दोनों विधायकों के आगे फिर उपेक्षित हुए अध्यक्ष

लगातार चार बार जीत कर और अधिक मजबूत हो चुके अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी व अजमेर दक्षिण की विधायक श्रीमती अनिता भदेल के सामने एक बार फिर षहर भाजपा संगठन उपेक्षा का षिकार हो गया है। यह साजिषन हुआ या इत्तेफाक से, कुछ पता नहीं, लेकिन अजमेर नगर निगम की मेयर ब्रजलता तो यही आरोप लगा रही हैं कि उनके साथ ऐसा जान बूझकर किया गया।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ भाजपा की ओर से हल्ला बोल के लिए कलेक्ट्रेट पर प्रदर्षन किया गया। इस दौरान हुई वारदात ने एक बार फिर जता दिया है कि देवनानी व भदेल ने जाने-अनजाने षहर जिला भाजपा अध्यक्ष पद पर बैठे डॉ प्रियषील हाडा की उपेक्षा कर दी, जिसका षिकार उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ब्रजलता हाडा भी हुईं।
सवाल ये उठता है कि जब यह पहले से तय था कि प्रदर्शन के बाद कलेक्टर को ज्ञापन देने के लिए सभी विधायक, शहर व देहात के जिलाध्यक्ष सहित महापौर को जाना था तो फिर देवनानी व भदेल षहर जिला अध्यक्ष व महापौर को साथ लिए बिना ही कलेक्टर के चैंबर में कैसे चले गए। उन्हें यह तो ख्याल रखना ही चाहिए था कि हाडा दंपति को भी साथ रखते। यूं नेताओं का आगे पीछे हो जाना कोई खास बात नहीं, मगर असल में विवाद इस कारण उत्पन्न हो गया कि विधायक तो अंदर पहुंच गए, जबकि हाडा दंपती को पुलिस वालों ने रोक दिया। स्वाभाविक रूप से उन्हें अपमान महसूस हुआ होगा। सच में देखा जाए तो यह चूक पुलिस के स्तर पर हुई। प्रष्न उठता है कि क्या वहां तैनात पुलिस कर्मी हाडा दंपति को नहीं जानते थे।
इस घटना का गंभीर पहलु ये है कि महापौर साफ तौर पर आरोप लगा रही हैं कि पुलिसकर्मियों ने उन्हें कहा कि दोनों विधायक मना करके गए हैं कि किसी को अंदर नहीं आने दें। दूसरी ओर देवनानी ने सफाई दी कि अगर हमने यदि मना किया होता तो वह कैसे आते। हाड़ा दंपती पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। अगर वाकई यह बयान सही है तो यह और भी गंभीर बात उजागर हो गई कि हाडा दंपति व विधायकों के बीच पूर्वाग्रह हैं।
महापौर हाडा की आपत्ति बिलकुल जायज है कि वे अजमेर षहर की प्रथम नागरिक हैं और उनके पतिदेव षहर जिलाध्यक्ष, जिनके नेतृत्व में ज्ञापन दिया जाना था, तो विधायक पहले कैसे चले गए।
घटना का रोचक पहलु ये रहा कि विधायक व अन्य पदाधिकारी जिला कलेक्टर के पास पहुंच गए, जबकि ज्ञापन हाडा के पास था और वे बिना ज्ञापन के वहां बैठे रहे। तकरीबन 15 मिनट बाद जब हाडा दंपति आए तभी जा कर औपचारिक तौर पर ज्ञापन दिया गया। चलो, विधायक पहले अंदर चले गए लेकिन महापौर को कम से कम इस पर संतुस्ट हो जाना चाहिए था कि उनके पतिदेव के आने पर ही ज्ञापन देने की रस्म अदा हुईं मगर वे गुस्से में एक कदम और आगे निकल गईं, जिससे इस वीडियो के आरंभ में गई पंक्तियों पर ठप्पा लग गया कि विधायकों के आगे संगठन कमतर रहा है।
ब््रजलता हाडा ने कहा कि सारी व्यवस्था उन्होंने की है। बीते एक सप्ताह से लगातार तैयारियों में जुटे हुए हैं। तय था कि जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में सभी विधायक ज्ञापन देंगे, लेकिन यहां क्रेडिट दोनों विधायक ले रहे हैं। यह परिपाटी गलत है। वाकई यही परिपाठी है। इन दोनों विधायकों के आगे संगठन अध्यक्ष सदैव बौना ही रहा है। अध्यक्ष कोई भी रहा हो, मगर कार्यकारिणी में अधिकतर पदाधिकारी इन दोनों विधायकों की पसंद के रहे हैं। रिकार्ड उठा के देख लीजिए कि नगर निगम के चुनावों में सदैव अधिकतर टिकट दोनों विधायक तय करते रहे हैं। असल में उसकी वजह ये कि ग्राउंड पर असल पकड विधायकों की है। वे ही कार्यकर्ताओं के काम करवाते हैं। इस कारण संगठन के अधिकतर पदाधिकारी व कार्यकर्ता विधायकों के व्यक्तिगत फॉलोअर हैं। यह असलियत भाजपा हाईकमान अच्छी तरह से जानता हैं मगर चूंकि वह जानता है कि पकड तो विधायकों की ही है
इस कारण वह स्थिति को नजरअंदाज कर जाता है।
हाड़ा ने इस मामले को लेकर प्रदेश नेतृत्व को शिकायत भेजे जाने की बात कही है। हालांकि होना जाना कुछ नहीं है, मगर इस वारदात से यह साफ हो चुका है कि अध्यक्ष संगठन के मुखिया भले ही हों मगर चलती विधायकों की ही है।

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