क्या इसीलिए इस लायक बनाया?

प्रेम आनंदकर
अजमेर में 6 अप्रैल को एक अखबार में एक मार्मिक स्टोरी पढ़ कर बहुत दुख हुआ। यह स्टोरी छापने के लिए मेरे पत्रकार साथी को साधुवाद। स्टोरी यह है कि अजमेर में दो सरकारी अधिकारियों की मां वृद्धाश्रम में है। इस मां को कोई और नहीं, बल्कि उनका वह बेटा आश्रम में छोड़ कर गया, जो बड़ा सरकारी अधिकारी है। दूसरा बेटा भी बड़े ओहदे पर है। क्या इसीलिए इन बेटों को इतना लायक बनाया इस मां ने। इन्हें बड़ा बनाने के लिए ना जाने कितने दुख झेले, उन्हीं बेटों के लिए मां बोझ बन गई और उसे झूठ बोल कर आश्रम में छोड़ दिया। यहां बहुत ही दार्शनिक बात याद आती है। “जैसा करोगे, वैसा भरोगे”, “आज तुमने मां को बिसराया है, कल तुम्हें तुम्हारी औलाद बिसरायेगी”। आज अपनी मां के साथ जो आप कर रहे हो, उसे आपकी औलाद देख रही है। यदि भविष्य में आपकी औलाद भी आपको बुजुर्ग होने पर इसी तरह आश्रम में छोड़ आए, तब उस वक्त किसी को दोष मत देना। यानी “जैसी करनी, वैसी भरनी”। यह भी याद रखना चाहिए कि जब ईश्वर की लाठी पड़ती है ना तब कोई भी बचाने के लिए नहीं आता है। उस वक्त लाठी की मार से इंसान केवल कराहता है, क्योंकि ईश्वर की मार में आवाज नहीं होती है। कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय आया है, जिसमे कहा गया कि यदि कोई शादीशुदा महिला अपने सास-ससुर की सेवा नहीं करती है, तो पति तलाक दे सकता है। जब ऐसा हो सकता है तो मेरा सवाल यह है कि माता-पिता की सेवा नहीं करने और उन्हें बुजुर्ग होने पर वृद्धाश्रम में छोड़ने वाले सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को सरकार बर्खास्त क्यों नहीं कर सकती है। केवल बर्खास्त ही नहीं करे, बल्कि ऐसे कारिंदों की पेंशन भी रोक दी जाए। पेंशन का एरियर भी नहीं दिया जाए। तब उन्हें पता चल जाएगा कि माता-पिता का अपमान करने, उन्हें रुलाने और दर-दर भटकाने का क्या नतीजा होता है। धन्य हैं आश्रम चलाने और उनमें बुजुर्गों की सेवा करने वाले। मैं उनको बारम्बार प्रणाम करता हूं।

-प्रेम आनन्दकर, अजमेर, राजस्थान।

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