गोरान को दी गई क्लीन चिट अभी अधूरी है

dr. habib khan goran 2पुलिस थानों से मंथली लेने के मामले में गिरफ्तार अजमेर के एसपी राजेश मीणा ने यह कह कर कि दलाल रामदेव ठठेरा थैला लेकर राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष हबीब खान गोरान के घर भी गया था, उन पर संदेह की सुई इंगित करने की कोशिश की, मगर एसीबी के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक अजीत सिंह ने गोरान को यह कह कर क्लीन चिट दे दी कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है। बात बिलकुल ठीक है। जब साक्ष्य मिला ही नहीं तो कार्यवाही होती भी क्या, मगर ठठेरा का गोरान के घर जाने का खुलासा ही अपने आप में कई सवाल खड़े करता है।
अव्वल तो जब गोरान के घर पर ठठेरा के जाने को यदि सामान्य मुलाकात ही माना गया है, तो एसीबी को जरूरत ही क्या पड़ी कि उसने प्राथमिकी में इसका जिक्र किया। जब गोरान व ठठेरा के बीच कुछ गलत हुआ ही नहीं तो उसका जिक्र करना ही नहीं चाहिए था। चलो, एससीबी की इस बात को मान लेते हैं कि उनको गोरान के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है, मगर क्या इतना कहने भर से बात समाप्त हो जाती है। बेहतर ये होता कि वे इस बारे में ठठेरा ने क्या स्पष्टीकरण दिया, इसका खुलासा करते, ताकि उनकी बात पर यकीन होता। फरार आरपीएस लोकेश सोनवाल के घर निकलते समय वह बैग लेकर गोरान के घर गया और बाहर निकला तो बैग उसके हाथ में नहीं था, तो सवाल ये उठता है कि उस बैग में क्या था? क्या उसने आगरा गेट सब्जीमंडी से सब्जी खरीद कर गोरान के घर पहुंचाई थी? इसके अतिरिक्त अजीत सिंह ने यह भी नहीं बताया कि क्या उन्होंने इस बारे में गोरान से भी कोई पूछताछ की थी? यदि पूछताछ की थी तो उन्होंने ठठेरा के आने की क्या वजह बताई? अजीत सिंह की यह बात यकीन करने लायक है कि मंथली प्रकरण में गोरान की कोई लिप्तता नहीं पाई गई है, मगर एसपी मीणा को मंथली देने जाते समय बीच में उसका गोरान के घर थैला लेकर जाना संदेह तो पैदा करता ही है।
बेशक अजीत सिंह ने अपनी ओर से गोरान को क्लीन चिट दे कर एक अध्याय समाप्त करने की कोशिश की है, वरना आयोग अध्यक्ष जैसे बड़े संवैधानिक पद व आयोग जैसी बड़ी संस्था की कार्यप्रणाली पर संदेह बना ही रहता। मगर इस प्रकरण में उठ रहे चंद सवालों का भी खुलासा होना चाहिए, ताकि एसीबी की तरह आम जनता की ओर से भी गोरान को पूरी क्लीन चिट मिल जाए।
-तेजवानी गिरधर

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