मुग़ल काल के मोबाइल टावर…

facebook_1509193754150अजमेर से आगरा तक निश्चित दूरी पर बने ये दर्जनों मुग़लकालीन कोस मीनार उस ज़माने में भी तत्काल संदेश प्राप्त करने की उत्सुकता के प्रतीक है । इतिहासविद कहते हैं कि जब अकबर संतान प्राप्ति की आस लिए ख्वाजा गरीब नवाज की शरण में अजमेर आया तो उसने इन मीनारों पर तैनात मुनादी वालों की सहायता से आगरा में गर्भवती बेगम की ओर से कोई भी खबर तत्काल (ध्वनि की गति से 330 m/s travelling 400 km) प्राप्त करने की व्यवस्था की । आज आप अजमेर से आगरा बाइ रोड जाएं तो अभी भी कई बचे खुचे कोस मीनार आपको नज़र आएंगे जिन्हें पुरातत्व विभाग ने अपने संरक्षण में लिया हुआ है । सदियां निकल जाने के बाद भी तत्काल संदेश या सूचना प्राप्त करने की उत्कंठा बरकरार है । कोस मीनारों की जगह आज मोबाइल टावरों ने लेली है और ध्वनि के बजाए हम प्रकाश की गति (3लाख किमी प्रति सेकंड) से हाल चाल, कहाँ हो, नाश्ते में क्या खाया से लेकर सूचना प्रबंधन के विशाल पर अदृश्य डिजिटल ढेर के लेन देन और भंडारण और प्रबंधन में उलझे से हैं और परेशान होकर कोस रहे हैं ।

इंजीनयर व जाने माने बुद्धिजीवी अनिल जैन की फेसबुक वाल से साभार

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