आखिर किसकी मनमर्जी चल रही है नगर पालिका मे

*तीन साल में भी क्यों नहीं बनी कमेटियां ?*
*पांच सहवरण सदस्य भी नहीं बनाये*

*केकड़ी* अजमेर।
केकड़ी में नगर पालिका बोर्ड गठन को तीन वर्ष होने आये, लेकिन सत्तारूढ़ दल होने के बावजूद यहां भाजपा न तो बोर्ड में कमेटियों का गठन किया गया और न ही सहवरण सदस्यों की नियुक्ति। नीचे से ऊपर तक भाजपा सत्तारुढ़ है उसके बावजूद भाजपा नेताओं को किस बात का डर सता रहा है की वे अपने ही राज में कमेटियों का गठन नही कर पाये। ऐसे में जनता के दिमाग मे कई प्रश्नों ने जगह बना ली है आखिर क्या कारण है जो तीन साल में भी कमेटियों का गठन नहीं किया जा सका जबकि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 55 के तहत पालिका बोर्ड गठन के 90 दिनों में ही कमेटियों का गठन किया जाना आवश्यक है।
उल्लेखनीय है कि यहां नगर पालिका में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष सहित कुल 30 पार्षद है जिनमें से 25 पार्षद भाजपा के, 3 पार्षद कांग्रेस के व 2 पार्षद निर्दलीय हैं। अगर भाजपा की जनता के बीच साफ सुथरी छवि रखने की मंशा होती तो जरूर कमेटियों का गठन किया जाता, लेकिन ये भी सत्य है कि अगर कमेटियों का गठन कर दिया जाता तो फिर मनमर्जी कैसे चलती। मेरा तो मानना है अगर बोर्ड की कमेटियों का समय रहते गठन हो जाता तो कार्यो का पारदर्शिता से सम्पादन होता लेकिन यहां ऐसी मंशा दिखाई नही देती। और तो ओर कांग्रेस के दो पार्षद यहां पेशे से वकील है उन्होंने भी इसके विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की, वहीं भाजपा के पार्षद भी छह माह तक कमेटियों के गठन का राग अलापकर खामोश हो गये समझ में नही आता कि आखिर ये हो क्या रहा है। क्या वे भी तानाशाही का हिस्सा हो गये या फिर और कोई वजह है ? भाजपा में ऐसी मनमानी तो हमने पहले देखी नही कभी। ये तो सरासर अधिकारों का हनन है। अगर समय रहते बोर्ड में कमेटियों का गठन कर दिया गया होता तो पार्षदों को भी अपने अधिकारों का बोध होता और वे शायद आमजन के कार्य अपने हाथों से करके अपनी उस कुशल कार्यशैली का प्रदर्शन कर पाते जिस आशा और विश्वास के साथ वार्ड वासियों ने उन्हें चुन कर भेजा था। मगर ऐसी क्या बेबसी है कि आज भाजपा पार्षदों के गिड़गिड़ाने के बावजूद उनके वार्डों में काम नही हो रहे। हर किसी के दिमाग मे ये ही उलझन है कि ऐसी भी क्या मजबूरी है जिसकी वजह से सब खमोश है। इसी प्रकार अगर 5 सहवरण सदस्यों की नियुक्ति हो जाती तो कार्यकर्ताओं को भी जनप्रतिनिधि के रूप में उन्हें काम करने का अवसर मिलता।
गौरतलब है कि नगर पालिका बोर्ड में वित्त समिति,स्वास्थ्य एंव स्वच्छता समिति, भवन अनुज्ञा और संकर्म समिति, गन्दी बस्ती सुधार समिति, नियम और उपविधियां समिति, अपराधों का शमन और समझौता समिति सहित चार अन्य समितियों का गठन किया जाना था लेकिन एक भी कमेटी का गठन नही किया गया।
ऐसा नहीं है कि इस बारे में स्वायत्त शासन विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों को जानकारी नहीं मगर सब जगह खामोशी कई सवालों को जन्म देती है ! खैर जो भी हो सफर तो आवाम को ही करना पड़ रहा है न.

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