जब ललित जडवाल ने कर लिया अदिति मेहता की कुर्सी पर कब्जा

यह किस्सा तीस साल से भी अधिक पुराना है। 6 फरवरी 1992 का। षीर्शक का खुलासा किए देता हूं। उस दिन षहर व देहात जिला युवक कांग्रेस के अध्यक्ष श्री ललित जडवाल ने तत्कालीन जिला कलेक्टर श्रीमती अदिति मेहता के चैंबर में उनकी कुर्सी पर कब्जा कर लिया था। इतना ही नहीं, बहैसियत जिला कलेक्टर, आदेष भी देने लगे। यह एक बहुत बडी घटना थी। जिले के सबसे बडे व पावरफुल प्रषासनिक अधिकारी जिला कलेक्टर और वह भी श्रीमती अदिति मेहता जैसी तेज तेर्रार कलेक्टर की कुर्सी पर कब्जा करना छोटी-मोटी बात नहीं थी। पूरा वाक्या इस प्रकार हैः-
हुआ यूं कि तब श्री ललित जडवाल अजमेर षहर व देहात जिला युवक कांग्रेस के संयुक्त अध्यक्ष थे। उन दिनों कांग्रेस का अग्रिम संगठन युवक कांग्रेस बहुत ताकतवर था। श्री जडवाल के पास अच्छी खासी टीम थी। राज्य में भाजपा की सरकार थी। अजमेर जिले में अकाल राहत कार्य नहीं हो रहे थे। इसको लेकर श्री जडवाल ने ज्ञापन देने के लिए जिला कलेक्टर श्रीमती अदिति मेहता से टाइम ले लिया था। 6 फरवरी 1992 की सुबह साढे ग्यारह बजे का। वे हुजूम के साथ कलेक्टेट पहुंचे। पहले तो पुलिस ने मेन गेट पर ही रोकने की कोषिष की। भीड अधिक थी, इस कारण मेन गेट को धक्का देकर घुस गई। कलेक्टर के चैंबर के बाहर पहुंचे तो गार्ड ने कहा कि श्रीमती अदिति मेहता नहीं हैं। श्री जडवाल को गुस्सा आ गया कि टाइम देने के बाद भी वे ज्ञापन लेने के लिए मौजूद क्यों नहीं हैं। वे कार्यकर्ताओं के साथ चैंबर में घुस गए और जा कर कलेक्टर की कुर्सी पर बैठ गए। इंटरकॉम पर पीए से पूछा कि मैडम कहां हैं, पीए तो हक्का बक्का रह गया कि चैंबर से यह कौन बोल रहा है। वह तुरंत आया। इस पर श्री जडवाल ने उसे आदेष दिया कि अतिरिक्त जिला कलेक्टर जी एल गुप्ता को बुलाओ। श्री गुप्ता आए तो वे भी सीन दे कर हतप्रभ रह गए। उन्होंने बताया कि मैडल किसी जरूरी मीटिंग के सिलसिले में जवाजा चली गई हैं। इस पर श्री जडवाल ने सवाल किया कि टाइम दे कर वे कैसे जा सकती हैं। उन्होंने ज्ञापन श्री गुप्ता को थमाते हुए आदेष दिया कि इसे सरकार को भेजो और अकाल राहत कार्य आरंभ करवाओ। इसके बाद बाहर निकल कर पोर्च में ही कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस मौके पर पूर्व विधायक स्वर्गीय श्री षंकर सिंह रावत लाडपुरा वाले भी मौजूद थे। दूसरी ओर श्री गुप्ता ने संपूर्ण घटनाक्रम की जानकारी श्रीमती मेहता को दी। उन्होंने जडवाल व उनके कुछ साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेष दे दिए।
अगले दिन राज्यपाल श्री चैन्ना रैड्डी की विजिट थी। श्री जडवाल उन्हें भी ज्ञापन देने सर्किट हाउस पहुंच गए। साथ में कांग्रेस नेता स्वर्गीय श्री किषन मोटवानी नेतृत्व कर रहे थे। श्रीमती मेहता का श्री जडवाल से आमना सामना हुआ तो वे बोलीं, मिस्टर ललित आपने ये क्या किया? श्री जडवाल ने कहा कि आप इसे पर्सनल न लीजिए, मैंने जो कुछ किया वह जनता के हित के लिए किया है। जब वे राज्यपाल के पास पहुंचे तो श्रीमती मेहता व तत्कालीन संभागीय आयुक्त अलका काला ने उनकी षिकायत की। इस पर राज्यपाल ने कहा कि इस बारे में आप राज्य सरकार से बात कीजिए। इस अवसर पर भाजपा नेता श्री ओंकारसिंह लखावत व विधायक श्री हरीष झामनानी भी मौजूद थे। वहीं मौजूद डीआईजी एच एन मीणा ने श्री जडवाल से कहा कि आपको अरेस्ट करना पडेगा, इस पर श्री जडवाल ने जवाब दिया कि युवक कांग्रेस के कार्यकर्ता जेल को आबाद करने को तैयार हैं। वहीं खडे तत्कालीन राज्य मंत्री स्वर्गीय जनाब रमजान खान ने यह कह कर चुटकी ली कि कलेक्टर जडवाल साहब, हमारे भी कुछ काम करवा दीजिए।
जब स्व श्री मोटवानी व श्री जडवाल ने राज्यपाल को बताया कि अजमेर में अकाल से साठ से सत्तर फीसदी खराबा हुआ है, लेकिन राहत कार्य षुरू नहीं किए जा रहे, इस पर उन्होंने कलेक्टर ने कहा कि आप राज्य सरकार से निर्देष प्राप्त कीजिए। स्व श्री मोटवानी ने यह भी षिकायत की कि बीसलपुर परियोजना का काम रुका हुआ है।
प्रसंगवष बता दें कि इसके बाद अकाल राहत कार्य षुरू करने के लिए 13 फरवरी को श्री जडवाल के नेतृत्व में 1378 कार्यकर्ताओं ने बाकायदा गिरफृतारी दी।
रहा सवाल, श्री जडवाल के खिलाफ दर्ज मुकदमे का तो तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री भैरोंसिंह षेखावत ने एक आदेष के तहत कांग्रेस व भाजपा के कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज सभी राजनीतिक मुकदमे वापस लिए तो श्री जडवाल का मुकदमा भी समाप्त हो गया।

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