क्या अब जनता गैराज का दरवाजा खटखटाना होगा

*सफाई कर्मचारियों को न्याय के लिए क्या अब जनता गैराज का दरवाजा खटखटाना होगा*
*भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं की जांच के लिए 25 दिनों से धरने पर बैठे हैं सफ़ाई कर्मचारी*

केकड़ी_अजमेर*
केकड़ी नगर पालिका के सफाई कर्मचारियों को आंदोलन करते करीब 25 दिन हो गए मगर प्रशासन उनकी जायज मांग को भी नहीं सुन रहा, जिसके चलते सफाई कर्मचारियों में रोष बढ़ता जा रहा है। गत दिनों सफाई कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में पालिका प्रशासन द्वारा बरती गई अनियमितता व फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर हासिल की गई नोकरियों की जांच की मांग को लेकर सफाई कर्मचारी पिछले 25 दिनों से यहां पालिका के सामने धरने पर बैठे हैं मगर उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। जांच के नाम पर टालमटोल कर कर्मचारियों को बहलाया जा रहा है। विधायक शत्रुघ्न गौतम के आश्वासन के बाद शुरू हुई जांच कछुआ चाल चल रही है। जांच चलते हुए आज एक पखवाड़ा बीत गया जबकि 2-3 दिनों में ही जांच हो जानी चाहिये थी। केकड़ी के इतिहास में ये पहली बार हुआ है कि सफाई कर्मचारियों को अपनी जायज मांग के लिए इतने लंबे समय तक आंदोलन करना पड़ा हो। क्या दलित वर्ग होने की वजह से प्रशासन जांच में ढिलाई बरत रहा है अभी यही दूसरा वर्ग होता तो प्रशासन क्या तुरन्त कार्यवाही नहीं करता। इस लोकतंत्र में हर किसी को अपना अधिकार पाने के लिए प्रशासन की आंखे खोलने के लिए आंदोलन का रुख इख्तियार करना पड़ता है।
जब अन्य संगठन अपने अधिकार के लिए आंदोलन कर सकते है तो क्या दलित वर्ग को ये अधिकार नहीं है। अगर ये ही समाज किसी एक राजनैतिक दल का वोट बैंक होता तो क्या राजनैतिक दल मदद नहीं करते। मगर नहीं कोई राजनैतिक पार्टी इन्हें मदद नहीं कर रही। कुछ दिनों पहले नगर कांग्रेस के अध्यक्ष निर्मल चौधरी ने धरना स्थल पर जाकर सफाई कर्मचारियों से बात कर उन्हें मदद करने का आश्वासन दिया था लेकिन उसे भी करीब एक सप्ताह बीत गया वे भी दोबारा इन कर्मचारियों की सुध लेने नहीं गए बस फ़ोटो खिंचवाई और हो गई मदद। कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी कांग्रेस के दिग्गज नेता सांसद डॉ रघु शर्मा के निर्देश पर धरना स्थल पर कर्मचारियों की मदद के लिए गए थे, क्या रघु शर्मा के निर्देश पर ऐसे ही मदद करते हैं उनकी पार्टी के नेता। इस मामले में पालिकाध्यक्ष अनिल मित्तल भी इन कर्मचारियों की कोई मदद नहीं कर रहे जबकि उनकी सबसे पहले ड्यूटी बनती है कि वे अपने अधीनस्थ स्टाफ को न्याय दिलाने में उनकी मदद करें। मगर वे भी लगातार टालमटोल कर रहे हैं। इस मामले में न तो स्थानीय प्रशासन मदद कर रहा है और न ही जिला प्रशासन। क्या सफाई कर्मचारियों के इस आंदोलन की जानकारी जिला कलक्टर को नहीं है ? अगर है तो वो क्यों मदद नहीं कर रही। कहीं जांच में पालिका प्रशासन को भर्ती प्रक्रिया में बरती गई अनियमितताओं की पोल खुलने का डर तो नहीं। स्थानीय व जिला प्रशासन की ओर से कोई मदद न मिलने पर सफाई कर्मचारियों को जयपुर की ओर रुख करना पड़ा। कल सफाई कर्मचारियों ने जयपुर स्थित स्वायत्त शासन विभाग पर प्रदर्शन किया मगर वहां भी केवल आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। क्या प्रशासन को किसी बड़े आंदोलन का इंतजार है। सफाई कर्मचारी जब अनशन पर बैठेंगे तब ही होगी क्या उनकी सुनवाई या इन्हें अब न्याय के लिए जनता गैराज का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। ऐसे वक्त में क्या शहर के समाज सेवी संगठन इनकी मदद के लिए आगे आएंगे। सफाई कर्मचारियों के बरसों से किये जा रहे सेवा कार्य व त्याग को हम कैसे भूल सकते हैं आज अगर ये न होते तो हम ये सब कर पाते। हमारे द्वारा फेंका गया कचरा व गन्दगी ये लोग बिना नागा के पीढ़ियों से साफ करते आ रहे हैं। अगर ये ही काम हमें करना पड़े तो क्या हम एक दिन भी कर पाएंगे। नगर में पिछले कई दिनों से सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है, घर घर से कचरा संग्रहन का कार्य बंद पड़ा है। जगह जगह कचरे के ढ़ेर लगे हैं। आखिर कब तक यूं ही चलता रहेगा, कब मिलेगा दलित वर्ग को न्याय ! क्या कोई आगे आएगा इनकी मदद के लिए ?

तिलक माथुर
*9251022331*

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