किसके कहने पर टूटी जगतपिता ब्रम्हा मंदिर की सदियो पुरानी परंपरा

राकेश भट्ट
विश्व के एकमात्र मंदिर के रूप में विख्यात जगतपिता भगवान ब्रम्हा जी के मंदिर की सदियो पुरानी परंपराएं मंदिर की अस्थायी प्रबंध कमेटी के कर्मचारियों द्वारा रविवार को महज दर्शनार्थियों की भीड़ अधिक आ जाने के चलते तोड़ दी गई । भगवान ब्रम्हा जी को विश्राम करने देने के लिए जिस मंदिर के कपाट बीते 1200 सालों से लगातार हर रोज दोपहर डेढ़ बजे से तीन बजे तक बंद किये जाते रहे है उनको प्रबंध कमेटी के चंद कर्मचारियों ने बगैर आला अफसरों से पूछे खोलने के आदेश दे दिए । यहां तक कि इन कर्मचारोयो ने मंदिर के पुजारी तक का कहना नही माना और अपनी जिद्द पर अड़े रहे ।

बड़ा सवाल यह है कि क्या महंत की अनुपस्थिति में मंदिर की व्यवस्थाओं की देख रेख कर रही प्रबंध कमेटी को सदियो पुरानी धार्मिक परंपराओं की जरा भी फिक्र नही है । क्या प्रबंध कमेटी के जिम्मेदार लोगों ने जानबूझकर धार्मिक परंपराओं को तोड़ने का दुस्साहस किया है । क्या प्रबंध कमेटी के कर्मचारी मंदिर में इतनी ज्यादा मनमानी करने पर उतारू है कि उन्होंने मंदिर के पुजारी की बात को भी दरकिनार कर दिया । क्या अस्थायी तौर पर कुछ समय के लिए गठित की गई प्रबंध कमेटी ने अब ब्रम्हा मंदिर को हमेशा के लिए अपनी जागीर समझ लिया है । आखिर वो कौन से अधिकारी या कर्मचारी है जिन्होंने भगवान ब्रम्हा जी को विश्राम तक नही करने दिया । उनको खुलेआम धार्मिक परंपराओं से खिलवाड़ करने का यह अधिकार किसने दे दिया । क्या उन्होंने इतने बड़ा फैसला लेने से पहले प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा से स्वीकृति ली या फिर अपने आपको मंदिर का सर्वेसर्वा मानते हुए स्वयं ने ही मंदिर के कपाट खुले रखने का फरमान सुना दिया ।

*लाखो की भीड़ के बावजूद पुष्कर मेले में भी बंद रहते है कपाट••••*
जिन कर्मचारियों ने भीड़ ज्यादा आने के बहाना बनाकर यह कार्य किया है उन्हें शायद याद नही है कि हर साल कार्तिक महीने में लगने वाले पंच तीर्थ स्नान मेले के दौरान लाखो की तादात में देशभर के श्रद्धालु ब्रम्हा मंदिर दर्शन करने आते है । यहां तक कि हर माह की एकादशी , पूर्णिमा और ग्रहण जैसे विशेष पर्वो पर भी श्रद्धालुओ की तादात लाखो में होती है । तब भी परंपरा के अनुसार मंदिर के कपाट डेढ़ घंटो के किये बन्द कर दिए जाते है । खास बात यह है कि बन्द के दौरान मंदिर के कर्मचारी सफाई व्यवस्थाओं को अंजाम देते है ताकि वहां बिखरने वाला प्रसाद किसी के पैर में ना आ सके । रविवार को पहुंची श्रद्धालुओं की भीड़ मेले में आने वाले लोगो की दस फीसदी भी नही थी । सवाल यही है कि जब मेले के दौरान भी कपाट बंद किये जाते है तो कल रविवार को किसके आदेश से खुले रखे गए ।

*आखिर कब होंगे ब्रम्हा मंदिर के महंत की नियुक्ति के आदेश ••••*
11 जनवरी 2016 को मंदिर के तत्कालीन महंत सोमपुरी महाराज की कार दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के पश्चात से ही मंदिर के नए महंत की नियुक्ति नही की जा सकी है । महंत की गद्दी को लेकर चल रही खींचतान का ही परिणाम है कि राज्य की तत्कालीन वसुंधरा राजे की सरकार ने जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में अस्थायी प्रबंध कमेटी का गठन कर व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी सौंप दी । ताज्जुब की बात यह है कि तीन साल बीत जाने के बाद भी राजस्थान सरकार का देवस्थान विभाग आज दिन तक पांच दावेदारो में से किसी एक को महंत नियुक्त किये जाने का फैसला नही कर पाया है । यही वजह है कि अस्थायी तौर पर गठित की गई प्रबंध कमेटी के कर्मचारी अब जमकर अपनी मनमानी करते हुए धार्मिक परंपराओं के साथ खिलवाड़ करने पर उतारू है ।

*बीते 1200 सालों में यह पहला मौका है जब विश्व का एकमात्र मंदिर बगैर महंत के चलाया जा रहा है । अब वक्त आ गया है जब जल्द से जल्द महंत की नियुक्ति की जानी चाहिए ताकि मंदिर में निभाई जाने वाली धार्मिक परंपराओं का विधिवत पालन करते हुए इसे नई ऊंचाइयां प्रदान की जा सके । वरना वो दिन दूर नही जब मंदिर से जुड़ी अन्य परंपराओं को भी तोड़कर उनके साथ ऐसे ही खिलवाड़ किया जाता रहेगा और सब लोग तमाशा देखते रहेंगे ••••••*

*राकेश भट्ट*
*प्रधान संपादक*
*पॉवर ऑफ नेशन*
*मो 9828171060*

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