अजमेर,:(नवाब हिदायत उल्ला ) विश्वविख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में स्थित ऐतिहासिक संदली मस्जिद में होने वाले आयत-ए-करीमा व कुरानख्वानी को दरगाह कमेटी के द्वारा बंद करा दिया गया। इसको लेकर खादिमों में रोष है।
गरीब नवाज सूफी मिशन सोसायटी द्वारा नाजिम आई बी पीरजादा को एक पत्र लिखकर इस बात पर एतराज जताया है कि ख्वाजा साहब की दरगाह में आने वाले जायरीन अपने परिवार की शांति और अपने दु:खदर्दो से मुक्ति पाने के लिए प्रतिदिन मस्जिद संदली में आयत-ए-करीमा का पाठ कराते है। यह परम्परा लम्बे समय से चली आ रही है। इस आयत-ए-करीमा को पढऩे के लिए लगभग 40 व्यक्ति मस्जिद में बैठ कर सवा लाख बार आयत-ए-करीमा पढ़ते है। मान्यता है कि इसके पढऩे से सभी परेशानियां दूर हो जाती है। ख्वाजा साहब की दरगाह में होने वाले इस विर्द को लेकर जायरीन में आस्था बनी हुई है। दरगाह कमेटी द्वारा अचानक मस्जिद में आयत-ए-करीमा बंद कराने को लेकर खादिमों में रोष है।
सोसायटी के अध्यक्ष जुल्फिकार चिश्ती ने बताया कि दरगाह कमेटी के सहायक नाजिम मोहम्मद आदिल के निर्देश पर कमेटी के कर्मचारियों ने धार्मिक पाठ को बंद कराया है। इसके साथ ही आने वाले जायरीन व स्थानीय लोगों की धार्मिक आस्था को भी ठेस पहुंची है। उन्होंने आरोप लगाया कि दरगाह में विवाद की स्थिति उत्पन्न करने के लिए यह विवादास्पद निर्णय लिया गया है। उन्होंने मांग की कि शीघ्र ही इस व्यवस्था को पुन: चालू कराया जाए अन्यथा बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
पूर्व में दरगाह में इबादत पर भी लगाई थी रोक :
ख्वाजा साहब की दरगाह में पिछले वर्ष नाजिम कर्नल मंसूर अली ने रात्रि में इबादत करने पर रोक लगा दी थी। इसको लेकर भी दरगाह में बड़ा हंगामा हुआ था। जायरीनों व खादिमों के द्वारा इस फरमान के विरोध में भी कड़ा एतराज जताया था। इसके पश्चात दरगाह कमेटी को एक दिन में ही अपने आदेश वापस लेने पड़े थे। ख्वाजा साहब की दरगाह का आंतरिक इंतजाम केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय के अधीन काम करने वाली दरगाह कमेटी करती है तथा धार्मिक रस्मों को खादिमों द्वारा अंजाम दिया जाता है। दरगाह की संपत्तियों व धार्मिक स्थलों की निगरानी दरगाह कमेटी द्वारा की जाती है। इसी कारण दरगाह में होने वाली गतिविधियों को कमेटी द्वारा अपने द्वारा अंजाम दिया जाता है।