सफल राजनीति का गहरा सूत्र

tejwani girdhar
दोस्तों, मेरे एक मित्र अपने नेता के पास किसी काम से गए। नेता ने पूछा कैसे आए हैं, मित्र ने अपने इलाके की किसी समस्या का समाधान करने का आग्रह किया। नेताजी ने उनसे कहा कि छोडिये जनता के काम को, अपना खुद का कोई काम लाए हो तो बताइये। लोगों के काम करने का कोई अहसान नहीं मानता। सूत्र यही है कि सफल राजनीतिज्ञ वही है, जो लोगों के जायज नाजायज निजी काम करता है। इसके विपरीत वे राजनीतिज्ञ कई बार असफल हो जाते हैं, जो जन हित के काम बहुत करते हैं। ऐसा सचिन पायलट के साथ हो चुका है। उन्होंने अजमेर में अभूतपूर्व काम किए, मगर अगले चुनाव में लोग उसे भूल गए और मोदी लहर में बह गए। उदाहरण के लिए आपने किसी गली की नाली या सडक बनवा दी, तो उसका लाभ लेने वाले गली के सभी लोग आपके समर्थक या अनुयायी नहीं हो जाएंगे। यही कहेंगे कि वह तो आपकी ड्यूटी थी। उसका कोई अहसान नहीं मानेगा। लेकिन अगर आपने किसी का निजी काम किया है, किसी का टांस्फर कराया है, लाइसेंस दिलवाया है, तो वह ताजिंदगी उसे नहीं भुलाएगा। उसका अहसान मानेगा। इसलिए चतुर राजनीतिज्ञ जनहित के साथ लोगों के निजी काम को ज्यादा तरजीह देते हैं। ताकि समर्थकों की निजी टीम तैयार हो सके। असल में चुनाव में वही ठीक से काम करती है। पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता औपचारिक रूप से काम करते हैं, खर्चे की अपेक्षा करते हैं, जबकि निजी टीम जी जान लगा देती है।

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