गनीमत है कि पीडि़ता के साथ जयपाल हैं

पत्रकारों से बात करती पीडित छात्रा
पत्रकारों से बात करती पीडित छात्रा

ये गनीमत है कि भगवंत यूनिवर्सिटी के चेयरमैन अनिल सिंह ने कथित रूप से जिस छात्रा के साथ दुराचार का प्रयास किया, उसने स्थानीय स्तर पर पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल का सहारा ले लिया, वरना उसे कभी का चुप करवा दिया जाता।
अनिल सिंह कितने ताकतवर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि उन्होंने मामले से बचने के लिए कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी। यह अलग बात है कि कोई चारा नहीं बचने पर आखिर सरंडर कर दिया, मगर इससे पहले लंबे समय तक अंडरग्राउंड बने रहे। सिंह के हाथ लंबे होने का संकेत इस बात से भी मिलता है कि मामला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जानकारी में आने बाद भी पुलिस खुद उनको पकड़ नहीं पाई। वे आर्थिक रूप से कितने संपन्न हैं, इसका अंदाजा इसी बात से हो जाता है कि उनकी ओर से छात्रा से कथित रूप से मिले लेक्चरर आशीष कुलश्रेष्ठ ने मामला रफा-दफा करने की एवज में एक करोड़ रुपए तक की पेशकश की। इतना ही नहीं अजमेर आना नहीं चाहे तो बाकी के सभी पेपर घर बैठ कर दिलाने की व्यवस्था करने व विदेश में नौकरी भी दिलवाने तक का चुग्गा डाला। साथ ही वे कितने बाहुबली हैं, इसका संकेत इसी बात से लगता है कि उनकी ओर से छात्रा को बात न मानने पर कथित रूप से जान से मारने की धमकी के एसएमएस व ईमेल किए गए। इतने दबाव में कोई भी लड़की या तो लालच में आ जाती या फिर डर कर सरंडर हो जाती, मगर चूंकि पीडि़त छात्रा ने डॉ. जयपाल का आश्रय लिया, इस कारण उसके मन में तनिक भी डर नहीं समाया। गलती से किसी और का सहारा लेती तो वह अनिल सिंह के बाहुबल व धनबल के आगे कदाचित पीछे हट जाता।

प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद डा जयपाल, रमेश सेनानी, कुलदीप कपूर व अन्य
प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद डा जयपाल, रमेश सेनानी, कुलदीप कपूर व अन्य

यहां उल्लेखनीय है कि भगवंत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. वी. के. शर्मा ने छात्रा की फीस माफ न करने पर झूठे मुकदमे में फंसाने और जयपाल व अनिल सिंह के बीच किसी जमीन विवाद की ओर इशारा किया था। अगर उनकी बात सही मान भी ली जाए तो भी ये स्पष्ट है कि अनिल सिंह से टक्कर लेने का माद्दा डॉ. जयपाल में ही है, चाहे निजी मकसद की वजह से ही सही। छात्रा के साथ डॉ. जयपाल नहीं होते तो अनिल सिंह कभी के मामले को सैट कर लेते।
ज्ञातव्य है कि अनिल सिंह को कोर्ट के आदेश पर पंद्रह दिन तक न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया है। सिंह ने एडीजे संख्या-5 महेंद्र सिंह के समक्ष समर्पण कर दिया था। बाद में उसे कार्यवाहक न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-3 की अदालत में पेश कर एक दिन के रिमांड पर क्रिश्चियन गंज थाना पुलिस को सौंप दिया गया था।
-तेजवानी गिरधर

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