अजमेरवासियों ने जो सूझबूझ दिखाई है, वह पूरे देश के लिए एक मिसाल है

*अजमेर की गंगा-जमुनी तहजीब को नहीं लगेगी किसी की नजर*
-पूरे देश में सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे का अजमेर से जाता है पैगाम
-ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती यानी गरीब नवाज की दरगाह में सभी कौमों व धर्मों के लोग करते हैं सजदा

✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
👉 अजमेर सांप्रदायिक सौहार्द की नगरी है। गंगा-जमुनी तहजीब की नगरी है। इस नगरी में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है, तो तीर्थों के गुरु तीर्थराज पुष्कर भी यहीं पर है। सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी भी यहीं विराजते हैं, तो जैन समाज का प्रमुख स्थल नारेली तीर्थ भी है। शब्दभेदी बाण के धुरंधर हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की इस नगरी में हिंदू-मुस्लिम सहित सभी कामों, धर्मों, जातियों और वर्गों के लोग आपसी भाईचारे और सौहार्द के साथ रहते हैं। यहां ना कोई हिंदू-मुस्लिम का विवाद है और ना ही एक-दूसरे के धार्मिक स्थलों को लेकर किसी तरह का विवाद कभी खड़ा हुआ। यहां हिंदुओं के त्यौहार होली, दीपावली, रक्षाबंधन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, मकर संक्रांति व अन्य मौकों पर मुस्लिम भाई ना केवल बधाई और शुभकामनाएं देते हैं, बल्कि हिंदू भाइयों के घर जाकर मिठाई से मिठास भी घोलते हैं। दरगाह के सामने से जब रामनवमी व महावीर जयंती पर शोभायात्रा या जुलूस निकलता है, तो मुस्लिम पूरी आत्मीयता व आदर के साथ पुष्पवर्षा कर स्वागत करते हैं। सिक्खों के पर्व पर “सतश्री अकाल, बोले सो निहाल” के साथ उनकी खुशी में शामिल होते हैं, तो ईसाई समुदाय के क्रिसमस पर बधाई देना नहीं भूलते हैं।

प्रेम आनंदकर
ईद के मौके पर हिंदू, सिक्ख और ईसाई समुदाय के लोग मुस्लिम भाइयों को गले मिलकर मुबारकबाद देते हैं। नमाज के समय अखबार, दरी आदि की व्यवस्था करते हैं। लेकिन दिल्ली में एक संगठन के पदाधिकारी ने तथाकथित फोटो के आधार पर यह दावा कर दिया कि अजमेर की दरगाह में स्वास्तिक वाली जालियां लगी हुई हैं। समझ में नहीं आता कि इस पदाधिकारी के पास यह जानकारी कहां से आई और उन्होंने किस आधार पर यह दावा किया। जबकि असल सच्चाई यह है कि गरीब नवाज की दरगाह में स्वास्तिक वाली एक भी जाली नहीं है। अजमेर की दरगाह सभी धर्मों और कौमों की आस्था का स्थल है। यहां जिस शिद्दत से मुस्लिम भाई सजदा करते हैं, उसी शिद्दत और आदर के साथ मन में आस्था लिए हुए हिंदू भी मजार शरीफ पर माथा टेकते हैं तथा अकीदत के फूल और चादर पेश करते हैं। यह वह दरगाह है, जहां सालाना उर्स में देश के प्रधानमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से चादर पेश की जाती है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जब तक जीवित रहे, उनकी तरफ से भी चादर पेश की जाती रही। यही नहीं, प्रधानमंत्री की ओर से भेजी जाने वाली चादर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात के मंत्री लाते हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से भेजी जाने वाली चादर कांग्रेस के आला नेताओं के साथ राजस्थान के प्रमुख पदाधिकारी मजार शरीफ पर पेश करते हैं। दरगाह में राजस्थान के राज्यपाल व मुख्यमंत्री ही नहीं, अन्य कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और प्रमुख दलों के मुखियाओं की तरफ से भी चादर पेश की जाती है। ख्वाजा गरीब नवाज की इस दरगाह का इतिहास 800 साल से भी अधिक पुराना है। जिस जगह ख्वाजा साहब की मजार शरीफ है, वहां किसी समय खुद ख्वाजा साहब अल्लाह की इबादत में लीन रहा करते थे। ख्वाजा साहब का पूरा जीवन बेहद सादगी और फकीराना अंदाज में बीता। उन्होंने दीन-दुखियों की सेवा में अपना पूरा जीवन बिताया। उन्होंने मानवीय और मानवता का संदेश दिया। यही कारण है कि ख्वाजा साहब को गरीब नवाज भी कहा व माना जाता है। हिंदू-मुस्लिमों सहित सभी कौमों, धर्मों, वर्गों व जातियों के लोगों में यह आस्था है कि इस दरगाह में हाजिरी देने वालों की मुराद पूरी होती है। यही कारण है कि सालाना उर्स में लाखों जायरीन देश-विदेश से अजमेर आते हैं। यही नहीं, आम दिनों में भी रोजाना देश के विभिन्न भागों से हिंदू-मुस्लिम व अन्य कौमों के लोग हजारों की संख्या में अजमेर आकर ख्वाजा साहब की दरगाह में हाजिरी देते हैं। इस दरगाह से पूरे देश में ही नहीं, संसार में भाईचारे, सांप्रदायिक सौहार्द, कौमी एकता और गरीबों की सेवा का पैगाम जाता है। यहां रूहानियत का समंदर हिलोरे लेता है। प्रधानमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से भेजे जाने वाले पैगाम में इस बात का प्रमुखता से उल्लेख किया जाता है कि ख्वाजा साहब का जीवन मानव सेवा और भाईचारे का पैगाम है। यह पैगाम सभी को एकता के सूत्र में बांधता है। इसलिए यह कहने और मानने में कोई संकोच नहीं है कि तथाकथित संगठन द्वारा अजमेर की दरगाह को लेकर उठाया गया विवाद निहायत ही बेबुनियाद है। इसे खादिमों की संस्था अंजुमन ने भी सिरे से खारिज कर दिया है। यही नहीं, इस विवाद पर अजमेरवासियों ने किसी तरह की कोई टीका-टिप्पणी या प्रतिक्रिया नहीं कर आपसी सौहार्द और भाईचारे का संदेश दिया है। यह तय है कि अजमेर पर ख्वाजा गरीब नवाज और ब्रह्माजी का साया बना हुआ है, इसलिए अजमेर की सरजमीं पर आपसी सौहार्द बिगाड़ने वाली किसी भी तथाकथित ताकत के मंसूबे कभी सफल नहीं होंगे। अजमेरवासियों ने जो सूझबूझ दिखाई है, वह पूरे देश के लिए एक मिसाल है और इसके लिए सभी अजमेरवासी धन्यवाद के पात्र हैं।

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