स्मृति ईरानी को एचआरडी देने का खास मकसद

smriti_iraniमंत्रिमंडल में स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय दिया जाना काफी लोगों को हजम नहीं हो रहा है। उनकी योग्यता और अनुभव को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। इन सारे सवालों से अलग हट कर जब गौर करते हैं तो  महसूस होता है स्मृति ईरानी को यह मंत्रालय प्रधानमंत्री ने संघ के कहने पर दिया गया लगता है। इस मंत्रालय के अंतर्गत इतने विभाग आते हैं कि उनमें संघ के सारे बुद्धिजीवियों, विषय विषेशज्ञों, लेखकों और रिटायर्ड नौकरशाहों को समायोजित किया जा सकता है।

अटल सरकार में चूंकि संघ की अधिक नहीं चलती थी इसलिए सब लोगों को समायोजित नहीं किया जा सका था, जहां संभव हुआ वहां संघी विचारधारा के लोगों को फिट कर दिया गया था मगर पिछले एक दशक से ये सारे लोग खाली बैठे थे। अब जब बिना किसी बंधन बाधा के भाजपा की अपनी सरकार है तो संघ चाहेगा कि पहले इन लोगों का पुनर्वास हो। इसके लिए स्मृति ईरानी से अधिक कोई और उपयुक्त नहीं हो सकता।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत अनेक संस्थान, विभाग और समिततियां आती हैं जिनमें सरकार नियुक्ति करती है। केंदीय विद्यालय संगठन, नेशनल बुक ट्रस्ट, एन.सी.इ.आर.टी., विश्विद्यालय अनुदान आयोग, केंदीय हिंदी संस्थान, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्विद्यालय, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, पाठ्य क्रम निर्माण समिति, इतिहास अनुसंधान परिशद एवं सरकार के विभिन्न प्रकाशन। इन सब पर कब्जा करना संघ का पहला उद्देश्य रहता हैं।

इन सभी संस्थानों और संगठनों में सैकड़ों लोगों को समायोजित किया जा सकता है। संघ का प्रयास इन सब विभागों का भगवाकरण करने के साथ साथ इतिहास को अपने अनुसार लिखना होता है। इस के साथ ही स्कूली पाठ्यक्रम में उन सब बातों को शामिल करना जो संघ की विचारधारा के अनुकूल होती हैं तथा उन बातों को पाठ्क्रम से बाहर करन जिन्हें संघ पसंद नहीं करता। मानव संसाधन विकास मंत्रालय पर कब्जा होने से यह सब आसान हो जाता है।

मंत्री के रूप में स्मृति ईरानी का इन सब के बारे में कोई अनुभव नहीं है और न ही उन के सम्पर्क इन विशयों के लोगों से हैं। मंत्रालय के बारे में उन की जानकारी भी काफी नहीं कही जा सकती। उन का अभी तक का क्षेत्र अभिनय और ग्लैमर का रहा है। जहां जक उन की लोकप्रियता का सवाल है तो टीवी सीरियल के माध्यम से उन की घर घर में पहचान है मगर उन की यह पहचान न तो 2009 के चुनाव में काम आई और न ही 2014 के चुनाव में इस लोकप्रियता का लाभ उन्हें मिला। 2004 में वह दिल्ली के चांदनी चौक से कपिल सिब्बल के मुकाबले हार गईं और इस बार भाजपा की सुनामी में वह राहुल गांधी से हार गईं। मगर इस सब से कुछ फर्क नहीं पड़ता एक कठपुतली मंत्री के रूप में इन से बेहतर मानव संसाधन विकास मंत्री संघ को और नहीं मिल सकता था।

चूंकि स्मृति ईरानी के अपने लोग इस क्षेत्र में नहीं हैं इस लिए संघ जिसे चाहेगा उसे किसी भी पद पर बैठा सकता हैं। शिक्षा, पाठ्यक्रम और इहिास का भगवाकरण अब संघ आसानी से बिना किसी बाधा विरोध के कर सकता है। प्रधानमंत्री को भी इस सब पर कोई आपत्ति नहीं होगी क्योंकि प्रधानमंत्री के रूप में संघ ने उन्हें प्रोजेक्ट ही इस लिए किया था ताकि देष में संघ का एजेंडा लागू किया जा सके। चूंकि वर्तमान सरकार पूर्ण बहुमत की सरकार है इस लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कामों पर किसी आपत्ति को भी नहीं सुना जाएगा।

अब स्मृति ईरानी की नियुक्ति पर प्रधानमंत्री की प्रशंसक मधु किश्वर आलोचना करें, कांग्रेस ओलाचना करे या भाजपा के अंदर कुछ लोग अंदरखाने कसमसाएं इस सब से कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है। 89 साल की अथक महनत के बाद संघ को एक राष्ट्रवादी हिंदू प्रधानमंत्री के रूप में मिला है तथा देश को अपने हिसाब से चलाने का अवसर मिला है तो संघ इस अवसर का भरपूर उपयोग करेगा, इतिहास को अपने अनुसार लिखाने का पूरा प्रयास करेगा और स्कूलों में बच्चों को वह सब पढाएगा जो वह अपने शिशु मंदिरों में पढाता है।

आश्चर्य की बात यह होगी कि संघ बार बार यह भी कहता रहेगा कि सरकार के काम काज में उस का कोई दखल नहीं है। मंत्रिमंडल के गठन से पहले भी संघ ने कहा था कि इस मामले में उस का कोई दखल नहीं है जबकि बार बार मंत्रिमंडल के गठन के बारे में संघ से मंत्रणा के समाचार आते रहे थे। चुनाव हारे लोगों अरूण जेटली और स्मृति ईरानी को मंत्री बनाना , किसी भी सदन का सदस्य न होने पर प्रकाश जावेडकर और निर्मला सीता रमन को मंत्री बनाना यह सब संघ के इशारे पर ही कहा जा सकता है। स्मृति ईरानी को इतने भारी भरकम मंत्रालय की बागडोर देना भी संघ के इषारे पर ही हुआ लगता है। अब इस पर आप आलोचना करते हैं तो करते रहें अब संघ इस हालत में है कि वह किसी भी आलोचना का उत्तर देने के लिए बाध्य नहीं है। अब होगा यह कि संघ के सारे बुद्धिजीवी जो हाशिये पर पड़े थे अब मुख्यधारा में आ जाएंगे। मंत्रालय के फैसले कहीं और होंगे मंत्री का काम केवल उन फैसलों को लागू करना होगा।

डॉ. महर उद्दीन खां
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