फिर अधूरी रह गई ब्यावर की आस

राज्य बजट में नहीं हुई जिले की घोषणा, ब्यावर को मिला मेडिकल कॉलेज, टॉडगढ़ को एसडीओ, जवाजा को बीसलपुर का पानी
-सुमित सारस्वत-

सुमित सारस्वत
सुमित सारस्वत

ब्यावर। राज्य के सबसे बड़े उपखण्ड व तेरहवें बड़े शहर ब्यावर की आस एक बार फिर अधूरी रह गई है। बुधवार को विधानसभा में पेश हुए राज्य बजट में शहर की उम्मीदों को पंख नहीं लगे। बजट से पूर्व उम्मीद थी कि सूबे के मुखिया अशोक गहलोत इस बजट में ब्यावर को जिले की सौगात देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुख्यमंत्री ने बजट घोषणा में ब्यावर जिले की घोषणा नहीं की। बजट शुरू होने के साथ शहरवासियों की निगाहें टेलीविजन पर टिक गई। लोग टकटकी लगाए इस उम्मीद में रहे कि गहलोत अपने जादुई पिटारे से ब्यावर को जिले की सौगात देंगे। बजट भाषण के अंतिम वाक्य तक लोग एक-दूसरे से चर्चा करते रहे कि ब्यावर जिला अवश्य बनेगा और सीएम आखरी में इसकी घोषणा अवश्य करेंगे। लेकिन जैसे ही गहलोत ने अपना बजट भाषण समाप्त किया लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। अब शहरवासी एक बार फिर खुद को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि ब्यावर को जिला बनाने की मांग नई हो। विधानसभा में वर्षों से यह मांग उठती रही है। हर राजनैतिक पार्टी ब्यावर जिले की घोषणा को लेकर चुनावी वादे करती रही है। लेकिन ये वादा अब तक पूरा नहीं हुआ। हर सरकार ने चुनाव में वोट बटोरने के लिए ब्यावर को जिला घोषित करने का आश्वासन दिया। मगर चुनाव बाद आश्वासन सिर्फ आश्वासन ही रह गया।
हर दृष्टि से जिला योग्य
Beawarआंकड़ों के मुताबिक ब्यावर शहर प्रदेश के कई जिला मुख्यालयों से बड़ा है। अंग्रेजों के जमाने से ही ब्यावर औद्योगिक और व्यावसायिक दृष्टि से राजस्थान का अग्रणी केंद्र रहा है। आजादी के बाद मेरवाड़ा स्टेट की राजधानी रहा। प्रदेश की पहली नगर परिषद ब्यावर में ही स्थापित हुई। प्रदेश का पहला चर्च भी ब्यावर में बना और यहीं से मिशनरी कार्य की शुरूआत भी हुई। आजादी से पूर्व स्वतंत्रता सैनानियों की कर्म स्थली व शरण स्थली रहा। सूचना का अधिकार कानून की लड़ाई भी ब्यावर की धरा से ही प्रारंभ हुई। तिलपट्टी व सीमेंट उद्योग की वजह से आज ब्यावर की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान है। हर साल सरकार को 1200 करोड़ की राजस्व आय होती है। जनसंख्या और भौगोलिक दृष्टि से भी ब्यावर जिला बनने के योग्य है। हर मापदण्ड पर खरा उतरने के बावजूद ब्यावर को आज तक जिला नहीं बनाए जाने की टीस हर शहरवासी के मन में है।
थमा दी लॉलीपॉप, फिर इंतजार
हालांकि, सरकार ने इस बात का ध्यान रखा है कि ब्यावर को जिला घोषित नहीं करने पर आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को खामियाजा भुगतान पड़ सकता है। इसी के चलते उन्होंने ब्यावर विधानसभा क्षेत्र को तीन नई सौगात दी है। सरकार ने ब्यावर में मेडिकल कॉलेज की घोषणा कर लंबे समय से उठ रही मांग इस बार पूरी कर दी है। साथ ही ब्यावर उपखण्ड की जवाजा पंचायत समिति के 199 गांवों के लिए 250 करोड़ रुपए की बीसलपुर पेयजल योजना को स्वीकृति दी है। इसके लिए भाजपा से जुड़े विधायक शंकरसिंह रावत लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे। वहीं, सरकार ने टॉडगढ़ को उपखण्ड कार्यालय का तोहफा दिया है। इससे अब टॉडगढ़ की जनता को उपखण्ड स्तरीय कार्य के लिए 55 किलोमीटर का सफर तय कर ब्यावर नहीं आना पड़ेगा। साथ ही टॉडगढ़ के प्राचीन चर्च क्षेत्र के जीर्णोद्वार हेतु भी बजट जारी किया है। हालांकि, इन सभी घोषणाओं को ऊंट के मुंह में जीरे के समान माना जा रहा है। लोगों का मानना है कि सरकार ने ब्यावर जिले के मुद्दे पर उठने वाले विवाद को शांत करने के लिए यह ठण्डे छींटे दिए हैं। अब फिर जनता को इंतजार है कि ब्यावर की बहुप्रतीक्षित जिले की मांग आखिर कब पूरी होगी।

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