पुष्कर में विदेशियों के नंगेपन को कौन रोकेगा?

जगतपिता ब्रह्मा की नगरी व तीर्थ गुरु पुष्कर में अव्यवस्थाओं को लेकर जागृति आई है। तीर्थ पुरोहित संघ के संयोजक श्रवण पाराशर समेत सामाजिक कार्यकर्ता व वकील अशोक सिंह रावत, राजेंद्र महावर और महेंद्र सिंह रावत ने वकील कमल सिंह राठौड़, विकास पाराशर, सुषमा गुर्जर, लक्ष्मीकांत और मुनेश तिवारी के जरिए विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम की धारा 22 बी के अन्तर्गत स्थाई लोक अदालत में जनहित याचिका दायर की है। ये अच्छी बात है।
याचिका में मूलभूत सुविधाओं के अभाव से लेकर चहुंओर पसरी अव्यवस्था, पौराणिक काल से मदिरा व मांसाहार पर प्रतिबंध के बावजूद सरकारी अमले की लापरवाही व मिलीभगत से हो रही खुले आम बिक्री जैसे अहम मुद्दों को उठाया गया है। जिक्र ड्रग्स का ट्रांजिट सेंटर बनने और विदेशी पर्यटकों द्वारा नशे में मदहोश हो कपड़े उतारकर मुख्य सड़कों पर नग्न प्रदर्शन का भी है। बेशक इसके लिए जिला प्रशासन, पुलिस व स्थानीय नगर पालिका प्रशासन सहित अन्य विभाग जिम्मेदार हैं। याचिका के बाद जाहिरा तौर पर कोर्ट के आदेश पर विभागों की डेबरी कसी जाने की उम्मीद है, मगर क्या इतने भर से पुष्कर की पवित्रता कायम रह पाएगी? मेले में तीर्थ यात्रियों के लिए व्यवस्थाएं होनी ही चाहिए, मगर उससे भी बड़ी है पुष्कर की पावन धरा की महत्ता को बरकरार रखना। ये केवल पुलिस व प्रशासन के भरोसे संभव नहीं है।
सब जानते हैं कि तीर्थराज की सड़कों पर विदेशी पर्यटकों का सरेआम अश्लील प्रदर्शन और हंगामा अब आम होता जा रहा है। कभी वे सरे राह नग्न हो कर पुष्कर की पौराणिक मर्यादा को भंग करते हैं तो कभी उठाईगिरों की तरह उत्पात मचाते हैं। इस प्रकार के अधिकतर मामलों में पाया गया है कि वे मादक पदार्थ का अत्यधिक सेवन के कारण मानसिक संतुलन खो देते हैं। उन्हें कब्जे में लेने में ही पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। रहा सवाल उनके खिलाफ कार्यवाही का तो संबंधित देश के दूतावास को सूचित कर उन्हें यहां से रवाना करने के सिवा पुलिस के पास और कोई चारा नहीं होता। इस फौरी कार्यवाही के कारण विदेशी बेखौफ हो कर खुले सांड की तरह पुष्कर में ऐसे विचरते हैं, मानो अतिथि देवा भव की परंपरा वाला यह देश उनकी चरागाह है। वे चाहे जो करें, कोई कुछ कहने वाला नहीं है।
यह हालत उस तीर्थ स्थल की है, जिसके बारे में वेद पुराणों में कहा गया है, पर्वतानां यथा मेरू, पक्षिणाम् गरुड़: यथा: तदवत समस्त तीर्थाणाम् आदि पुष्कर मिष्यते अर्थात जिस प्रकार पर्वतों में सुमेरू पर्वत और पक्षियों में गरुड़़ का शिरोमणि महत्व है, उसी प्रकार समस्त तीर्थ स्थलों में पुष्कर तीर्थ सर्वोपरि तीर्थ है। पुराणों में उल्लेख है कि पृथ्वी के तीन नेत्र हैं, इनमें प्रथम और प्रमुख नेत्र पुष्कर है। पुष्कर नगरी को पृथ्वी का प्रथम नेत्र कहलाने का सौभाग्य प्रजापति ब्रह्मा के आशीर्वाद से प्राप्त हुआ है, जिन्होंने इसी नगरी से सम्पूर्ण बह्मांड की रचना की। ऐसे महान तीर्थराज की दुर्गति देख कर तो ऐसा लगता है कि यहां का कोई धणी-धोरी ही नहीं है।
यह सही है कि सरकार पुष्कर के विकास के प्रति सतत प्रयत्नशील है। पर्यटन महकमे की ओर किए जाने वाले प्रचार-प्रसार के कारण यहां विदेशी पर्यटक खूब आकर्षित हुए हैं और सरकार की आमदनी भी बढ़ी है, मगर विदेशी पर्यटकों के ऊलजलूल तरीके से अंग प्रदर्शन करते हुए विचरण करने से यहां की मर्यादा और पवित्रता छिन्न-भिन्न हुई है। मगर अफसोस कि उन्हें कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। इस मामले में तीर्थ पुरोहितों से तो दरगाह के खादिम ही अच्छे हैं, जिन्होंने कैटरीना कैफ के उघाड़ी टांगों में जियारत करने पर हंगामा कर दिया और आखिर उसे माफी मांगनी पड़ी।
होना तो यह चाहिए कि विदेशी पर्यटकों को यहां आने से पहले अपने पहनावे पर ध्यान देने के निर्देश जारी किए जाने चाहिए। जैसे मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारे में जाने से पहले सिर ढ़कने और जूते उतारने के नियम हैं, वैसे ही पुष्कर में भ्रमण के भी अपने कायदे होने चाहिए। यद्यपि इसके लिए कोई ड्रेस कोड लागू नहीं किया सकता, मगर इतना तो किया ही जा सकता है कि पर्यटकों को सख्त हिदायत हो कि वे अद्र्धनग्न अवस्था में पुष्कर की गलियों या घाटों पर नहीं घूम सकते। होटल के अंदर कमरे में वे भले ही चाहे जैसे रहें, मगर सार्वजनिक रूप से अंग प्रदर्शन नहीं करने देना चाहिए। इसके विपरीत हालत ये है कि अंग प्रदर्शन तो दूर विदेशी युगल सार्वजनिक स्थानों पर आलिंगन और चुंबन करने से नहीं चूकते, जो कि हमारी संस्कृति के सर्वथा विपरीत है। कई बार तो वे ऐसी मुद्रा में होते हैं कि देखने वाले को ही शर्म आ जाए। जब स्थानीय लोग उन्हें घूर-घूर कर देखते हंै, तो उन्हें बड़ा रस आता है। जाहिर तौर पर जब दर्शक को ऐसे अश्लील दृश्य आसानी से सुलभ हो तो वे भला क्यों मौका गंवाना चाहेंगे। स्थिति तब और विकट हो जाती है जब कोई तीर्थ यात्री अपने परिवार के साथ आता है। आंख मूंद लेने के सिवाय उसके पास कोई चारा नहीं रह जाता।
यह भी एक कड़वा सत्य है कि विदेशी पर्यटकों की वजह से ही पुष्कर मादक पदार्थों की मंडी बन गया है, जिससे हमारी युवा पीढ़ी बर्बाद होती जा रही है। इस इलाके एड्स के मामले भी इसी वजह से सामने आते रहे हैं। जहां तक प्रशासन व पुलिस तंत्र का सवाल है, उन्हें तो नौकरी और डंडा बजाने तक से वास्ता है। वह तो कानून और व्यवस्था का पालन ही ठीक से करवा ले, तो काफी है। असल में उसकी तो हालत ये है कि मुंबई ब्लास्ट का मास्टर माइंड व देश में आतंकी हमले करने का षड्यंत्र रचने के आरोप में अमेरिका में गिरफ्तार डेविड कॉलमेन हेडली के पुष्कर आ कर चले जाने तक की हवा भी नहीं लगती। ऐसे में पुष्कर की पवित्रता की जिम्मेदारी संस्कृति की वाहक आमजन की है। उसमें सर्वाधिक दायित्व है तीर्थ पुरोहितों व पुष्कर के नाम पर संस्थाएं चलाने वालों का। यह सही है कि तीर्थ पुरोहितों ने पुष्कर की पवित्रता को लेकर अनेक बार आंदोलन किए हैं, पर कहीं न कहीं वे भी स्थानीय राजनीति के कारण आंदोलनों को प्रभावी नहीं बना पाए हैं। तीर्थ पुरोहित पुष्कर में प्रभावी भूमिका में हैं। वे चाहें तो सरकार पर दबाव बना कर यहां का माहौल सुधार सकते हैं। यह न केवल उनकी प्रतिष्ठा और गरिमा के अनुकूल होगा, अपितु तीर्थराज के प्रति लोगों की अगाध आस्था का संरक्षण करने के लिए भी जरूरी है। विश्व हिन्दू परिषद को ही लीजिए, उसने केंद्र व राज्य सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए यह तो कह दिया कि उर्स के लिए जहां सरकार तीन सौ करोड़ की घोषणा कर रही है, वहीं पुष्कर मेले के लिए महज सवा करोड़ की ही घोषणा की गई, मगर क्या कभी उसने विदेशियों के स्वच्छंद विचरण पर रोक के लिए अपने स्तर पर भी कुछ किया है? केवल सरकार व प्रशासन से उम्मीद करना बेमानी है। अगर वाकई उसे पुष्कर की महत्ता की चिंता है तो उसे अपने स्तर भी कुछ तो करना ही होगा।
-तेजवानी गिरधर

1 thought on “पुष्कर में विदेशियों के नंगेपन को कौन रोकेगा?”

Comments are closed.

error: Content is protected !!