किशनगढ़ में भाजपा पिछड़ी तो वजह होगी नगर परिषद

*विकास छाबड़ा @ रोशन भारत*
मदनगंज-किशनगढ़। विधानसभा चुनावों में किशनगढ़ शहर में भाजपा पिछड़ती है तो उसकी मुख्य वजह होगी तो सिर्फ और सिर्फ नगर परिषद के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की कार्यशैली। हर अधिकारी व कर्मचारी मार्बल सिटी की चमक-दमक वाली किशनगढ़ नगर परिषद में मलाईदार पोस्टिंग कराना चाहता है। नगर परिषद में अगर सरकार बिना तनख्वाह भी ड्यूटी करने की कहे तो भी हर कोई काम करना चाहेगा क्योंकि नौकरी से मिलने वाली तनख्वाह तो इनके लिए ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। बिना प्रसाद चढ़ाए यहां कोई काम कराके दिखाए तो! बिना प्रसाद के काम करने की कोई अगर सोच ले तो उनकी चप्पल घिसना तय है। उसको अपना काम धंधा छोड़कर अधिकारी-कर्मचारी की रोज हाजिरी जो बजानी पड़ेगी। ऐसी फाइलों में इतनी कमी निकाल दी जाएगी कि वह तौबा कर लेगा।

विकास छाबड़ा
अभी हाल ही में एक व्यक्ति 2.30 बजे नगर परिषद् गया तो उसे बोला गया आयुक्त मेडम लंच पर गई हैं। वह 5 बजे तक बैठा रहा। मगर आयुक्त की कुर्सी खाली ही पड़ी रही। कोई ये बताने को तैयार नहीं था कि कब तक आयुक्त आएंगी। आयुक्त को फोन करने पर फोन उठता ही नहीं है। शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर नगर परिषद जाता है, कोई अपने काम से तो उसे अधिकारी व कर्मचारी ऑफिस टाइम पर ठीक से मिलते ही नहीं है। सिस्टम नाम की जैसे कोई चीज ही नहीं है।
बेचारी जनता अपना काम धंधा छोड़ कर अपने छोटे-छोटे काम के लिए भी चक्कर पर चक्कर लगाने को मजबूर है। मगर कहे किसे और कौन सुने? सब अपनी पीढिय़ों की व्यवस्था करने में लगे हुए हैं। जनता से लेकर कई पार्षदों से बात की, वे तक यहां के बड़े अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक से नाखुश है। तो आखिर ऐसी क्या वजह है, जो इनको झेला जा रहा है। ऐसा क्या स्वार्थ है या ऐसा क्या कराना है, जो ये ही सिर्फ कर सकते हैं।
नगर परिषद ही एक ऐसा विभाग है, जहां हर आम व खास आदमी का वास्ता पड़ता है। एक अच्छी सरकार का फीड बेक भी नगर परिषद से ही बनता है। चुनावी साल में भी विधायक महोदय ऐसे अधिकारी व कर्मचारियों को आखिर क्यों यहां जमाए हुए हैं? जिससे उन्हीं को उपचुनाव में नुकसान हुआ है और आगे हो सकता है। आए दिन ऐसे समाचार सुनने व पढऩे में आ जाते हैं कि एक कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक के पास लाखों करोड़ों की अवैध रूप से अर्जित सम्पति पकड़ी जाती है। ऐसी जांच की जरूरत किशनगढ़ नगर परिषद के लिए भी जरूरी है, जिससे ईमानदार कर्मचारी व अधिकारियों व बेईमानों का पता चल सके।
आम जनता को लगता है कि आखिर ऐसी स्थिति रहती है तो भी इन पर कार्यवाही क्यों नहीं होती? इनका ट्रांसफर क्यों नहीं कर दिया जाता है? अब भला जनता को कौन समझाए की ऊपर से नीचे तक सब जगह प्रसाद बंटता है तो कार्यवाही हो कैसे? मगर ये भी सच है कि काली कमाई व काला काम लम्बा कभी नहीं चलता है। एक न एक दिन ये शिकंजे में जरूर आते ही हैं, ऐसे कई नेता अभिनेता के उदाहरण हमारे सामने हैं, जिनको जेल की हवा खानी पड़ी है।

*सरकार पर भारी अधिकारी*
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इस सरकार का सबसे कमजोर पॉइंट रहा सरकार पर भारी अधिकारी। ये सच भी है। हर विभाग में जनप्रतिनिधियों के निर्देशों की कोई परवाह नहीं हो रही है। सभापति भी चाह कर कुछ नहीं कर पा रहे हैं। अधिकारी व कर्मचारी वर्ग हावी हो रखा है, जबकि कहते हैं कि सरकारी कर्मचारी जनता के सेवक होते है। मगर ये बात अब बातों में भी अच्छी नहीं लगती। अधिकारी- कर्मचारी सेवक नहीं होकर मालिक बन बैठे हैं। प्रधानमंत्री मोदी तक कहते हैं कि मैं जनता का प्रधान सेवक हूं। मगर कर्मचारी कहां अपने आप को सेवक मानते है? जनता मालिक होती तो अपने कामों के लिए सेवकों के पीछे-पीछे चक्कर नहीं लगाने पड़ते, उनके हाथ नहीं जोडऩे पड़ते, उनका घंटों इंतजार नहीं करना पड़ता।

*इनका कहना है..*
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एम्पावर्ड कमेटी की समय पर मीटिंग होती ही नहीं हैं और होती है तो उसमें जनहित के व आम लोगों के कामों से कोई सरोकार नहीं होता है। सिर्फ और सिर्फ भूमाफियों व मलाई मिलने वाले ही काम होते हैं। शहर के लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं सुलभ हो रही हैं।
*-परमेन्द्र जोशी, पार्षद व मुख्य सचेतक कांग्रेस पार्षद दल*

परिषद में भाजपा सरकार में भाजपा पार्षदों तक के काम नहीं होते हैं, तो आम आदमी कैसे परिषद में काम करता होगा ये आसानी से समझा जा सकता है। मैं स्वयं पिछले 6 महिने से जनता के वाजिब कामों को कराने के लिए चक्कर लगा रहा हूं, मगर काम नहीं हो रहा है। रोज परिषद में 2-3 घंटे बैठे रहते हूं, मगर आयुक्त फाइलों पर साइन नहीं कर रही हैं। अधिकारी वर्ग हावी हो रखा है। शहर की जनता बुरी तरह से त्रस्त है। पार्टी में आगे तक भी प्रयास कर लिए मगर कुछ नहीं हुआ।
*-सवित गुप्ता, पार्षद, नगर परिषद किशनगढ़*

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