सत्य किशोर सक्सेनाजवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय की दुर्दशा दिन ब दिन बिगड़ती ही जा रही है । सन १८६० में रानी विक्टोरिया के सिंहासन उत्सव के अवसर पर स्थापना की गई थी , इसलिये ही इसका प्रारम्भिक नाम विक्टोरिया अस्पताल रहा है । सन् १९६० में मेडीकल कालेज की स्थापना के साथ ही नाम ज.ला. ने. अस्पताल रखा गया ।तब यह राजस्थान का सर्वाधिक साधनों युक्त व श्रेष्ठतम डाक्टरों की टीम का केन्द्र था तथा हर डाक्टर यहाँ ही पद स्थापन चाहता था । इसकी बिगड़ती स्थिति को सुधारने के लिये मेरे द्वारा लगभग १२ वर्ष पूर्व एकजनहित याचिका भी प्रस्तुत की गई थी जिसमें तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अनिल देव सिंह जी ने भी प्रभावकारी आदेश सरकार व विशेषत: मेडीकल सचिव रामलुभाया जी को दिये थे लेकिन तत्कालीन प्राचार्य मेडीकल कालेज डा.सिंघल द्वारा प्रगति में सहयोग नही किया तथा शायद व्यक्तिगत मुद्दा बनाया गया। सरकारों ने भी उपेक्षा की । अभावों की लिस्ट इतनी बड़ी है कि इस ब्लाग में नही वर्णित की जा सकती है । जन प्रतिनिधि भी पद पर रहते सवंय हित में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि सर्व हितार्थ कार्य उपेक्षित रह जाते हैं।फिर भी कांग्रेस की अच्छी पहल है परन्तु इस मुद्दे पर पूर्ण अध्ययन व विचार विमर्श के उपरांत पेपर/ ज्ञापन तैयार कर सरकार को प्रस्तुत कर उसकी पूर्णत: पालना तक प्रयास रत रहने का संकल्प लिया जाना चाहिये । सत्य किशोर सक्सेना , एडवोकेट
अजमेर ।मो-9414003192