वसुंधरा मजबूरी बन जाएंगी मोदी की?

हर न्यूज चैनल पर चुनावी पंडित एक ही बात कहते हैं कि अब तक की केमेस्टी के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसी भी सूरत में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे। अगर पूर्ण बहुमत मिला तो कत्तई नहीं। चूंकि वह जीत मोदी के खाते में दर्ज होगी, इस कारण वीटो भी उनके पास रहेगा। भावी मुख्यमंत्री के रूप में अनेक नेताओं के नाम चर्चा में हैं। सबको पता हैं। ताजा नाम लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला का माना जा रहा है। दूसरी ओर यदि भाजपा पूर्ण बहुमत से दस सीट कम पर सिमटती है, तो खेल वसुंधरा के हाथ में आ जाएगा, चूंकि उनके समर्थक विधायक काफी संख्या में जीत कर आने की संभावना है। वे जोड तोड कर सकती हैं, जबकि अन्य किसी नेता में इस किस्म की काबिलियत नहीं है। ऐसे में मोदी का रूख क्या होगा, इस पर विमर्ष चल रहा है। जानकार लोग बताते हैं कि मोदी चाह कर भी वसुंधरा को फेल नहीं करेंगे। यदि वे ऐसा करते हैं तो वसुंधरा अषोक गहलोत के साथ मिल कर सरकार बनाने की कोषिष कर सकती हैं। ऐसा होने पर भाजपा की सरकार न बनने का पूरा ठीकरा मोदी पर फूटेगा। राजस्थान भाजपा के हाथ में न आने पर उनकी लोकप्रियता पर सवालिया निषान खडा होगा। चूंकि यह चुनाव मोदी के नाम पर लडा गया। आगामी लोकसभा चुनाव के ध्यान में रखते हुए अगर वसुंधरा को खेल खेलने की छूट दी जाती है और भाजपा की सरकार बन जाती है, तो उसकी क्रेडिट अंततः मोदी को ही मिलेगी। यानि खुद की ब्रांडिंग बचाने के लिए मोदी के लिए वसुंधरा मजबूरी बन सकती हैं। यह एक एंगल है राजनीतिक समीकरण का। राजनीति संभावनाओं का खेल है। इसी कारण कुछ का कयास है कि वसुंधरा समझौता करते हुए अपने पुत्र को राज्य मे मंत्री बनाने व खुद को केन्द्र में स्थापित करने पर राजी हो सकती हैं।

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