पार्षदों का केवल टांग अड़ाना तो ठीक नहीं

शहर में नए राशनकार्ड बनाने लिए फार्म वितरण एवं जमा करने के लिए लगाए जा रहे शिविर में जनता के नुमाइंदे कहाने वाले पार्षदों का नदारद रहना बेहद अफसोसनाक है। विशेष रूप से जब इस बेहद कठिन और अहम कार्य में पार्षदों को अहमियत नहीं दिए जाने पर पार्षदों की ओर से जिला रसद अधिकारी हरिशंकर गोयल की खिंचाई की गई हो और उनके दबाव की वजह से ही जिला प्रशासन की ओर से उनकी भागीदारी को अहमियत दी गई हो तो शिविर में न मौजूद रहना यह संदेश देता है कि क्या वे केवल टांग अड़ाने की ही भूमिका अदा कर रहे हैं या फिर जनता के नुमाइंदे होने के नाते जनता से सीधे जुड़े शिविर में उनकी कोई रुचि नहीं है।
यहां उल्लेखनीय है कि पार्षदों की गैरमौजूदगी की वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। फार्म सत्यापित कराने के लिए लोग उनका इंतजार करते रहते हैं और आखिरकार निराश होकर अपने घर लौट जाते हैं। लोगों का आरोप है कि पहले फार्म लेने के लिए चक्कर लगाने पड़े थे, अब फार्म का सत्यापन करवाने के लिए पार्षदों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। ज्ञातव्य है कि रसद विभाग की लापरवाही, प्रगणकों की कमी और प्रगणकों की कोताही के चलते ही पार्षदों के दबाव पर अब नगर निगम के सहयोग से सभी वार्डों में शिविर लगाए जा रहे हैं। ऐसा इसलिए भी किया गया है मौके पर ही पार्षद फार्म को सत्यापित कर दें, लेकिन जब वे वहां से नदारद रहते हैं तो लोगों को परेशानी होती है। इतना ही नहीं, फार्म में मांगी गई अत्यधिक जानकारियों की वजह से आम आदमी को बड़ी परेशानी हो रही है। ऐसे में यदि पार्षद थोड़ी सी भी सक्रियता दिखाएं तो यह बेहद दुरूह काम सरल हो सकता है।
गौरतलब है कि इस मसले पर पार्षदों की ओर से दी गई दलीलों में वाकई दम था कि उनकी भागीदारी न होने के कारण आम लोगों को परेशानी हो रही है और वे उन्हें परेशान कर रहे हैं। अब जब कि प्रशासन की पहल पर वार्ड वार शिविर लगाए जा रहे हैं, तो उन्हें अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए।
-तेजवानी गिरधर

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