ब्यावर : रावत व महाजन के बीच हो सकती टक्कर

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संभावित भाजपा उम्मीदवार

विधायक रावत को दोबारा मिल सकता टिकट
कांग्रेस में बाहरी प्रत्याशी की चर्चा
-सुमित सारस्वत- ब्यावर। इन दिनों सियासी हलचल ने नेताओं की नींद उड़ा रखी है। खास तौर पर उनकी, जो टिकट पाने का सपना संजोए बैठे हैं। यही वजह है कि टिकट की चाह रखने वाला हर नेता पार्टी मुख्यालय के दर पर दस्तक दे रहा है। ब्यावर विधानसभा क्षेत्र के नेताओं का भी कुछ यही हाल है। यहां भी कांग्रेस व भाजपा से टिकट की मांग करने वाले नेता जयपुर व दिल्ली मुख्यालय के चक्कर काट रहे हैं।
क्षेत्र के समीकरणों की बात करें तो यह सीट रावत बाहुल्य है। ऐसे में यहां रावत प्रत्याशी की दावेदारी प्रबल है। ब्यावर विधानसभा क्षेत्र में करीब 2 लाख 7 हजार 129 मतदाता है। इनमें से चालीस फीसदी मतदाता रावत हैं। रावत वोट बैंक को भाजपा समर्थित माना जाता है। शायद यही वजह रही कि गत चुनाव में भाजपा प्रत्याशी शंकर सिंह रावत साढ़े 37 हजार मतों से रिकॉर्ड जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे। प्रदेश में यह तीसरी बड़ी जीत थी। जीत के अंतर और पार्टी प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे से नजदीकियों के चलते माना जा रहा है कि विधायक रावत को एक बार फिर ब्यावर से उम्मीदवारी मिल सकती है। अगर ऐसा होता है और वे दुबारा विधायक बनने में कामयाब रहते हैं तो ब्यावर के लिए नया इतिहास बनेगा। अब तक क्षेत्र में कोई भी नेता लगातार दो बार विधायक नहीं बना।

संभावित कांग्रेस उम्मीदवार
संभावित कांग्रेस उम्मीदवार

हालांकि, रावत का टिकट कटवाने के लिए गैर रावत ही नहीं, बल्कि रावत प्रत्याशी भी दिन-रात एक कर रहे हैं। सभी का प्रयास है कि इस बार शंकर सिंह को टिकट नहीं मिले। मगर ऐसा होता दिख नहीं रहा है। ब्यावर क्षेत्र से जितने भी नेताओं ने विधायक का विरोध किया, उन्हें मैड़म ने दो टूक शब्दों में हिदायत दी कि वे नसीहत देने की बजाय क्षेत्र में जाकर पार्टी का कार्य करें। इससे स्पष्ट है कि विधायक रावत अब भी आलाकमान की पहली पसंद है। हो भी क्यों ना। शंकर सिंह ने विधायक रहते पार्टी को ऊंचाईयों पर पहुंचाने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री के सामने दहाड़ लगाकर क्षेत्र की समस्याओं को विधानसभा में प्रमुखता से उठाया। सदन में कई बार धरना दिया। इतना ही नहीं, आमजन की समस्याओं के समाधान को लेकर ब्यावर में अनशन और पदयात्राएं भी की। पार्टी की गुटबाजी के दौरान वे राजे के साथ खड़े रहे। खैर, निजी कारणों के अलावा उनकी बड़ी जीत को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। फिर भी यदि पार्टी किसी नए चेहरे को मैदान में उतारने का मानस बनाती है तो अजमेर से पांच बार सांसद रहे रासासिंह रावत को ब्यावर के मैदान में उतारा जा सकता है। सूत्रों की मानें तो इस बार यदि गैर रावत को टिकट दिया गया तो कई सालों से टिकट की मांग कर रहे ब्राह्मण जाति के भगवती प्रसाद सारस्वत प्रबल दावेदार हैं। हर बार टिकट नहीं मिलने पर भी इन्होंने बगावत की राह अपनाने की बजाय समर्पित भाव से पार्टी की सेवा की। इन्हें राजे के नजदीकी होने का फायदा मिल सकता है। मूलत: ब्यावर निवासी होने से शहर में सारस्वत की पहचान है और पार्टी में भी छवि निर्विवाद है।

सुमित सारस्वत
सुमित सारस्वत

इधर, कांग्रेस में मामला बड़ा पेचीदा है। यहां एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। स्थानीय स्तर पर दो दर्जन नेता टिकट की लाइन में लगे हैं। लेकिन इनमें ऐसा कोई प्रबल दावेदार नजर नहीं आता, जो रावत को टक्कर दे सके। रावत को भाजपा का परंपरागत वोट बैंक मानने से कांग्रेस महाजन प्रत्याशी को मैदान में उतारेगी। सूत्रों की मानें तो पार्टी इस सीट पर बाहरी प्रत्याशी को मैदान में उतारने का मानस बना चुकी है। यहां से विष्णु मोदी को टिकट देने की चर्चा है। हालांकि, मोदी के नाम की चर्चा शुरू होते ही बाहरी प्रत्याशी बताकर पार्टी में बगावत का बिगुल भी बज रहा है। मोदी इससे पहले भाजपा टिकट से मसूदा विधानसभा सदस्य बने थे। अब कांग्रेस में शामिल होकर ब्यावर सीट से भाग्य आजमाना चाहते हैं। यहां चर्चा तो सीनियर आईएएस डॉ. वीणा प्रधान के नाम की भी हो रही है। ब्यावर निवासी वीणा वर्तमान में प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा निदेशक हैं। बीते कुछ समय से ब्यावर में उनकी सक्रियता भी बढ़ी है। विभाग की कई बड़ी योजनाओं की शुरूआत भी उन्होंने ब्यावर से ही की है। सियासी गलियारे में चर्चा है कि कांग्रेस आलाकमान से हरी झंडी मिलने के बाद वे ब्यावर में जाजम बिछा रही है। बाहरी प्रत्याशी का विरोध होने पर यदि पार्टी स्थानीय प्रत्याशी को ही मैदान में उतारेगी तो घनश्याम बल्दुआ एकमात्र वरिष्ठ व प्रबल दावेदार है। फिलहाल, दोनों दलों के प्रत्याशी टकटकी लगाए टिकट का इंतजार कर रहे हैं।
इधर, ब्राह्मण समाज भी ठोक रहा ताल
इधर, ब्यावर का सर्व ब्राह्मण समाज भी एकजुट होकर राजनैतिक दलों से टिकट की मांग कर रहा है। सर्व ब्राह्मण महासभा के पदाधिकारियों ने कहा कि प्रमुख पार्टियां समाज की अनदेखी कर रही है। महासभा ने चेतावनी दी है कि यदि ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया तो पार्टियों को इसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा। महासभा ने ब्राह्मण को टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतारने की रणनीति बनाई है। इसमें सभी दलों से जुड़े नेताओं ने भी समर्थन किया है। भाजपा में भगवती प्रसाद सारस्वत, प्रीति शर्मा, सुनिल कौशिक और कांग्रेस में आनंद मोहन शर्मा, चंद्रकांता मिश्रा, दिनेश शर्मा, अजय शर्मा ब्राह्मण समाज से प्रमुख दावेदार हैं।

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