रन तो बनाए, चौका-छक्का नहीं लगा पाए भगत

अपना एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष नरेन शाहनी भगत ने दावा किया कि उन्होंने अजमेर में करोड़ों रुपए की लागत के विकास कार्य कराए हैं, मगर वे कोई बड़ी उपलब्धि नहीं गिनवा पाए। यानि कि उन्होंने न्यास के मैदान पर रन तो बनाए हैं, मगर उल्लेखनीय उपलब्धि के नाम पर चौके-छक्के नहीं लगा पाए।
इसमें कोई दोराय नहीं कि भगत के अध्यक्ष बनने के बाद लगभग सो रही न्यास जागी और रुके हुए काम व विकास को गति मिली है। जिन फाइलों पर धूल जमा हो गई थी, उन पर से धूल झाड़ कर उन्हें आगे की टेबिलों पर सरका कर अंजाम तक पहुंचाने में कामयाबी हासिल की है। एक साल पूरा होने पर उन्होंने विकास कार्यों की एक लंबी फहरिश्त गिनाई है, जो आंकड़ों के लिहाज से तो बड़ी सुहानी लगती है, मगर खुद अपने खाते में दर्ज एक भी बड़ी उपलब्धि नहीं गिनवा पाए। हां, पत्रकारों को उन्होंने जरूर खुश कर दिया है। ज्ञातव्य है कि कोटड़ा आवासीय योजना में स्थित पत्रकार कॉलोनी के मसले में कई पत्रकार लंबे अरसे से इस इंतजार में थे कि उनके प्लाट की लॉटरी निकाली जाए, मगर पूर्व कलैक्टर राजेश यादव व मंजू राजपाल ने जानबूझ कर उसे अटकाए रखा। हालांकि यादव ने रिलीव होने वाले दिन आवेदन पत्रों की छंटनी तो करवाई, मगर लॉटरी नहीं निकलवाई। छंटनी हुई तो विवाद भी हुए, नतीजतन मंजू राजपाल तो उन पर कुंडली मार कर ही बैठ गईं। उनकी जिद थी कि कम से कम उनके कार्यकाल में तो पत्रकारों को प्लॉट नहीं देंगी। जाहिर सी बात है कि जैसे ही भगत अध्यक्ष बने तो उन पर शुरू से ही दबाव बना और उन्होंने बड़ी चतुराई से उन प्लाटों का तो आबंटन कर ही दिया, जिन पर कोई विवाद नहीं था। कुल मिला कर भगत ने पत्रकारों को तो खुश कर ही दिया। इसका अहसास अखबारों के तेवर से लगाया जा सकता है।
भगत के लिए यह भी सुखद रहा कि उन्हीं के कार्यकाल के दौरान प्रशासन शहरों की ओर शिविर शुरू हुए है। हालांकि इसमें भगत की स्वयं की कोई उपलब्धि नहीं है, यह राज्य सरकार की योजना है, मगर जिन लोगों के नियमन हुए हैं, वे तो भगत को ही दुआ देंगे। मगर इसका एक नुकसान ये भी माना जा सकता है कि शिविरों की तैयारी व उनके क्रियान्वयन में न्यास अधिकारियों व कर्मचारियों के व्यस्त होने के कारण भगत खुद की सोच का कोई बड़ा काम हाथ में नहीं ले पाए हैं।
उनकी एक बड़ी उपलब्धि ये भी रही है कि काजल की कोठरी में रहते हुए फिलवक्त तक तो उन पर कोई दाग नहीं लगा है। तभी तो वे स्वयं यह कहने में सक्षम हो पाए कि भ्रष्टाचार का कोई भी व्यक्ति आरोप लगा सकता है, लेकिन साबित करना अलग बात है। न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन ने भी न्यास में भ्रष्टाचार की बात तो खूब कही, मगर सीधा-सीधा भगत को निशाना करता एक भी बड़ा आरोप नहीं लगाया है। उन्होंने ये तो कहा कि वर्तमान अध्यक्ष के कार्यकाल में दलालों को लाभ पहुंचाने का काम किया जा रहा है, मगर गिनाया एक भी नहीं। हां, उनकी इस बात में जरूर दम है कि भगत कोई भी सकारात्मक एवं ठोस योजना शुरू नहीं कर पाए हैं। सच्चाई यही है कि जब तक भगत कोई बड़ी उपलब्धि दर्ज नहीं करवाएंगे, केवल सामान्य विकास कार्यों की बिना पर उन्हें उतने नंबर नहीं दिए जा पाएंगे, जितने कि जैन व पूर्व अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत को मिल चुके हैं। हां, अगर उन्होंने एलीवेटेड रोड पर ध्यान दिया और अपने कार्यकाल में उसका निर्माण शुरू भी करवा पाए तो यह एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है, जिसे कि लोग वर्षों तक याद रखेंगे।
-तेजवानी गिरधर

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