*विचार -प्रवाह*

नटवर विद्यार्थी
लगता है तबियत और पत्नी में काफ़ी अंतर्संबंध है । दोनों की ही प्रकृति एक जैसी । ख़ुश रहे तब तक खुश और बिगड़ जाए तो बवंडर । ध्यान रखो तो घर में सुख शांति और लापरवाही बरतते ही कष्टों का पहाड़ । कोई एक नासाज़ हो जाए तो घर की पूरी व्यवस्थाएं बेपटरी और दोनों ही नासाज़ हो जाए तो फिर कहना ही क्या !
गिरगिट की तरह दोनों ही रंग बदलती रहती है । मौसम के अनुसार दोनों के ही खान- पान और परिधान बदल जाते है । समयानुकूल चलना भी ज़रूरी , चाहे कितनी भी हो मज़बूरी ।
कभी तबियत बेक़ाबू हो जाती है तो कभी पत्नी । बेचारा आदमी घनचक्कर बना हुआ घर और ऑफिस के साथ – साथ इनके भी चक्कर लगाता रहता है , दोनों में संतुलन बनाए रखने के लिए जीवनभर उलझा रहता है । नववर्ष की शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए मेरा तो यही संदेश है कि ख़ुश रहिए और तबियत व पत्नी दोनों का ही ध्यान रखिए । किसी ने सच कहा है – जान है तो जहान है ।

– नटवर पारीक

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