और सबसे बड़ी बात आम नागरिको और आम कार्यकर्ताओ को पूरा सम्मान देकर उसके सभी जायज कामो को पूरा करवाने की राजनीति होनी चाहिए ।*

*राकेश भट्ट*
*प्रधान संपादक*
*पॉवर ऑफ़ नेशन*
*मो. 9828171060*

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