इंसानियत क़ी राह मे इंसान चाहिए

बचपन मे एक गाना सुनती थी ” तू हिन्दू बनेगा , या मुसलमान  बनेगा ..इन्सान  की औलाद है इंसान बनेगा ” और एक गाना  ” देख तेरे संसार  क़ी हालत क्या हो गयी भगवान , कितना बदल गया इंसान ”
– पर आज देखने  को कही मिल रहा है ?
-इंसान और इंसानियत  कही खो  सी  गयी है .
-लुट पाट , चोरी  , डाका , हत्या  , बलत्कार और ना जाने क्या क्या हो रहा है इस देश मे
हमारे पूर्वज कहते थे क़ि हम लोग रात हो या दिन अपने घरो मे ताले  नहीं लगाते थे
क्या आज ये संभव  है ???? नहीं
-और सब से बड़ी बात माता , पिता बच्चो को संस्कार देना जैसे भूल ही गए है
– हम अपने बच्चो  को 31st   दिसम्बर  तो याद दिलाते है , पार्टी करते है ,पर उनेह अपना हिन्दुओ का नूतन वर्ष  याद नहीं दिलाते
उनेह जनवरी , फरवरी याद है , पर चेत्र , वैसाख  याद नहीं
किस किस को दोष दे ये तो घर घर क़ि कहानी सी हो गयी है
-आये दिन अखबार मे पढ़ते रहते है .. यहाँ झगड़ा , वह झगडा ..
-ऐसा क्यों ??? क्या सब  खून का रंग अलग अलग  है ???
नहीं तो फिर ये सब क्यों ???
-बहुत बड़ी सच्चाई है  क़ि आज कल हर बड़ा इंसान ( नेता भी कह सकते है ) अपने से छोटो का शोषण  कर रहे है .
ये इतने स्वार्थी  और लालची हो गए है क़ि अपने मतलब के लिए अपनों का ही खून , या  हत्या करवा देते है
और इस बात का इतिहास  गवाह  है , क़ि  कितने ही लोगो ने सत्ता क़ि लालच मे ये काम किया है
– क्या इनेह कभी इस बात का अहसास  नहीं क़ि जो हमने किया  अपनों के साथ , वही हमारे बच्चे  हमारे साथ कर सकते है
आज देश महगाई , भ्रस्टाचार से  बुरी तरह से गुजर रहा है
-क्या किसी ने भी इन सब से मुक्त होने क़ि सोची
नहीं ????
कभी हम अन्ना  के साथ , तो कभी बाबा राम देव  के साथ
-क्या हमारा खुद का  ज़मीर कही मर गया है ???
यदि नहीं तो फिर क्यों हम आज ये सब बर्दास्त  कर रहे है ,
भारत बहुत बड़ा देश है , यहाँ 125  करोड़ क़ि जनसंख्या  है . यदि इन मे से 1  करोड़ यूवा खड़े हो जाये
तो उम्मीद क़ि जा सकती है , अच्छे  संस्कारो  क़ी , अच्छी   शिख्चा  और उन्नत भारत क़ी

-आज भी वक़्त है हमारे पास  फिर न कहे क़ी ये सब कैसे और कब हुआ
जागो भाइयो और बहनों
आज़ाद भारत को फिर से नई आज़ादी क़ी सख्त जरुरत  है
अंत मे यही कहूँगी
: ना  हिन्दू  , ना सिख  , ना मुसलमान  चाहिए
इंसानियत क़ी राह मे इंसान चाहिए
बजता था जिसका डंका , हमें फिर से वो महान हिन्दुस्तान  चाहिए
जय हिंद , जय भारत

वनिता जेमन
संगठन मंत्री
शहर जिला भाजपा, अजमेर

1 thought on “इंसानियत क़ी राह मे इंसान चाहिए”

  1. I am fully agree with Smt Vanitaji’s views and words that we have incresed our populations but real human beings have been left just limited. How many of us will come to help an accident victims on a road.?Yes I know that few will think that one should not invite avoidable police problems but what about the medical care to an injured person..We have lost our HUMANITARISM. We have time for friends,cinema and shopping but we have no time to sit with our aging parents even for few minutes.We must do some thing to save humanity and get back that helping hand Indians.

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