शहर भाजपा में अहम किरदार निभाएंगे सोमरत्न आर्य

सोमरत्न आर्य
जानकारों का मानना है कि राजनीति में वही लंबा चलता है, जो कि ठंडा दिमाग रखता है। उग्र स्वभाव वाले कभी ऊंचाई हासिल भी कर लेते हैं, मगर उनकी यात्रा लंबी नहीं होती। अब अजमेर नगर परिषद के पूर्व उप सभापति सोमरत्न आर्य को ही देखिए। पिछले चुनाव में वे पार्षद का चुनाव हार गए। हार क्या गए, हरा दिए गए। अपनों के ही द्वारा। मगर वे शांत रहे। चलते रहे। चलते रहे। ठंडे दिमाग से वक्त का इंतजार करते रहे। और यही वजह है कि सब्र का फल मीठा होता है वाली कहावत को चरितार्थ करके दिखा दिया। अब उन्हें शहर जिला भाजपा की ओर से 24 फरवरी को जवाहर रंगमंच पर होने वाले प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन का संयोजक बना दिया गया है।
जानकारी तो यह तक है कि जैसे ही शहर भाजपा अध्यक्ष शिव शंकर हेडा कार्यकारिणी बनाएंगे, उनका अहम स्थान होगा। अब भी वे अहम भूमिका ही निभा रहे हैं। यदि ये कहा जाए कि अध्यक्ष भले ही हेडा जी हों, मगर उनकी सारी व्यवस्थाओं को एक्जीक्यूट करने में उनकी ही अहम भूमिका रहने वाली है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यानि कि हेडा जी के हनुमान।
वस्तुत: आर्य की खासियत ये है कि वे आम तौर पर स्थानीय भाजपा की तीखी गुटबाजी से दूर रहते हैं। कदाचित किसी गुट में शामिल हों भी तो भी विरोधी गुट के लोगों से मधुर संबंध बनाए रखते हैं। पार्टी में भी वे हार्ड लाइनर नहीं हैं और सदैव कूल व क्रिएटिव रहते हैं। कांग्रेसियों से भी दोस्ताना रखते हैं। यही वजह है कि उनका कोई जातीय आधार नहीं होने पर भी पार्षद का चुनाव जीते और उपसभापति भी बने। शायद ही कोई ऐसा भाजपा नेता हो, जिसके वे करीबी नहीं रहे।
उनकी एक और खासियत है। वे केवल राजनीति में ही सक्रिय नहीं हैं, अपितु अनेकानेक सामाजिक व स्वयंसेवी संगठनों में महत्वपूर्ण पदों पर हैं। सांस्कृतिक गतिविधियां हों, साहित्यिक कार्यक्रम हों या खेल आयोजन, रेड क्रॉस सोसायटी हो या वृद्धाश्रम, पत्रकार क्लब हो या फागुन महोत्सव, रक्तदान कार्यक्रम हो या कोई ओर सेवा कार्य, हर एक में अग्रणी रहते हैं। इस कारण हर तबके में उनकी घुसपैठ है। सत्ता में हों या विपक्ष में, प्रशासन से भी तालमेल बनाए रखते हैं। इन बहुआयामीय गतिविधियों की वजह से ही राजनीति में भी अहम स्थान बनाए हुए हैं। पिछले चुनाव में पार्षद का चुनाव हारने के बाद लोगों का यही लगा कि कम से कम राजनीति में तो उनका अवसान हो गया, मगर वे धीमे-धीमे चलते रहे। उसी का परिणाम है कि आज एक बार फिर वे की रोल में आ गए हैं। समझा जाता है कि भाजपा की नई कार्यकारिणी एक नए रूप में आने वाली है, जिसमें सभी उपेक्षितों को स्थान मिलने वाला है। इस में भी वे ही रोल प्ले करने वाले हैं।
लगे हाथ हेड़ा जी की भी बात कर लें। हेडा जी भी कूल माइंडेड होने के कारण इतना लंबा चले हैं। कभी संघ की कमान संभाली तो कभी एडीए के चेयरमैन रहे। शहर भाजपा का भार तो दुबारा संभाल रहे हैं। हालांकि पिछली बार वे पूरी तरह से अजमेर शहर के दोनों भाजपा विधायकों से दबे हुए थे। इसी कारण नगर परिषद चुनाव में उनकी एक नहीं चली। मगर उन्होंने कभी आक्रामक रुख नहीं अपनाया। निर्विवाद रहने के कारण एडीए के चेयरमैन पद तक पहुंचे। भाजपा की सरकार चली गई तो विपक्ष में सबको साथ लेकर चलने वाले हेडा जी को फिर मौका मिल गया। उम्मीद ये की जा रही है कि इस बार वे दोनों विधायकों की दबाव की राजनीति से उबर जाएंगे। मगर सवाल सिर्फ ये कि विपक्ष में आक्रामक रहने की जरूरत होती है, और हेडा व आर्य दोनों ठंडे दिमाग के हैं तो पार्टी की धार कमजोर नहीं रह जाए।
तेजवानी गिरधर
7742067000

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