अब विदेशी ताक़तों के हाथ में होगी भारत की सुरक्षा

alkayada-आमिर अंसारी- क्या कोई सपूत अपनी माँ की देख भाल पड़ोसियों की ज़िम्मेदारी में दे सकता है ? कभी नहीं , इसी प्रकार भारतीय रक्षा मंत्रालय के रक्षा क्षेत्र में 100% विदेशी निवेश के फैसले ने भी भारत माँ के उन 125 करोड़ सपूतों के गाल पर तमांचा मारा है जो भारत माता की जय-जयकार करते है लेकिन उसी भारता माता की रक्षा के लिए विदेशी दौलतमंदों को आमंत्रित करना इस मोदी सरकार का सबसे शर्मनाक पहलू है !
अलकायदा,हूजी,लश्कर-ए-तैय्यबा,ISIL तथा ISIS की तरह के आतंकी संगठनों को तो पहले फलने-फूलने देंगे आधुनिक हथियारों से लैस करेंगे फिर उक्त बीमारियों की तर्ज़ पर ही इन संगठनों के खतरों और ताक़त से दुनिया के अविकसित देशों को आगाह करेंगे फिर इन खतरों से निपटने के लिए स्वयं के द्वारा तैयार किये गए अत्याधुनिक हथियारों को देशों में बेचना शुरू कर देंगे और हर देश अपनी सीमाओं और नागरिकों की हिफाज़त के लिए उसी दवा की तरह हथियार खरीदेंगे जो दवा वह अपने नागरिकों के लिए विकसित देशों द्वारा आयातित खतरनाक बीमारियों से बचने के लिये खरीदते हैं फिर जब यह बीमारियां अर्थात आतंकी संगठन किसी भी देश के लिए नासूर बन जाते हैं तब जिस प्रकार उक्त खतरनाक बीमारी का टीका ईजाद होता है इसी तरह इन आतंकी नासूरों को खत्म करने के नाम पर ड्रोन जैसे खतरनाक हमले मानवाधिकारों की हिफाज़त की दुहाई देकर शुरू हो जाते है ! इसके दो प्रमुख उदहारण हमारे सामने पड़ोसी देश अफ्गानस्तान और इराक़ के रूप में मौजूद हैं ,यदि हमने इन दोनों देशों के परिणामों से शिक्षा नहीं ली तो कहीं हमारा हाल भी वही न हो जाये जो हाल इन दो देशों का हमारे सामने हुआ है !
16 मई 2014 को जब आम चुनावों के नतीजे हिन्दुस्तान के सामने आये तब देश के 100 करोड़ से अधिक लोगों के समझ आ गया था कि अब देश के लगभग 17 करोड़ मतदाताओं ने मोदी के नाम पर मोहर लगा दी है और अब हिन्दुस्तान का वर्तमान और भविष्य भाजपा के हाथों में चला गया है ! देश को उम्मीद थी कि वह भाजपा जो हमेशा राष्ट्रभक्ति का ढोल पीटती थी, स्वदेशी अपनाओं देश बचाओ का नारा देती थी ! आज जब सत्ता के शीर्ष पर अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल कर बिराजमान हुई है तब तो देश में विदेशी सामाग्री की होली जला कर इन विदेशी कम्पनियों को भारत देश की सरहदों के बाहर निकाल कर फैंक दिया जायेगा ! यह सोच हिन्दुस्तानी आम जन के मन में इसलिए भी कोंध रही थी चूंकि उसने न सिर्फ सड़क पर भाजपा द्वारा विदेशी उत्पादों की होली जलते देखी थी बल्कि संसद के भीतर भी आज के वित्त-रक्षा मंत्री और कल के राजयसभा में नेता विरोधी दल रहे अरुण जेटली को भी UPA 2 द्वारा लाये गए खुदरा बाज़ार में FDI के विरुद्ध गरजते हुए देखा था ! तत्कालीन लोकसभा की नेता विरोधी दल और वर्तमान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी खुदरा बाज़ार में विदेशी निवेश के विरुद्ध ऐसी हमलावर हुई थी की UPA 2 के पसीने छूट गए थे , तभी भाजपा ने यह फैसला भी लिया था कि भाजपा शासित प्रदेशों में वालमार्ट को अपने स्टोर्स नहीं खोलने दिए जायेंगे ! भाजपा के इस रुख ने उस समय सच्चे स्वदेशीय प्रेमियों को खुश कर दिया था !
लेकिन जब वही भाजपा सत्ता में आयी तो उसने अपने चेहरे से उस स्वदेशी मखौटे को नौच कर फेंक दिया जिस स्वदेशी नारे की गूँज से सड़क से संसद तक कोहराम बरपा हो जाया करता था ! वर्तमान वित्त रक्षा मंत्री अरुण जेटली जब नेता विरोधी दल थे तब उन्होंने FDI का भरपूर विरोध किया लेकिन सत्ता में आते ही अरुण जेटली जी की नीति,नियत और नारा तीनों बदल गए उन्होंने तो वह कदम FDI को लेकर उठाने के संकेत दे दिए हैं जिसकी चर्चा तक करने कि कांग्रेस अपने शासन काल में हिम्मत नहीं जुटा सकी थी ,यानी अरुण जेटली ने ऐलान किया है कि अब भारत के रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेशक 100% निवेश कर सकते हैं ! भाजपा के इस फैसले से उजागर हो जाता है कि न तो भाजपा का स्वदेशी प्रेम सच्चा था और न ही राष्ट्रभक्ति का राग , चूंकि अगर विदेशी ताक़तों के हाथों में यदि भारत की सुरक्षा चली गयी तो फिर तो हमारी सीमाओं का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा !
क्या कोई सपूत अपनी माँ की देख भाल पड़ोसियों की ज़िम्मेदारी में दे सकता है ? कभी नहीं , इसी प्रकार भारतीय रक्षा मंत्रालय के रक्षा क्षेत्र में 100% विदेशी निवेश के फैसले ने भी भारत माँ के उन 125 करोड़ सपूतों के गाल पर तमांचा मारा है जो भारत माता की जय-जयकार करते है लेकिन उसी भारता माता की रक्षा के लिए विदेशी दौलतमंदों को आमंत्रित करना इस मोदी सरकार का सबसे शर्मनाक पहलू है !
जिस प्रकार FII यानी विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय सूचकांक यानी सेंसेक्स को अपने इशारों पर चलाते है अपनी मर्ज़ी से बाज़ार में तेज़ी लाते है और अपनी दौलत की दम पर बाज़ार में मंदी लाते है ! तथा विदेशी निवेशकों द्वारा बाज़ार में लाई जा रही इस तेज़ी और मंदी के खेल में अगर कोई सबसे ज़्यादा पिस्ता है तो वह आम भारतीय निवेशक जो अपने भविष्य को सुरक्षित करने के उद्देश्य से निवेश कर बैठता है न सिर्फ यह आम भारतीय निवेशक ,विदेशी निवेशकों के इस गौरख धंधे में अपना पैसा गवांता है बल्कि कई बार उसे अपनी जान से तक हाथ धोना पड़ता है और DII (घरेलू संस्थगत निवेशक) भी FII के इस खेल में नुक्सान उठाते है चूंकि ज्यादतर देखा गया है कि जब FII (विदेशी संस्थागत निवेशक) बिकवाली पर उतरते है तो DII खरीदार हो जाता है और जब FII खरीदारी में आता है तो हमेशा बिकवाल DII ही होता है ! और इस तेज़ी-मंदी के खेल में FII (विदेशी संस्थागत निवेशक) हिन्दुस्तानियों की अरबों रुपयों की गाढ़ी कमाई अपनी गठरी में बाँध कर विदेश ले जाते है ! इसी प्रकार जब भारत का रक्षा मंत्रालय विदेशी निवेशकों के हाथ में भारत के रक्षा क्षेत्र की ज़िम्मेदारी दे देगा तब हम कई नए खतरों को एक साथ भारत में आमंत्रित कर लेंगे !
इस बात की शंका मेरे द्वारा ऊपर दिए गए FII के फायदे और DII के नुक्सान के रूप में प्रस्तुत की गयी है ! इसके अतिरिक्त भी एक उदहारण से मैं अपनी इस बात को साबित करना चाहता हूँ कि किस तरह हम हमारी सीमाओं को खतरे में डालकर रक्षा क्षेत्र में FDI को सौ फीसद मंजूरी देकर नए विवादों को दावत दे रहे हैं !
जब विदेशी निवेश भारत के रक्षा क्षेत्र में होगा तो कही एक ऐसा खतरा तो देश में पैदा नहीं हो जायेगा जैसा कि हम देखते और सुनते चले आ रहे हैं यानी प्लेग से पहले इस बीमारी का नाम न तो हमने सुना था और न ही हमारे पूर्वजों ने , इसी तरह हमने बर्ड फ्लू,स्वाइन फ्लू,एड्स और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के नाम न तो पढ़े थे और न ही सुने थे ,यानी विदेशियों ने पहले इस बीमारी के कीटाणु की खोज की फिर इस बीमारी के कीटाणुऊँ को पीड़ित बीमारों के द्वारा कई देशों में भेजा और जब हिन्दुस्तान सहित कई विकासशील देशों में उक्त बिमारियों से ग्रस्त लाखों की तादाद में बीमार पड़ने लगे तब इन्ही देशों ने महंगी दवाइयाँ इस बीमारी से बचने के लिए बेचना शुरू कर दी और जब महंगी दवाइयों को इन विकासशील देशों को खरीदने पर मजबूर कर लिया तब उक्त बीमारियों को जड़ से खत्म करने का नारा देकर उसके टीके की खोज की और मानवाधिकारों और मानवहितों की दुहाई देकर पूरी दुनिया में टीकाकरण के अभियान चलाकर अपने उत्पादन को बेचकर विदेशियों ने अपना पेट भरना शुरू कर दिया !
बिलकुल इसी तर्ज़ पर जब रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेशक आएंगे तब वह इन बीमारियों की तरह खोज करेंगे और अलकायदा,हूजी,लश्कर-ए-तैय्यबा,ISIL तथा ISIS की तरह के आतंकी संगठनों को तो पहले फलने-फूलने देंगे आधुनिक हथियारों से लैस करेंगे फिर उक्त बीमारियों की तर्ज़ पर ही इन संगठनों के खतरों और ताक़त से दुनिया के अविकसित देशों को आगाह करेंगे फिर इन खतरों से निपटने के लिए स्वयं के द्वारा तैयार किये गए अत्याधुनिक हथियारों को देशों में बेचना शुरू कर देंगे और हर देश अपनी सीमाओं और नागरिकों की हिफाज़त के लिए उसी दवा की तरह हथियार खरीदेंगे जो दवा वह अपने नागरिकों के लिए विकसित देशों द्वारा आयातित खतरनाक बीमारियों से बचने के लिये खरीदते हैं फिर जब यह बीमारियां अर्थात आतंकी संगठन किसी भी देश के लिए नासूर बन जाते हैं तब जिस प्रकार उक्त खतरनाक बीमारी का टीका ईजाद होता है इसी तरह इन आतंकी नासूरों को खत्म करने के नाम पर ड्रोन जैसे खतरनाक हमले मानवाधिकारों की हिफाज़त की दुहाई देकर शुरू हो जाते है ! इसके दो प्रमुख उदहारण हमारे सामने पड़ोसी देश अफ्गानस्तान और इराक़ के रूप में मौजूद हैं ,यदि हमने इन दोनों देशों के परिणामों से शिक्षा नहीं ली तो कहीं हमारा हाल भी वही न हो जाये जो हाल इन दो देशों का हमारे सामने हुआ है !
मैं अपनी कांपती कलम को भारत के लिए रक्षा क्षेत्र में सौ फीसद विदेशी निवेश के खतरों को भांपते हुए इस तथ्य पर रोकना चाहता हूँ कि अर्थशास्त्र के नियमानुसार कोई भी निवेशक तभी निवेश करता है जब मांग ,पूर्ती से अधिक होती है ,कहीं भारत के वित्त रक्षा मंत्री ने FDI को रक्षा क्षेत्र में हरी झंडी देकर अर्थशास्त्र के मांग-पूर्ती के नियम की तो अनदेखी नही कर दी है चूंकि निवेश तो तब ही होता है जब पूर्ती के लिए भीषण मांग हो और रक्षा क्षेत्र में इस अर्थशास्त्री मांग का मतलब होगा भारत देश के लिए तबाही के नए खतरों को आमंत्रण देना ! हम सिर्फ विदेशी निवेशकों को रक्षा क्षेत्र में निवेश का आमंत्रण नहीं दे रहे हैं बल्कि उनके साथ हम उन खतरों को भी निमंत्रण दे रहे है जो हमारी सीमाओं के अस्तित्व के लिए ही खतरा बन जायेंगे ! इन खतरों का आभास अब हमें धीर-धीरे होने भी लगा है चूंकि २६ मई २०१४ को बनी नयी सरकार का अभी एक माह भी पूरा नहीं हुआ है और चीन भारतीय वायू सीमा लांघकर उत्तराखंड के चमोली ज़िले के रिमखिम तक घुस आता है चीन का यह विमान भारतीय सीमा में 30 कि.मी. तक बे रोक टोक 10 मिनट तक मंडराता रहता है ! पाकिस्तान लगातार सीज़फायर का उल्लंघन कर गोलीबारी कर रहा है , हमारे जांबाज़ सैनिकों को हम खोते जा रहे है ! 10000 भारतीय इराक़ में फंस चुके है 40 भारतीय अगवा है और हमारी सरकार खामोश है !
क्या यह सब रक्षा क्षेत्र में FDI की आमद से पहले विदेशी निवेशकों की तैयारी का एक हिस्सा तो नहीं है ? भारत सरकार ने अपने इस फैसले पर यदि पुनः विचार नहीं किया तो इसके परिणाम देश के लिए अच्छे नहीं होंगे , और राष्ट्रवादी तथा स्वदेशी का नारा बुलंद करने वाली भाजपा की इस सरकार का यह फैसला उसकी कथनी और करनी के अंतर को उजागर करते हुए सदा-सदा के लिए आने वाले इतिहास के पन्नो में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो जायेगा !

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