क्यों नहीं हो रहा कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष का चुनाव?

अजमेर की कृषि उपज मंडी समिति के अध्यक्ष श्री सिरोनारायण मीणा के निधन को सात माह से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है, मगर उनके स्थान पर नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं कराया जा रहा है। समिति की उपाध्यक्ष श्रीमती शहनाज ही कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में काबिज हैं।
नियमानुसार किसी भी सदस्य अथवा पदाधिकारी का निधन होने पर उपचुनाव छह माह के भीतर हो जाना चाहिए। वह समयावधि भी बीत चुकी है, मगर कृषि विपणन निदेशालय ने चुप्पी साध रखी है। कायदे से मीणा के स्थान पर नए अध्यक्ष का चुनाव कराने से पहले उस वार्ड नंबर का उपचुनाव कराया जाना जरूरी है, जहां से कि पूर्व अध्यक्ष सिरोनारायण निर्वाचित हुए थे। यह वार्ड अनुसूचित जनजाति के

लिए आरक्षित है और अध्यक्ष का पद भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
ज्ञातव्य है कि मीणा ने गत 29 सितंबर 2011 को अध्यक्ष पद संभाला था, मगर दुर्भाग्य से 6 नवंबर 2011 को उनका निधन हो गया। इस पर 18 नवंबर को उनके स्थान पर उपाध्यक्ष श्रीमती शहनाज ने कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाल लिया। मंडी प्रशासन ने 1 दिसंबर 2011 को निदेशालय को पत्र लिख कर अध्यक्ष मीणा के निधन की जानकारी देते हुए मार्गदर्शन मांगा। इस पर 13 दिसंबर को संयुक्त निदेशक ने मंडी सचिव को पत्र लिख कर कहा कि कृषक निर्वाचन क्षेत्र के रिक्त हुए पद का उपचुनाव संपन्न होने के बाद ही अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। अत: उक्त पद के उपचुनाव का प्रस्ताव बना कर भेजा जाए।

मं

डी प्रशासन ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की। इस पर मंडी समिति की 17 जनवरी 2012 को हुई आम बैठक

में बाकायदा प्रस्ताव पारित किया गया कि वार्ड संख्या दो के उपचुनाव के लिए प्रस्ताव निदेशलय को भेजा जाए। इसके बाद भी जब प्रस्ताव नहीं भेजा गया तो यही समझा जा रहा था कि कार्यवाहक अध्यक्ष

श्रीमती शहनाज के दबाव की वजह से मंडी सचिव इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं। रुचि न लेने की वजह ये ब

ताई जा रही थी कि अगर चुनाव हुए तो स्वाभाविक रूप से दुबारा जो अध्यक्ष बनेगा वह अनुसूचि
त जनजाति का ही होगा, वह चाहे वार्ड दो से चुना गया सदस्य हो अथवा अनुसूचित जनजाति की हगामी देवी। उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जनजाति के लिए एक ही वार्ड नंबर दो आरक्षित है, जबकि हगामी सामान्य वार्ड से जीत कर आई हैं। चुनाव होने पर शहनाज को अध्यक्ष पद छोडऩा पड़ता, इस कारण यही माना गया कि उनकी प्रस्ताव भेजने में रुचि नहीं है, लेकिन बाद में प्रस्ताव भेज दिया गया तो यह संश

 

य समाप्त हो गया। अब स्थिति ये है कि उस प्रस्ताव को निदेशालय ने दबा रखा है। इसमें शहनाज का कोई दबाव है अथवा राज्य स्तरीय राजनीति की दखलंदाजी, कुछ नहीं कहा जा सकता। कुल मिला कर उप चुनाव समय पर न होने से जहां नियम की अवहेलना हो रही है, वहीं मंडी का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है।

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