धर्मेश जैन का छिपा एजेंडा क्या है?

Dharmesh Jain

श्रीश्याम सत्संग समिति की ओर से सुभाष उद्यान में आयोजित श्रीरामनाम परिक्रमा कार्यक्रम में नगर सुधार न्यास के पूर्व सदर धर्मेश जैन जिस तरह से विशेष भूमिका अदा की, उसे देख कर राजनीति के जानकार उनके छिपे एजेंडे को सूंघने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा इसलिए कि वे हैं तो जैन समाज के, जो कि सनातन अथवा हिंदू धर्म से अलग धर्म का पालन करने वाला है, मगर सनातन धर्म से जुड़े समूह के इतने विशाल आयोजन में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। शहर को शायद ही कोई ऐसा नेता हो, जिसे उन्होंने इस आयोजन में बुलवा कर आरती करने का मौका न दिया हो। ख्वाजा साहब की दरगाह के प्रमुख खादिमों ने भी सांप्रदायिक सौहार्द्र का परिचय देते हुए इसमें शिरकत की। इतना ही नहीं कार्यक्रम की विशालता का अंदाजा इस बात से भी लगता है कि ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के दीवान सैयद जेनुअल आबेदीन का अभिनंदन करने अजमेर आए शिवसेना के सांसद अनंत गीते, संजय राउत तथा अनिल देसाई ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत करना मुनासिब समझा। उनका स्वागत करने वालों में जैन की ही पुत्र विवेक जैन आगे थे। इसी प्रकार विहिप नेता प्रवीण भाई तोगडिय़ा का आगमन भी विशेष अर्थ रखता है।
हालांकि यह सही है कि भले ही जैन धर्म हिंदू धर्म से अलग है, मगर वैश्य समुदाय का हिस्सा होने और जैनियों के सामान्यत: भाजपा मानसिकता के होने के कारण जैनियों की नजदीकी सनातन धर्मियों से रहती ही है। जहां तक जैन का सवाल है वे भाजपा संगठन में अहम भूमिका में रहे हैं और पिछले भाजपा कार्यकाल में न्यास सदर भी रह चुके हैं, इस कारण उनकी हिंदूवादी संगठनों से स्वाभाविक करीबी है। इस नाते हिंदू धर्म के आयोजनों में भी उनकी विशेष मौजूदगी रहती है। हालांकि जैन स्वभाव से धार्मिक हैं और समाज के धार्मिक कार्यों में भी अग्रणी भूमिका में रहते हैं, इस कारण चौंकने जैसा कुछ नहीं है, मगर सनातन धर्मावलंबियों के इतने विशाल आयोजन में उनकी अहम भूमिका में होना तनिक चौंकाने वाला प्रतीत होता है। जैन धर्म से होने के कारण यूं भले ही वे हिंदुओं की तरह हनुमान जी को न मानते हों, मगर उन्होंने अपने संस्थान की ओर से हनुमान चालीसा बड़े छपवा कर उनका वितरण भी किया है।
भले ही जैन का इस आयोजन में अग्रणी भूमिका में रहने के पीछे कोई खास मकसद न हो और वे विशुद्ध धार्मिक व सामाजिक भाव से जुड़े हों, मगर चुनावी मौसम में इस प्रकार की गतिविधियों को स्वाभाविक रूप से उसी की रोशनी में देखा जाता है। भले ही जैन आयोजन की सफलता को राजनीति में भुनाने की अपनी ओर से कोई कोशिश न करें, मगर यह स्वयंसिद्ध तथ्य है कि इस आयोजन से उनके कद में इजाफा हुआ है और उन्हें इसका राजनीति पृष्ठभूमि में लाभ जरूर मिलेगा। कहने की आवश्यकता नहीं है कि उनकी नजर आगामी विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर की सीट सहित अजमेर लोकसभा सीट पर है।
-तेजवानी गिरधर

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