अजमेर में महाराणा प्रताप का स्मारक राष्ट्रवादी सोच का प्रतीक

photo dainik bhaskar
राजस्थान में मेवाड़ की धरा से राष्ट्रीय स्वाभिमान का विश्व को संदेश देने वाले राष्ट्रवीर का राजस्थान की हदय स्थली, अजमेर में, पुष्कर घाटी के सुन्दर एवं प्राकृतिक सौन्दर्य से विशुद्ध पर्यावरण में स्मारक के निर्माण की सोच रखने वाले एवं उसे यथार्थ में धरातल पर संस्थापित करने वाले निसंदेह अभिनंदनीय है। 2007 मे नगर सुधार न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष श्री धर्मेश जैन के द्वारा स्मारक हेतु स्थान का चयन कर शिलान्यास किया गया। श्री जैन ने व्यक्तिगत रूचि लेकर न्यास के ट्रस्टियों के सहयोग से मूर्ति का निर्माण कराया। स्मारक स्थल का निर्माण कार्य 2008 तक 90 प्रतिशत सम्पन्न हो गया था।
वर्तमान में पर्यटन की दृष्टि से अरावली की पर्वत श्रृंखला के नाग पहाड़ी में स्मारक स्थल अत्यन्त महत्वपूर्ण है। दिनभर में हजारो लोग महाराणा प्रताप को पुष्पांजलि अर्पित करते है। प्रताप की भव्य मूर्ति के साथ फोटो लेते है। पुष्कर जाने वाले तीर्थ पर्यटकों को जो देश विदेश से आते है। उन्हें स्वतंत्रता और राष्ट्रीय स्वाभिमान का संदेश देने की दृष्टि से स्मारक स्थल का होना अत्यंत ही लाभदायक है।
उल्लेखनीय है कि महाराणा प्रताप के जीवन चरित्र की प्रशंसा में अनेक कवियों व साहित्यकारों ने न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर इस वीर शिरोमणि का गुणगान किया है। विदेश में जाने वाले भारतीयों से महाराणा प्रताप की वीरता के बारें में जानकारी ली जाती है और भारत में आने वाले विदेशी पर्यटक मेवाड़ के सूर्य प्रताप के स्मारक स्थल पर अवष्य दर्शनार्थ जाते है। महाराणा की प्रशंसा अंग्रेज इतिहासकार कर्नल टॉड ने भी मुक्तकंठ से की है। यहॉ तक कि मुगल बादशाह अकबर जो अपने जीवनकाल में प्रताप को परास्त या झुका नही सका उसने भी प्रताप की वीरता का गुणगान किया है। अकबर के सेनापति अब्दुर्रहीम खान खाना ने तो प्रताप की प्रशंसा करते हुये लिखा।
”धर्म रहसी, रहसी ध्वजा, रवप जासी खुरसाणा अमर विष्ंाभरा उपरै, रहसी नहचो राण”।
स्वतंत्रा आंदोलन कालीन विख्यात पत्रकार गणेशं शंकर विधार्थी ने तो अपने समाचार पत्र का नाम ही ”प्रताप” रखा। उन्होंने प्रवेशांक में प्रताप के चरित्र का वर्णन किया है भारत के क्रांतिकारी मेवाड़ के इस स्वाभिमानी शूरवीर की युद्ध स्थली हल्दी घाटी की मिटट्ी का तिलक लगाकर प्रताप के नाम पर राष्ट्र के प्रति मर मिटने की शपथ लेते थे। स्वतंत्रता आंदोलन काल में भारत के सभी क्षेत्रों में, लगभग सभी भाषाओं में प्रताप की जीवन चरित्र पर नाटक मंचित होते थें कवितायें गायी जाती थी, लेख लिखे जाते थे। आजादी के दीवाने, महाराणा प्रताप की जय-जयकार करते हुये, कैद की सजा काटते थे, फांसी के फंदे पर खुशी खुशी झूल जाते थे।
ऐसे राष्ट्र गौरव का स्मारक अजमेर शहर के लिये एक राष्ट्रीय निधि है जो भावी पीढिय़ों को राष्ट्र-प्रेम का स्मरण एवं जागृति का संदेश देती रहेगी।
13 जून को मनाई जायेगी महाराणा प्रताप जयन्ती
राजस्थान में मेवाड़ की धरा से राष्ट्रीय स्वाभिमान का विश्व को संदेश देने वाले राष्ट्रवीर महाराणा प्रताप की जयन्ती पर राजस्थान की हदय स्थली, अजमेर स्थित पुष्कर घाटी के सुन्दर एवं प्राकृतिक सौन्दर्य से विशुद्ध पर्यावरण में निर्मित महाराणा प्रताप स्मारक पर 13 जून को महाराणा प्रताप समारोह समिति – राजस्थान क्षत्रिय महासभा अजमेर इकाई – भारतीय इतिहास संकलन समिति – राजपूत छात्रावास अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में प्रात: 10 बजे से समारोह का आयोजन किया गया है। समिति अध्यक्ष धर्मेश जैन ने बताया कि सर्वप्रथम महाराणा प्रताप की मूर्ति पर माल्यार्पण किया जायेगा, तत्पश्चात् आयोजित कविता, प्रश्नोत्तरी एवं महाराणा प्रताप को जानो ऑनलाईन प्रतियोगिताओं के माध्यम से महाराणा प्रताप के जीवन चरित्र से आज की युवा पीढ़ी में राष्ट्र प्रेम की भावना का संचार करने हेतु प्रोत्साहित करेगें।
इस अवसर पर सभी को इष्ट-मित्रों सहित ऑनलाइन आयोजनों में सादर आमंत्रित करते हुए समिति सदस्यों ने कहा है कि सभी उन महामना से प्रेरणा ले।
हरीश बेरी धर्मेश जैन
महामंत्री अध्यक्ष
महाराणा प्रताप समारोह समिति

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