केवल वाहवाही के शौकीन हैं बोर्ड अध्यक्ष डॉ. गर्ग

ऐसा लगता है कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सुभाष गर्ग केवल वाहवाही के शौकीन हैं। इसी वाहवाही के लिए मीडिया कर्मियों के साथ खूब गपशप करते हैं। अपनी तारीफ छपवाने के लिए मीडिया फ्रेंडली बने डॉ. गर्ग तब कन्नी काट लेते हैं, जब बोर्ड में कोई गड़बड़ी होती है।
हाल ही दैनिक भास्कर के युवा पत्रकार गिरीश दाधीच ने जब उत्तर पुस्तिका की जांच में घोर लापरवाही का मामला उजागर किया तो जाहिर तौर पर सभी मीडिया कर्मी उनसे मिल कर पूरी जानकारी लेना चाहते थे, मगर वे पूरे दिन उनसे बचते रहे। उन्होंने उन्हें मामले का खुलासा करने के लिए समय देना उचित नहीं समझा। खबर छापने वाले पत्रकार दाधीच को भी मात्र इतना बता कर इतिश्री कर ली कि उन्होंने सचिव को इस मामले में प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दे दिए हैं। सचिव मिरजूराम शर्मा को अधिकृत किया गया है, वे ही इस प्रकरण में जवाब देंगे।
ज्ञातव्य है कि जब बोर्ड में कोई उपलब्धि की बात आती है तो खुद पत्रकारों को बुला कर उसका बखान करते हैं। नया बाजार से बढिय़ा से बढिय़ा मिठाई-नमकीन मंगवा कर खिलाते हैं। लंबी देर तक बतियाते रहते हैं। तब बोर्ड सचिव की कोई पूछ नहीं होती। यहां तक कि बोर्ड की ओर से जारी होने वाले बड़े समाचारों में भी अपना नाम डलवाते हैं, मगर जब भी रुटीन की जानकारी हो अथवा स्पष्टीकरण देना हो तो बोर्ड सचिव को आगे कर देते हैं। डॉ. गर्ग की मिजाजपुर्सी करवाने की आदत से बोर्ड कर्मचारी भी वाकिफ हैं, इस कारण उन्होंने उसी हिसाब से उनसे ट्यूनिंग बैठा रखी है।
ताजा प्रकरण में घोर लापरवाही हुई है, जिससे बोर्ड की वर्षों पुरानी साख पर बट्टा लग गया है। उस पर भी बोर्ड सचिव शर्मा ने मात्र यह कह कर मामला समाप्त कर दिया कि अंकों की पुनर्गणना जांच में प्रक्रिया संबंधी मानवीय भूल हुई है। बेशक यह मानवीय मानवीय भूल है, जानबूझ कर किया गया कृत्य नहीं, मगर इससे यह तो खुलासा तो हुआ ही है कि बोर्ड प्रशासन की व्यवस्थाएं कितनी लुंजपुंज हैं। उसकी वजह से छात्र महावीर बोहरा का एक साल खराब हो गया। सप्लीमेंट्री के कारण वह कॉलेज में प्रवेश भी नहीं ले सका। लापरवाही का आलम ये है कि खुद शर्मा को स्वीकार करना पड़ा कि बोर्ड के कार्मिक ने उतर पुस्तिका के अंकों और अंकतालिका के दर्ज अंकों में भिन्नता के बारे में संबंधित पत्रावली पर लिखा, परन्तु पत्रावलियों की छंटाई में हुई मानवीय त्रुटि से इस परीक्षार्थी को अपरिवर्तित परिणाम रहने की सूचना प्रेषित हो गई। विद्यार्थी ने जब अपनी उतर पुस्तिका की फोटो प्रति चाही तो उसे उक्त त्रुटि का पता चला।
भास्कर ने खुलासा किया है कि बोर्ड की पुनर्गणना व्यवस्था पहले भी सवालिया हो चुकी है। बोर्ड की गलती का खामियाजा हनुमानगढ़ की एक छात्रा भी भुगत चुकी है। इस छात्रा को बोर्ड ने मात्र 5 अंक देकर पुनर्गणना में भी नो-चेंज का परिणाम बताया था। लेकिन जब कोर्ट में उत्तर पुस्तिका मंगाई गई, तो बोर्ड की पोल खुल गई। छात्रा को 35 अंक मिले थे। कोर्ट ने पिछले माह ही बोर्ड पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी किया है।
बोर्ड की इस लापरवाही पर अगर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बोर्ड अध्यक्ष डॉ. सुभाष गर्ग के इस्तीफे की मांग कर रहा है तो वह वाजिब ही है। यहां ज्ञातव्य है कि बोर्ड में एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं। राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम)की महामंत्री सावित्री शर्मा के मुताबिक बोर्ड में बोहरा के अंक प्रकरण के अलावा भी आरटेट का पेपर परीक्षा से पूर्व बाजार में बिका, डॉ. गर्ग के कार्यकाल में ही रद्दी घोटाला हुआ और सवाई माधोपुर कांड भी हुआ। इन प्रकरणों को देखते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग की गई है कि बोर्ड अध्यक्ष को तत्काल हटाया जाए।
-तेजवानी गिरधर

1 thought on “केवल वाहवाही के शौकीन हैं बोर्ड अध्यक्ष डॉ. गर्ग”

  1. सिर्फ वाह वाह ही नहीं कोई डर भी नहीं है क्यों की लोगो को डरा रखा है ये कह कर की मेरे ऊपर अशोक गहलोत का हाथ है.

    और बेशर्मी में आजकल ये राजस्थान लोक सेवा आयोग के छोटे भाई हो रहे है.

Comments are closed.

error: Content is protected !!