वक्त-वक्त का फेर है, इसी का नाम अजमेर है

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हालांकि यह कहावत आम तौर पर अनेक शहरों में उनके शहरों के नाम के साथ प्रचलित हो सकती है, मगर अजमेर में तो खास तौर पर कही जाती है। निहितार्थ सिर्फ इतना कि आदमी कुछ नहीं होता, सब कुछ वक्त ही होता है। वक्त उसी आदमी को राजा तो उसी को रंक भी बना देता है। घड़ी की सुइयां अगर बारह बजाएं तो आदमी अर्श पर पहुंच जाता है और साढ़े छह बजें तो फर्श पर आ टिकता है। हालांकि कहावत इसके ठीक विपरीत बनी हुई है, वो यह कि जब किसी का बहुत बुरा हो जाता है तो कहते हैं उसकी तो बारह बज ही गई। अपुन को पता नहीं इस कहावत को कैसे गढ़ा गया।
खैर, बात मुद्दे की करें। चित्र में देख ही रहे हैं कि अजमेर के निलंबित एसपी राजेश मीणा और एएसपी लोकेश सोनवाल कैसी मुद्रा में खड़े हैं। कभी इन दोनों की इस शहर में तूती बोलती थी। अच्छे-अच्छों की घिग्घी बंध जाती थी। मगर जब वक्त बुरा आया तो इसी शहर में कोर्ट में ऐसी हालत में नजर आने लगे। यह फोटो शहर के जाने-माने फोटो जर्नलिस्ट महेश नटराज ने अपनी फेसबुक वाल पर लगाया है। ज्ञातव्य है कि थानों से मंथली वसूली के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक मामले की विशेष अदालत में दोनों को पेश किया गया था।

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