सरल, सहज शख्सियत के मालिक सुरेश सिंधी

पत्रकारिता के लंबे इतिहास में अनेक अधिकारियों को सेवानिवृत्त होते देखा है, जो कि एक सामान्य प्रक्रिया है, मगर यह पहला मौका है कि हाल ही सेवानिवृत्त हुए एक अधिकारी के बारे कलम चलाने का मन हुआ। वे सुरेश सिंधी के नाम से सुपरिचित हैं। चंद दिन पहले ही सिटी मजिस्टेट के पद से सेवा निवृत्त हुए हैं। लंबे समय तक भिन्न-भिन्न पदों पर अजमेर में रहे, इस कारण अधिकतर सुधिजन उन्हें जानते हैं। होंगे उनके जैसे अनेक, मगर मैने पहली बार देखा कि कोई अधिकारी इतना सहज व सरल भी हो सकता है। यूं अधिकतर आरएएस-आईएएस अफसर आपको कूल दिखाई देंगे। सहज नजर आएंगे। मगर वह सहजता ओढ़ी हुई होती है। नौकरी ही ऐसी है कि आपको ठंडा दिमाग रखना ही होगा। लेकिन मैने गहरे से अनुभव किया है कि सुरेश सिंधी एक इंसान के तौर पर बिलकुल धरातल पर जीते हैं। जमीन से जुड़ा होना जुमला उन पर एकदम फिट बैठता है। उनका साधु स्वभाव वस्त्रों में भी झलकता है। सादा जीवन उच्च विचार की उक्ति को चरितार्थ करते हैं।
चूंकि कुछ गलत करते नहीं, इस कारण डरते भी नहीं थे। कभी किसी राजनेता के दबाव में काम नहीं किया। कदाचित राजनीतिकों को उनकी नियमानुसार काम करने की शैली से नाइत्तफाकी रही हो, मगर उच्चाधिकारियों ने उनकी कर्तव्य परायणता को सदैव सराहा। पूरे राजस्थान में चंद सुपरिचित ईमानदार अधिकारियों में उनकी गिनती रही है। अनेक ऐसे अधिकारी मिल जाएंगे, जो कि ईमानदार हैं, मगर उनमें आपको उस ईमानदारी का भी दंभ नजर आ जाएगा। सुरेश सिंधी का डीएनए न जाने कैसा है कि घमंड नाम मात्र को भी नहीं छू पाया है।
मैं उन्हें तब से जानता हूं, जब वे तहसीलदार थे। आरंभ से ही आप लो-प्रोफाइल रहे। उनके चैंबर में जो भी आया, वह संतुष्ट हो कर निकला। कोई कितना ही आक्रोष में आया हो, मगर उसे शांत करने की उनमें अद्भुत कला रही। सिंधी समाज से भी आप गहरे जुड़े रहे। प्रतिभावान विद्यार्थियों के सम्मान समारोहों में मैने उन्हें अनेक बार सुना। नई पीढ़ी को जीवन के उच्च आदर्शों से परिचित करवाने की उनकी हंसी-मजाक वाली शैली बच्चों को बहुत लुभाती है।
आइये, जरा उनका व्यक्तिगत परिचय भी जान लें:- आपका परिवार सिंध में खड्डो जिला नवाबशाह का रहने वाला था। आपका जन्म 23 अक्टूबर 1961 को सांगानेर, जयपुर में हुआ। आपने राजस्थान विश्वविद्यालय से एमए अर्थशास्त्र की डिग्री हासिल की। उसके बाद प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण कर 1985 में तहसीलदार बने। 2006 में राज्य सिविल सेवा में चयनित होकर सरकारी सेवा में हैं। आप चित्तौडगढ़, सवाई माधोपुर, टोंक, जयपुर, भीलवाड़ा, झालावाड़ और राजसमन्द जिलों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। आप 2016 तक जिला रसद अधिकारी के पद पर रहे। उसके बाद राजस्व मंडल में डिप्टी रजिस्ट्रार के पद पर भी कार्य किया।
आपको अनेक पुरस्कार व राजकीय अवार्ड मिले हैं, जिनमें निम्नांकित महत्वपूर्ण हैं –
25 जनवरी 2014 को निर्वाचन आयोग द्वारा आपको 2013 के चुनाव के उत्कृष्ठ प्रबन्धन के लिए नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2 नवम्बर 2017 को राजस्व मंडल में राजस्थान रेवेन्यू कोर्ट ग्रिड की सफलतम लॉचिंग के कारण आपको सम्मानित किया गया।
26 जनवरी 2018 को उत्कृष्ट एवं कुशल कार्य निष्पादन के कारण राजस्व मण्डल द्वारा योग्यता और सम्मान प्रमाण पत्र दिया गया।
आपको सिंधी समाज महासमिति की ओर से चेटीचंड पखवाड़े के दौरान सिंधु रत्न अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है।
आपके एक भाई और दो बहिनें हैं। आपका विवाह 27 मई 1987 को हुआ। आपके दो पुत्र हैं। वर्तमान में सर्वोदय कॉलोनी, अजमेर में निवास करते हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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