क्या हाड़ा देवनानी व भदेल की छाया से मुक्त रह पाएंगे?

अजमेर। यह ठीक है कि भाजपा हाईकमान ने पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी के चहेते रमेश सोनी व पूर्व महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल की पसंद आनंद सिंह राजावत को दरकिनार करते हुए डॉ. प्रियशील हाड़ा को शहर भाजपा अध्यक्ष बना कर दोनों क्षत्रपों को झटका दिया है, मगर अहस सवाल ये है कि क्या हाड़ा इन दोनों की छाया से मुक्त रह पाएंगे? अब तक का अनुभवे तो यही बताता है कि एक भी पूर्व अध्यक्ष इन दोनों के वजूद से इतर अपना वजूद खड़ा नहीं कर पाया है। दिलचस्प बात ये है कि यह स्थिति केडर बेस पार्टी की है।
चाहे पूर्व एडीए चेयरमेन शिव शंकर हेड़ा के दो कार्यकाल हों, या फिर पांच बार सांसद रहे प्रो. रासासिंह रावत व अरविंद यादव का कार्यकाल, पिछले सोलह साल से स्थानीय भाजपा में देवनानी व भदेल का ही वर्चस्व रहा है। ऐसे में यह सवाल जायज है कि क्या हाड़ा इन दोनों के आभा मंडल से अलग अपना ओरा खड़ा कर पाएंगे?
असल में देवनानी व भदेल लगातार चार बार जीते हुए विधायक व राज्य मंत्री रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं में अधिसंख्य कहीं न कहीं इनके कृपा पात्र रहे हैं। इनकी अपनी फेन फॉलोइंग है। पार्टी अध्यक्षों की अपनी कोई खास टीम नहीं रही है। यही वजह है कि अध्यक्ष कोई भी हो शहर भाजपा पर इन दोनों का ही कब्जा रहा है। बेशक हेड़ा ने पिछले कार्यकाल में अपना वर्चस्व बनाने की कोशिश की, मगर वे कामयाब नहीं हो पाए। ऐसे में शहर भाजपा की कमान भले ही हाड़ा के हाथ में हो, मगर यह संशय बना ही हुआ है कि क्या वे देवनानी व भदेल के प्रभाव से मुक्त रह पाएंगे।
यह प्रत्यक्ष नजर आता है कि भले ही हाड़ा की नियुक्ति से देवनानी व भदेल को झटका लगा है। देवनानी को कुछ ज्यादा ही लगा है, क्योंकि उनके बारे में यह स्थापित कयास था कि वे अपने चहेते रमेश सोनी को अध्यक्ष बनवाने में कामयाब हो जाएंगे। जरा और डीप में जाएं तो ऐसा लगता है कि देवनानी इतने चतुर हैं कि हाड़ा का झुकाव अपनी ओर करवा ही लेंगे। इस प्रकार का परसेप्शन पूर्व अध्यक्ष अरविंद यादव के बारे में भी था। यह सही है कि हाड़ा ने अध्यक्ष पद के चुनाव में श्रीमती भदेल के मोहरे आनंद सिंह राजावत का प्रस्तावक बन कर ऐसा दर्शाया कि वे भी भदेल खेमे के हैं, लेकिन अब जब कि वे खुद ही अध्यक्ष बन बैठे हैं तो भदेल से उनकी नाइत्तफाकी हो ही जाएगी। कारण कि भाजपा में भदेल के मुकाबले दूसरा कोली नेता उठ कर आ गया है। भदेल को इससे परेशानी होगी। ज्ञातव्य है कि हाड़ा जब मेयर का चुनाव लड़े थे, तब भदेल पर निष्क्रियता का आरोप लगा था। अपनी हार से आहत हाड़ा के मन में यह फांस पड़ी हुई होगी। इसका फायदा देवनानी उठाएंगे। वे भदेल के खिलाफ हाड़ा को सपोर्ट करेंगे। और आखिरकार हाड़ा चाहे-अनचाहे देवनानी की ओर झुक जाएंगे। यानि कि देवनानी का अजमेर उत्तर में तो कब्जा है, अब हाड़ा के जरिए दक्षिण पर भी कब्जा हो जाएगा।
-तेजवानी गिरधर
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