दलों के नाम पर चुनाव लडेंगे अब कारपोरेट घराने

election-डॉ. महर उद्दीन खां- चुनाव के नतीजे आ गए और भाजपा को पूर्ण बहुमत भी मिल गया। भाजपा एक दल है इस लिए इसे भाजपा की जीत कहा जा रहा है मगर असलियत यह है कि यह भाजपा की जीत न हो कर कॉरपोरेट घरानों और आरएसएस की जीत है। पूरे चुनाव अभियान पर जब नजर डालते हैं तो पता चलता है कि भाजपा इस चुनाव में कहीं थी ही नहीं। नरेंद्र मोदी को आगे रख कर कॉरपोरेट घराने और संघ ने चुनाव की कमान अपने हाथ में ले रखी थी। मोदी को आगे बढ़ाने के लिए जितनी रकम खर्च की गई वह भाजपा के बस की बात भी नहीं थी। एक एक रैली पर बीस बीस करोड़ रूपए कारपोरेट घराने ही खर्च कर सकते हैं। इतना जबरदस्त प्रचार किया गया कि हर घर में मोदी का नाम चला गया और लोगों को बताया गया कि इस देश की हर समस्या का समाधान मोदी ही कर सकते हैं। भारत के लोग व्यक्ति पूजा में बहुत विश्वास करते हैं सो मोदी को भी प्रचार कर पूज्य बना दिया गया।

अब आगे देश की दशा और दिशा क्या होगी इस बात के संकेत भी दे दिए गए हैं। भाजपा देश भक्ति की बात बड़े जोर शोर से करती है तथा अपने हर शुभ कार्य का आरंभ वंदे मातरम से करती है मगर अब संकेत यह दिया गया है कि देश के स्थान पर धर्म की प्रमुखता रहेगी। चुनाव में जीत के बाद भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह की पहली प्रेस कांफ्रेंस अगर आपने देखी हो तो इस का शुभारंभ वंदे मातरम से न हो कर शंख ध्वनि से किया गया जो भाजपा की भविष्य की राजनीति का साफ संकेत है। अब तक प्रेस कांफ्रेंस में यह होता रहा है कि दर्शक पत्रकार का सवाल और नेता का जवाब दोनों सुनते हैं मगर भाजपा अध्यक्ष की इस पहली प्रेस कांफ्रेंस में सवाल दर्शकों को नहीं सुनाए गए केवल उन के जवाब ही सुनाए गए। यह भी इस बात का साफ संकेत है कि आगे आप जो बालेंगे उसे कोई नहीं सुनेगा हां हम जो बालेंगे वह आप को सुनना पड़ेगा।

इस चुनाव ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि आगे जो भी चुनाव होगा वह कॉरपोरेट घराने विभिन्न दलों के नाम पर लड़ेंगे। भारतीय लोकतंत्र धनवानों का लोकतंत्र बनने की प्रक्रिया में तो था मगर इन चुनावों में लोकतंत्र पूरी तरह धनवानों की झोली में चला गया है। लोकतंत्र का लोक अब केवल वोट बन कर रह गया है जिसे पैसे वाले अपने हिसाब से जिधर चाहें हांक सकते हैं। मौजूदा चुनाव को अगर भारत का अब तक का सब से मंहगा चुनाव कहा जाए तो कुछ गलत न होगा।

क्योंकि इस चुनाव की कमान संघ के हाथ में रही है इसलिए भले ही संघ कितनी ही ना-नुकर करे मगर सरकार की नीतियों पर उस का प्रभाव रहेगा ही। इस बात के संकेत भी संघ ने चुनाव नतीजों के बाद अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में दे दिए हैं। राम मंदिर के सवाल पर संघ के भैया जी जोशी ने पहली बात तो यह कही कि राम मंदिर का उल्लेख भाजपा के घोशणा पत्र में है दूसरी बात जो उन्होने कही वह यह कि राम मंदिर बनाना अब सरकार का काम है। इस प्रकार संघ ने सरकार को साफ-साफ आदेश दे दिया है कि वह राम मंदिर बनवाए। हो सकता है फिलहाल मोदी सरकार इस विवादास्पद मुद्दे से परहेज करे मगर कालांतर में या अगला चुना आते आते यह मामला प्रमुख रूप से उभर कर सामने अवश्य आएगा। कारण साफ है कि मंहगाई से त्रस्त जनता ने नरेंद्र मोदी से आाशा पाल ली है कि वह जनता को मंहगाई से राहत दिला देंगे मगर मंहगाई से राहत दिलाना संभव नहीं होगा तो फिर जनता को भावनात्मक मुद्दों पर आसानी से लामबंद किया जा सकता है। http://www.bhadas4media.com

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