टंडन-सिंह में ट्यूनिंग नहीं, कैसे चलेगी बार की गाडी?

ऐसा प्रतीत होता है कि अजमेर बार एसोसिएशन के इंजन में लगे दो पहिये रूपी अध्यक्ष राजेश टंडन व सचिव चंद्रभान सिंह अलग-अलग दिशाओं में जाने को आतुर में हैं। ऐसे में बार की गाडी क्या होगा, खुदा ही जाने। एक माह में दो बार ऐसी नौबत आई कि बार पूरी तरह से दो फाड़ सी हो गई। पहले ई कियोस्क मसले पर टंडन के जिला कलेक्टर वैभव गालरिया से वार्ता कर आने पर सिंह खेमे ने उनकी इज्जत उतार कर हाथ में दे दी तो अब सिंह ने अपने स्तर पर अन्ना के आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया तो टंडन खेमा पसर गया। ये तो गनीमत है कि दोनों ही बार सुलह हो गई, और दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी तलवारें म्यानों में रख लीं। यह एक सुविज्ञ तथ्य है कि कोई भी संगठन तभी कामयाब होता है, जबकि अध्यक्ष और सचिव की ट्यूनिंग ठीक होती है, वरना आए दिन मतभेद होते हैं। टंडन व सिंह के बीच भी ट्यूनिंग का अभाव प्रतीत होता है। इसी कारण दोनों एक-दूसरे की राय लिए बिना अपने स्तर पर ही काम निपटाने की कोशिश में लगे रहते हैं। पहले टंडन ने सिंह को विश्वास में लिए बिना ही कलेक्टर से समझौता वार्ता कर ली तो अब सिंह ने टंडन को जानकारी दिए बिना ही अन्ना को समर्थन देने का निर्णय कर लिया। सिंह ने अन्ना हजारे द्वारा दिल्ली में शुरू किए गए आंदोलन के समर्थन में बुधवार को कामकाज स्थगित रखने का पत्र अदालतों में भिजवा दिया। वकीलों को सचिव के स्तर पर की गई कार्रवाई की जानकारी दूसरे दिन सुबह अदालत पहुंचने पर मिली तो कांग्रेस विधि विभाग के अध्यक्ष वैभव जैन समेत अन्य वकीलों ने सचिव से इसका विरोध किया। उनका कहना था कि किसी के समर्थन में अदालतों का कामकाज स्थगित रखने का फैसला बार या साधारण सभा के द्वारा ही लिया जा सकता है। किसी को आंदोलन विशेष का समर्थन करना है तो वह व्यक्तिगत रूप से कर सकता है। ऐसा प्रतीत होता है कि सिंह से यही गलती हो गई कि उन्होंने निजी तौर पर अन्नावाद के प्रभाव में आ कर अति उत्साह में पत्र जारी कर दिया। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें यह प्रतीत हुआ हो कि उनकी ही तरह अन्य वकील भी भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे आंदोलन का साथ दे देंगे। बाद में विरोध हुआ तो उस पर खेद जता दिया। नतीजतन अन्ना के समर्थन का आंदोलन फुस्स हो गया। यहां तक कि पुतला तक नहीं फूंका जा सका। इस पूरे प्रकरण का अफसोसनाक पहलु ये रहा कि अध्यक्ष टंडन पूरी तरह से अंधेरे में थे। उन्होंने आंदोलन के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कह दिया वे जयपुर गए हुए थे। है न अजीबोगरीब विडंबना। इससे यह साबित हो गया है कि सचिव सिंह बार अध्यक्ष टंडन को कितना गांठते हैं और टंडन सिंह को। प्रतिष्ठा व अहम की इस लड़ाई से दोनों को तो आए दिन नुकसान होगा ही, बार के साधारण सदस्य भी असमंजस में रहेंगे।

-तेजवानी गिरधर

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