यानि कि बहुत कठिन है थानेदारों का फंसना

एसीबी की गिरफ्त में निलंबित एसपी राजेश मीणा
एसीबी की गिरफ्त में निलंबित एसपी राजेश मीणा

अजमेर जिले के थानेदारों से मंथली लेने के मामले में भले ही पुलिस कप्तान राजेश मीणा गिरफ्तार व निलंबित हुए हों और फरार एएसपी लोकेश सोनवाल भी नामजद हों, मगर जिन थानेदारों को इसी सिलसिले में लाइन हाजिर किया गया है, उनका शिकंजे में फंसना कुछ कठिन ही प्रतीत होता है।
कहा जा रहा है कि मंथली प्रकरण में चिन्हित थानेदारों के खिलाफ केवल कॉल डिटेल रिकार्ड ही एक मात्र पुख्ता साक्ष्य हो सकता है, इसके अलावा अन्य कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं है। गृह विभाग के सचिव के निर्देश पर एसीबी थानेदारों की कॉल डिटेल का पूरा विवरण तैयार करने के लिए कहा था। उसी की पालना में एसपी ऑफिस में जांच पड़ताल कर थानेदारों की सर्विस बुक, सीयूजी नंबरों और बैंक अकाउंट के बारे में जानकारी जुटा कर एक सूची तैयार की गई है। बैंक खातों से यह पता लगाया जा रहा है कि थानेदारों ने कब कितनी राशि निकाली गई और जमा करवाई गई। अर्थात ये पता लगाया जाएगा कि मंथली का कितना हिस्सा वे अपने पास रखते थे। मगर यह जरूरी तो नहीं कि थानेदारों ने अपना सारा ट्रांजेक्शन बैंक के जरिए ही किया हो।
रहा सवाल कॉल डिटेल रिकार्ड का तो बेशक सीयूजी के नंबरों कॉल डिटेल से जांच कुछ आगे बढ़ेगी, मगर परेशानी ये है कि हर थानेदार के पास सीयूजी के अलावा एक-एक दो-दो निजी सेलफोन नंबर भी रहे होंगे। बताते हैं कि थानेदारों ने अगर दलाल रामदेव ठठेरा से बात की भी होगी तो अपने निजी नंबरों से। ऐसे में एसीबी के लिए थानेदारों व ठठेरा के बीच हुई बात का रिकार्ड हासिल करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। अव्वल तो निजी नंबरों का पता लगाना कठिन है, दूसरा मिल भी गए तो जरूरी नहीं कि उन्होंने अपने नाम से ही लिए हों। ऐसे में अगर कुछ थानेदार दम भर रहे हैं कि उनका कुछ नहीं हो सकता, तो उसमें दम नजर आता है।
-तेजवानी गिरधर

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