नक्कारखाने में तूती की आवाज

teacher savitriरोज़ शाम को जब में एक जगह से निकलता हूँ तो रोज़ एक संख्या होती है जो बदल जाती है जैसे की आज ७ मई को वो संख्या थी 68. अब तो आदत सी हो गयी है की देखने की क्या संख्या है.
आप सोंच रहे होंगे की ये 68 क्या है सब बताते हैं आपको.
अब आप देखिये बहुत तेज गर्मी का जमाना है लगभग ४२ डिग्री के करीब तापमान है और बिना पंखे के खुले में तो और ज्यादा गर्मी लगती है इसको महसूस करना तो कल दोपहर को कुछ देर बिना पंखे के बैठ कर अनुभव करे.
बात ये है की यदि आप कोई आन्दोलन भी करते है तो उसके लिए भी टीम-टाम की जरुरत होती है और सबसे बड़ा मीडिया का साथ भले ही आपके साथ पांच लोग हो पर यदि मीडिया आपके साथ है तो ऐसे एंगल से फोटो खिचेगा लगेगा ५ हजार की भीड़ हो, और यदि आन्दोलन धर्म के नाम पर हो तो भीड़ पागल हो जाएगी इतनी पब्लिक आयेगी.
खैर ये 68 का अंक एक दिनों के संख्या को दर्शाता है की कैसे आज आन्दोलन ६८ वे दिन में प्रवेश कर गया ये आन्दोलन है अपनी रोज़ी रोटी के लिए अपने परिवार के पालन पोषण के लिए (आप खुद सोचिये यदि आपको वेतन न मिले तो क्या हो).
ये आन्दोलनकर्ता है सावित्री कॉलेज अजमेर के वो कर्मचारी जो उम्र के इस पड़ाव पर हैं की उनको अब कोई दूसरी नौकरी भी नहीं मिल सकती. इनकी गलती क्या है १०-१५ साल नौकरी कर ली और अब ये दिन देखने पड़ेंगे, इनकी गलती ये है की इनके पास कोई जादुई ग्लोब तो था नहीं जो ये देख लेते की सरकार इसको अधिग्रहित कर लेगी और हमें नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा शिक्षकों के संगठन तो मजबूत थे अपने पद बचा लाये और बेचारे बाबु लोगो का कोई संगठन नहीं था तो ये लटक गए.

ऐतेजाद अहमद खान
ऐतेजाद अहमद खान

अजमेर के लोगो ने भी बहुत नेतागिरी कर के इस कॉलेज को बचाया की छात्राएं कहाँ पड़ेंगी, सरकार को भी मजे आ गये अरबों रुपयें की सम्पति मिली. मलाई मलाई सब ने ले ली पर जब जिम्मेदारी की बात आयी कोई भी साथ नहीं आया.
जय हिन्द
जय भारत के लोग
-ऐतेजाद अहमद खान

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