अजमेर ने खो दिया पत्रकारिता का एक स्तम्भ

Narendra Rajguruवरिष्ठ पत्रकार एवं अजमेर जिला पत्रकार संघ के संरक्षक श्री नरेन्द्र राजगुरू का मुम्बई के एक चिकित्सालय में निधन हो गया। वे 84 वर्ष के थे। वे अजमेर के वरिष्ठतम पत्रकार थे, जो उम्र के आखिरी पडाव पर भी काम करते रहे। वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री नरेन्द्र राजगुरू का हिंदी व अंग्रेजी पर समान अधिकार था।। उन्होंने देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में अपनी सेवाएं दी। स्वभाव से मधुर, शालीन और हंसमुख श्री राजगुरू जोधपुर के ब्राह्मण परिवार से थे। उनका जन्म 23 जून 1929 को स्वर्गीय श्री गीगजी राजगुरू के घर हुआ। उन्होंने जोधपुर में बीए ऑनर्स व मुंबई में पत्रकारिता का डिप्लोमा किया। उन्होंने डॉ. सत्यकामत विद्यालंकार के अभियान सप्ताहिक से लेखन कार्य शुरू किया। खादी ग्रामोद्योग मुम्बई व जयपुर में प्रचार सहायक व प्रचार अधिकारी रहे। इसके बाद डीसीएम की गृह पत्रिका से संपादन का कार्य शुरू किया। हिंद सायंकाल लि., मुम्बई में प्रचार अधिकारी के रूप में काम किया। हिंदी डायजेस्ट नवनीत, मुंबई में उपसंपादक के रूप में काम किया। मुम्बई में ही अनुजा मासिक पत्रिका आरंभ कर उसका संपादन किया। मुम्बई में ही दैनिक सांध्यकालीन समाचार पत्र सायंदीप का संपादन किया। वे टाइम्स ऑफ इंडिया पत्र समूह, मुंबई में प्रशासनिक विभाग सहायक व अधिकारी के रूप में काम किया, लेकिन साथ ही लेखन कार्य भी जारी रखा। उन्हें लेखन की प्रेरणा डॉ. सत्येन्द्र जी व डॉ. धर्मवीर भारती से मिली। देश ही नहीं विदेश में ओमान के एक छोटे पत्र समूह और विश्व प्रसिद्ध संस्था नाफेन में भी काम किया। इस दौरान उन्हें लंदन व रूस जाने का मौका मिला। सन् 1949 से उनकी कहानियां देश की अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। उनकी प्रकाशित पुस्तक इस प्रकार हैं:- उपन्यास एक और नीलम, उपन्यास गुलनार, कहानी संग्रह विश्वकर्मा के आंसू, कहानी संग्रह उगते सूरज की लाली, संस्मरण वृतांत दर्द की खुली किताब(मीना कुमारी), दिल तो पागल है, गजल संग्रह (अंग्रेजी में), उपन्यास बीहड़ों की रानी। वे प्रति वर्ष पत्रकार निदेशिका भी प्रकाशित करते हैं।

error: Content is protected !!