बारूद के मुहाने पर बैठा है हमारा अजमेर?

भले ही अपने आंचल में दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज और तीर्थराज पुष्कर को समेटे अजमेर को सांप्रदायिक सौहार्द्र के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता हो, मगर हकीकत ये है कि यह आज बारूद के ढ़ेर पर बैठा है। दरगाह इलाके और पुष्कर में अंडरवल्र्ड की बढ़ती गतिविधियों के चलते यहां किसी भी वक्त बड़ा आतंकी वारदात हो सकती है। इसी प्रकार किशनगढ़ की मार्बल मंडी में देशभर के लोगों की आवाजाही पर खुफिया नजर न रही तो भी किसी दिन कोई आतंकी घुसपैठ कर दहशत को अंजाम दे सकता है। संभव है सुकून से जी रहे अजमेर जिले के लोगों को ये पंक्तियां अतिश्योक्तिपूर्ण लगें, मगर सच्चाई यही है कि दरगाह में हुई बम विस्फोट की घटना के बाद हाल ही में मिले 14 जिंदा हैंड ग्रेनेड इशारा करते हैं कि अजमेर बारूद के मुहाने पर बैठा है। आनासागर झील की चौपाटी के नजदीक एस्केप चैनल की सफाई के दौरान बरामद हुए बम, एक खुखरी और चाकू ने शांत नजर आने वाला अजमेर को यकायक किसी बड़ी आशंका की आगोश में ले लिया है। आयुध विशेषज्ञों का मानना है कि ये हथगोले 300 मीटर तक मार कर सकते थे और 150 मीटर के दायरे में भारी तबाही मचा सकते थे। चौंकाने वाला तथ्य ये है इन बमों को एक सप्ताह के भीतर ही रखा गया था। नगर निगम प्रशासन ने करीब एक सप्ताह पूर्व ही एस्केप चैनल की जब सफाई करवाई थी तो उस समय कुछ नहीं मिला था। यानि की इन बमों के पीछे कोई ताजा साजिश जुड़ी हुई है।
हालांकि त्वरित कार्यवाही करते हुए इन्हें शहर से दूर सुनसान इलाके में नष्ट कर दिया गया, मगर इस सनसनीखेज घटना के साथ अनके सवाल मुंह बाये खड़े हैं। मसलन ये हथगोले कहीं शहर में आतंक मचाने के इरादे से तो नहीं लाए गए थे। बम यहां कैसे पहुंचे? इसके पीछे किसका हाथ है? कहीं यह किसी आतंकी संगठन की ओर से या इशारे पर की गई हरकत तो नहीं है? यहां उल्लेखनीय है कि शहर में जिंदा हथगोला मिलने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व वर्ष 2009 में सितंबर के अंतिम सप्ताह में हाथीखेड़ा गांव के पहाड़ी क्षेत्र में भी 4 जिंदा हैंड ग्रेनेड मिले थे। लोहाखान क्षेत्र में एक खंडहर से मशीनगन की बुलेट भी बरामद हो चुकी हैं।
यूं तो मादक पदार्थों का ट्रांजिट सेंटर बने दरगाह इलाके व पुष्कर में अंडरवल्र्ड के लोगों की आवाजाही की वजह से इस सरजमीं के नीचे सुलग रही आग का इशारा समय-समय पर मिलता रहा है, मगर दरगाह में बम फटने के बाद तो यह साबित ही हो गया कि आतंकवाद के राक्षस ने यहां भी दस्तक दे दी है। अफसोसनाक बात ये है कि लंबा समय गुजर जाने के बाद भी साजिश पर से पर्दा नहीं उठ पाया है। इसी प्रकार मादक पदार्थों व हथियारों की तस्करी के मामले तो अनेक बार पकड़े गए, लेकिन आज तक प्रशासन व सरकार ने कोई ऐसी ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई है, ताकि यहां अंडरवल्र्ड की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।
जहां तक अंडरवल्र्ड की गतिविधियों का सवाल है, अनेक बार यह प्रमाणित हो चुका है कि अजमेर मादक पदार्थों की तस्करी कर ट्रांजिट सेंटर बन चुका है। जोधपुर के सरदारपुरा इलाके में एक साइबर कैफे से पकड़ा गया आईएसआई एजेंट ऋषि महेन्द्र बिना पासपोर्ट व वीजा के बांग्लादेश सीमा से भारत में घुसा और अजमेर के दरगाह इलाके में रहने लगा। बाद में पता लगा कि उसे आईएसआई ने भारतीय सेना के पूना से लेकर पश्चिमी सीमा पर स्थित ठिकानों का पता लगाने के लिए भेजा था। वह यहां लंगरखाना गली में होटलों में नौकरी करता रहा। वह कुछ वक्त जयपुर के रामगंज इलाके में रह चुका था।
इसी प्रकार निकटवर्ती किशनगढ़ की मार्बलमंडी में हिजबुल मुजाहिद्दीन का खुंखार आतंकवादी शब्बीर हथियारों सहित पकड़ा गया तो पुलिस और खुफिया तंत्र सकते में आ गया था। तब जा कर इस बात का खुलासा हुआ कि दरगाह इलाके की ही तरह किशनगढ़ की मार्बलमंडी में भी देशभर से लोगों की आवाजाही के कारण संदिग्ध लोग आसानी से घुसपैठ कर जाते हैं। इसी प्रकार दरगाह इलाके में पाक जासूस मुनीर अहमद और सलीम काफी दिन तक रह कर अपनी गतिविधियां संचालित कीं, लेकिन खुफिया तंत्र तो भनक तक नहीं लगी। शब्बीर की निशानदेही पर हैदराबाद में पकड़े गए मुजीब अहमद के तार आईएसआई से जुड़े होने के पुख्ता प्रमाण मिले।
खुफिया पुलिस बीच-बीच में आसानी से आ-जा रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ कर भले ही अपनी पीठ थपथपाती रही है, मगर वह इसके लायक नहीं, यह तब साबित हो गया, जब मुंबई बम ब्लास्ट का मास्टर माइंड हेडली पुष्कर हो कर चला गया। बाद में जब खुद हेडली ने खुलासा किया कि वह पुष्कर भी गया था, तब जा कर खुफिया पुलिस ने छानबीन शुरू की। शर्मनाक बात तो ये रही कि विदेशियों से भराया जाने वाला फार्म तक गायब हो गया। यह वही हेडली है कि जिसके बारे में खुलासा हुआ है कि वह पुणे में हुए हमले से पहले वहां की रेकी कर चुका है। उसी ने पुष्कर में यहूदियों के धर्म स्थल बेद खबाद की रेकी थी। जैसे ही पुणे में उसके रेकी करने की जानकारी मिली, स्थानीय पुलिस तंत्र के तो होश ही उड़ गए। आपदा प्रबंधन दल ने बेद खबाद का दौरा कर यह साबित कर दिया है कि यहां भी किसी भी वक्त आतंकी राक्षस दरवाजा खटखटा सकता है। कुल मिला कर अजमेर आज बारूद के ढ़ेर पर बैठा है और हमारा प्रशासन नीरो की तरह चैन की बंसी बजा रहा है।

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