पाक से आने वाले हिंदुओं का स्वागत, मगर जरा संभल कर

इन दिनों पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार और वहां से भाग कर भारत आने का मुद्दा गरमाया हुआ है। भारत आए हिंदुओं की दास्तां सुनें तो वाकई दिल दहल जाता है कि पाकिस्तान में किन हालात में हिंदू जी रहे हैं। ऐसे में दिल ओ दिमाग यही कहता है कि भारत में शरण को आने वाले हिंदुओं का स्वागत किया ही जाना चाहिए। मगर साथ ही धरातल का सच यह भी इशारा करता है कि सहानुभूति की आड़ में कहीं हमारे साथ धोखा तो नहीं हो जाएगा? कहीं यह भारत में घुसपैठ का नया तरीका तो नहीं, जो बाद में देश की सुरक्षा में नई सेंध बन जाए?
वस्तुत: पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदुओं की समस्या ने पिछले सितंबर से जोर पकड़ा है। तीस दिन का धार्मिक वीजा लेकर यहां आने वाले हिंदू भारत आकर बता रहे हैं कि पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ अमानवीय अत्याचारों की हद पार की जा रही है। कहीं सरेआम लूटा जा रहा है तो कहीं किसी हिंदू लड़कियों के साथ बलात्संग, कहीं जबरन धर्म परिवर्तन तो कहीं जबरन निकाह जैसे आम बात हो गई है। जाहिर है उनकी बातें सुन कर कठोर से कठोर दिल वाले को भी दया आ जाए। ऐसे में इन हिंदुओं के प्रति सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार किये जाने की पैरवी की जाती है।
लेकिन सिक्के का दूसरे पर नजर डालें तो वह और भी भयावह लगता है। इस प्रकार झुंड के झुंड भारत आ रहे पाकिस्तानी हिंदुओं पर शक करने वाले कहते हैं कि पाकिस्तान और भारत के कटु रिश्तों को देखते हुए भारत को ऐसे मामले में सतर्क रहना होगा। पाकिस्तानी हिंदुओं की स्थिति बेशक मार्मिक है, लेकिन यहां आ रहे लोग हिंदू ही हैं, इस बात की कोई गारंटी नहीं है। कई जानकार और रक्षा विशेषज्ञ इस आवाजाही को घुसपैठ का एक तरीका मान रहे हैं। उनके अनुसार पीडि़तों की आड़ में पाकिस्तान इन हिंदुओं के रूप में अपने आतंकी भी भारत में भेज रहा है, जो देश की सुरक्षा में एक बड़ा सेंध साबित होने वाले हैं।
मौजूदा समस्या के सिलसिले में इस पर चर्चा करना प्रासंगिक ही होगा कि भारत में घुसपैठ की समस्या बहुत पुरानी है। आज तक उसका पक्का आंकड़ा नहीं मिल पाया है। सरकार और विपक्ष इस पर अपनी चिंता जाहिर करते रहे हैं। बावजूद इसके पाकिस्तानियों के अतिरिक्त बांग्लादेशियों की घुसपैठ आज तक नहीं रोकी जा सकी है। भाजपा ने तो हाल ही असम संकट उभरने पर घुसपैठ के खिलाफ जागृति अभियान भी छेड़ दिया है। अवैध रूप से घुसपैठ से इतर वैध तरीके से हो रही घुसपैठ भी कम चिंताजनक नहीं है।
सरकारी आंकड़े ही बताते हैं कि पिछले तीन साल में डेढ़ लाख से ज्यादा पाकिस्तानी नागरिक वैध वीजा पर भारत पहुंचे। गृह राज्यमंत्री एम रामचंद्रन ने गत दिनों लोकसभा को बताया कि वर्ष 2009 में 53 हजार 137, 2010 में 51 हजार 739 और 2011 में 48 हजार 640 पाकिस्तानी भारत आए थे। पाकिस्तानी नागरिकों की वीजा अवधि बढ़ाने के आंकड़ों का केंद्रीय लेखा-जोखा नहीं रखा गया था। नतीजतन इसका पक्का आंकड़ा नहीं है कि कितने वापस लौटे ही नहीं। सूत्रों के अनुसार हिंदूवादी संगठन आरएसएस के गढ़ नागपुर में ही तकरीबन दो हजार से अधिक पाकिस्तानी नागरिक अपने विजिटिंग वीजा की समयावधि पूरी होने के बावजूद नागपुर में रह रहे हैं। तकरीबन 9 हजार 705 पाकिस्तानी नागरिकों को भारत में नागपुर आने के लिए विजिटिंग वीजा प्राप्त हुआ था। यह वीजा 30, 45, 60, और 90 दिनों का था। करीब 2 हजार 46 पाकिस्तानी नागरिक यहां लंबी अवधि का वीजा लेकर आए थे और इनमें से 533 ने भारतीय नागरिकता प्राप्त कर ली थी। मगर इनमें से करीब 2013 पाकिस्तानी नागरिक वीजा अवधि समाप्ति के बावजूद अपने देश लौटे ही नहीं हैं। पुलिस ने स्वीकार किया कि 1994 से यहां रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों के नाम और पते की जानकारी नहीं है।
सूत्रों के अनुसार राजस्थान में पिछले पांच साल में करीब 23 हजार पाक नागरिक आए थे। इनमें से 4,624 लोग वीजा अवधि खत्म होने के बाद भी नहीं लौटे। 4,273 लोग पुलिस की जानकारी में आ गए। इन्होंने वीजा अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन कर रखा है, जबकि चार अन्य की मौत हो गई है। चौंकाने वाला तथ्य ये है कि इनमें से 347 पाक नागरिकों का अता-पता नहीं है। खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि इनमें से कुछ यहां आईएसआई के लिए बतौर रेजीडेंट एजेंट काम कर रहे हैं। एडीजी इंटेलीजेंस दलपत सिंह दिनकर का कहना है कि पिछले चार साल में चार हजार से भी अधिक लोगों ने पाक लौटने से मना किया है। उनमें से अधिकांश ने शपथ-पत्र देकर पाक में प्रताडि़त किए जाने आरोप लगाए हैं।
पिछले दिनों जब पाक कमिश्नर सलमान बशीर अजमेर में पाक राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की ओर से दरगाह शरीफ में 5 करोड़ 47 लाख 48 हजार 905 रुपये का नजराना देने आए तो उनसे पाकिस्तानियों के यहां आ कर गायब होने बाबत मीडिया ने सवाल किया, इस पर उनके पास कोई वाजिब जवाब नहीं था और यह कह कर टाल दिया कि पाकिस्तान आने वाले भारतीय भी तो वहां गायब हो रहे हैं। उनकी संख्या यहां गायब होने वालों से भी ज्यादा है। ऐसे में यह कहना ठीक नहीं है कि उन्हें कोई भेज रहा है। उनके जवाब से स्पष्ट है कि पाकिस्तान भलीभांति जानता है कि हकीकत क्या है, मगर बहानेबाजी कर रहा है। इसी बहानेबाजी के पीछे पाकिस्तान की कुत्सित चाल का संदेह होता है।
लब्बोलुआब, बेशक हमें शरणार्थी बन कर आ रहे हिंदुओं के प्रति पूरी संवेदना बरती जानी चाहिए, मगर देश की अस्मिता के साथ खिलवाड़ की कीमत पर नहीं।
-तेजवानी गिरधर

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