धर्मेन्द्र राठौड अजमेर के नए मिनी सीएम?

क्या आपको पता है कि एक जमाना था जब पूर्व विधायक व अजमेर नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष डॉ श्रीगोपाल बाहेती को अजमेर के मिनी सीएम की अघोशित उपाधि मिली हुई थी। मुख्यमंत्री अषोक गहलोत से नजदीकी के चलते प्रषासन उन्हें बडे गौर से सुना करता था। वे अजमेर में गहलोत के एक मात्र बडे झंडाबरदार थे। जब भी अजमेर आते तो डॉ बोहती की जाफरी व पोल में उपस्थिति दर्ज करवाते थे, ताकि डॉ बाहेती की रूतबा बरकरार रहे। एक बार पुश्कर के विधायक बने व अजमेर उत्तर से दो बार टिकट भी हासिल किया। यूआईटी के अध्यक्ष भी बनाए गए। वक्त बदला। हालांकि बाहेती की स्थिति में कुछ खास अंतर नहीं आया है, उनकी वरिश्ठता को पूरा सम्मान मिलता है, लेकिन इस बार के गहलोत के कार्यकाल में उन्हें कुछ विषेश बडा पद न मिलने से रुतबे में जरा कमी आंकी जाती है। पिछले कुछ समय से राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड भी अजमेर के मिनी सीएम जैसे रूतबे का राजयोग भोग रहे हैं। उनकी हैसियत कुछ ज्यादा इस कारण भी है कि वे राज्यमंत्री के समकक्ष पद पर आसीन हैं। प्रषासन अब उनको विषेश तवज्जो देता है। मुख्यमंत्री के दौरों से लेकर अजमेर से जुडे मुख्य विशयों पर प्रषासन उनकी राय लेने लगा है। ले भी क्यों न। वे सीधे सीएमओ से निर्देष जारी करवा सकते हैं। सरकार व कांग्रेस पार्टी के सभी कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति रहती है। जब भी होटल खादिम में होते हैं, तो उनका दरबार लगता है। लोग अपनी अपनी समस्याएं लेकर इकट्ठे हो जाते हैं। वे उनका त्वरित समाधान भी करवाते हैं। साफ दिखता है कि सीएम अषोक गहलोत भी उनको विषेश तवज्जो दे रहे हैं। पुश्कर विकास प्राधिकरण के गठन की घोशणा उसी का परिणाम है। यही वजह है कि वे पुश्कर या अजमेर उत्तर से चुनाव लडेंगे, ऐसा माना जाने लगा है। षनैः षनैः पर्सनल टीम भी विस्तार पा रही है। उसी ने उनका जन्मदिन भव्य तरीके से मनाया। आरटीडीसी, जो अब तक सुप्तप्रायः विभाग था, वह भी अब बहुत अधिक सक्रिय है। ये तो हुई राजनीति की बात। आम जनता तो यही चाहती है कि राठौड व डॉ बाहेती जैसे दिग्गजों की मौजूदगी में अजमेर का कुछ भला हो जाए।

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