जयपाल ने निभाई लखावत से दोस्ती

इन दिनों सम्राट पृथ्वीराज चौहान जयंती के सिलसिले में स्वामी न्यूज के सीएमडी कंवल प्रकाश किशनानी के संयोजन में अनेक ऑन लाइन प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं। चूंकि लॉक डाउन है, इस कारण तारागढ़ के आधे रास्ते में बने सम्राट पृथ्वीराज चौहान स्मारक पर भी श्रद्धा सुमन अर्पित करने चंद लोगों के ही जाने की संभावना है। वरना अच्छी खासी भीड़ होती है। खैर, इस मौके पर चंद साल पहले का एक किस्सा ख्याल में आ गया, जो न्याय सबके लिए में प्रकाशित हुआ था। तनिक संशोधन के पेश है आपकी नजर:-
सम्राट पृथ्वीराज चौहान जयंती के अवसर पर सम्राट पृथ्वीराज चौहान समारोह समिति, नगर निगम, नगर सुधार न्यास एवं पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में तारागढ़ पर स्थित स्मारक पर आयोजित देशभक्ति सांस्कृतिक संध्या में पहली बार शहर कांग्रेस अध्यक्ष जसराज जयपाल की मौजूदगी ने सभी को चौंका दिया। दरअसल स्मारक भाजपा के वरिष्ठ नेता औंकार सिंह लखावत ने अपने न्यास अध्यक्ष के कार्यकाल में बनवाया था। तभी से यहां आयोजित होने वाले जयंती समारोह के लिए गठित समिति में लखावत सहित अन्य भाजपा नेताओं का वर्चस्व है और यह समिति ही समारोह आयोजित करती है। इस कारण कांग्रेसी इस कार्यक्रम से दूरी ही बनाए रखते हैं। लेकिन पहली बार शहर कांग्रेस अध्यक्ष जसराज जयपाल और उनके महामंत्री कुलदीप कपूर इसमें पहुंचे तो सभी का अचरज में पडऩा लाजिमी था।

जयपाल
समझा जा सकता है कि जयपाल को कायक्रम में आने के लिए लखावत ने ही मनाया होगा। तब नगर निगम पर तो भाजपा का कब्जा है। उसका सहयोग लेने में तो कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन न्यास व पर्यटन विभाग कांगे्रस सरकार के अधीन आते हैं। इन विभागों से सहयोग लेना था, इस कारण लखावत ने जयपाल को पटाया। यह सब को पता है कि जयपाल पर्यटन मंत्री बीना काक के काफी करीब हैं, इस कारण पर्यटन विभाग तुरंत सहयोग करने को तैयार हो गया। भाजपा नेताओं की ओर से गठित समिति को न्यास कैसे सहयोग करे, इसके लिए भी जयपाल का सहयोग लेना जरूरी समझा गया। न्यास अध्यक्ष राजेश यादव के लिए कदाचित कुछ मुश्किल रही हो, लेकिन शहर कांग्रेस अध्यक्ष के नाते जयपाल ने इसमें शिरकत कर उनकी परेशानी दूर कर दी।
लखावत
रही अंदर की बात तो यह कम लोगों को ही पता है कि जयपाल और लखावत पुराने मित्र हैं। वे हमपेशा वकील भी हैं। चर्चा है कि जयपाल के पुत्र डॉ. राजकुमार जयपाल जब स्वाति लोढ़ा बलात्कार कांड में गलत फंसे थे, हालांकि बाद में बाइज्ज्त बरी हो गए, तब स्वाति लखावत के पास गई, लेकिन उन्होंने जयपाल से दोस्ती के कारण उनका केस लेने से मना कर दिया। हालांकि वे चाहते तो केस लेकर कमाते भी और वाहवाही भी लूटते, लेकिन उन्होंने मित्रता को ज्यादा तरजीह दी। अनुमान लगाया जा सकता है कि दोनों में कितनी गहरी दोस्ती रही है, पार्टियां भले ही अलग-अलग हों। वैसे बता दें कि लखावत भले ही भाजपा के दिग्गज नेता हों, लेकिन कांग्रेस के नेताओं से उनके काफी करीब के रिश्ते रहे हैं। भूतपूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष माणकचंद सोगानी से भी उनके अच्छे रिश्ते थे। तभी तो सोगानी ने नगर सुधार न्यास अध्यक्ष पद पर रहते हुए लखावत को चारण साहित्य शोध संस्थान को कौडिय़ों के दाम में जमीन मुहैया करवा दी थी। यानि लखावत अपने भाजपाई दुश्मनों को निपटाने में जरा भी दया न करते हों, मगर हैं पक्के यारबाज और कांग्रेसी मित्रों से उनकी खूब पटती है।

-तेजवानी गिरधर
7742067000
[email protected]

error: Content is protected !!