रुतबा और बढ़ेगा भंवर सिंह पलाड़ा का

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर राजनाथ सिंह के काबिज होने के साथ ही उसका अजमेर की राजनीति पर भी असर पड़ता साफ दिखाई दे रहा है। अब प्रदेश के साथ शहर का सांगठनिक ढ़ाचा बदलने पर स्थानीय अध्यक्ष पद पर चाहे जो काबिज हो, मगर सबसे ज्यादा अहमियत युवा भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा की होने वाली है। और इसकी वजह है उनकी सिंह से करीबी।
असल में राजनीति के गिने-चुने जानकारों का ही पता है कि पिछली बार विधानसभा चुनाव में पुष्कर सीट का टिकट वे राजनाथ सिंह के सीधे हस्तक्षेप से ही लेकर आए थे। उस वक्त स्थानीय व राज्य स्तर के नेता कत्तई नहीं चाहते थे कि उन्हें टिकट मिल जाए। वजह थी थोड़े से ही समय में उनका राजनीति में दबदबा कायम कर लेना। मगर राजनाथ सिंह से सीधे व करीबी रिश्तों के दम पर वे टिकट ले कर आए। उन्होंने राजनाथ सिंह की एक जनसभा भी करवाई। यह बात दीगर है कि भाजपा के बागी श्रवण सिंह रावत ने समीकरण बिगाड़ दिया, प्रदेश हाईकमान भी कुछ नहीं कर पाया और वे पराजित हो गए। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पंचायत चुनाव में अपनी धर्म पत्नी श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा को उतारा व जितवाने के बाद उन्हें जिला प्रमुख की कुर्सी पर काबिज करवाने में भी सफल रहे।

अपनी धर्मपत्नी, जिलाप्रमुख श्रीमती सुशील कंवर पलाडा के साथ

ताजा राजनीतिक हालात में चर्चा यही है कि वे पुन: विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। राजनाथ सिंह के अध्यक्ष बनने से पहले ही यह माना जाता रहा है कि टिकट लाने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं आएगी। मगर अब जब कि सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं तो यूं समझिये कि उनका टिकट तो पक्का ही है। पत्नी के जिला प्रमुख होने के कारण अब उनकी पूरे जिले पर भी पकड़ कायम हो चुकी है। संभव है वे लोकसभा चुनाव लडऩे का मानस बनाएं। ऐसे में समझा जा सकता है कि उनको टिकट लेने में अड़चन नहीं आएगी।
-तेजवानी गिरधर

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